• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • सत्य केवल एक है।
    • परिवर्तन की धुरी बनेगा इक्कीसवीं सदी का विज्ञान
    • Quotation
    • व्यवस्था भी संभल गई (kahani)
    • अखिल विश्व से न्यारा, भारतवर्ष हमारा
    • कठिनाइयों को झेला (kahani)
    • दुग्धा का बलिदान
    • गंदगी में प्रश्रय (kahani)
    • ‘योग का ज्ञान-विज्ञान’
    • कभी भी तंगी नहीं आती (kahani)
    • ऋषि प्रणीत सिद्धाँतों का वैज्ञानिक रूप - होलोग्राफी
    • विजय न्याय की (kahani)
    • हिमालय की छाया में अब उत्तराँचल का विकास कैसा हो?
    • मुख में ग्रास देने की विधि (kahani)
    • सृजन ने किया क्षेत्र का कायाकल्प
    • सच्ची भक्ति (Kahani)
    • काश! विस्मृति स्मृति में बदल जाए
    • दररमंदो के सिर पर हाथ (kahani)
    • यम-नियमः स्वाध्याय - साधना में बोध और सजगता का समावेश
    • आत्महत्या का मनोविज्ञान
    • समृद्धि और प्रसन्नता का मूल (kahani)
    • आस्था और विश्वास के प्रति विद्रोह का नाम है भ्रष्टाचार
    • ध्येय प्राप्ति सुनिश्चित (kahani)
    • संवेदना का धनी वनस्पति जगत्
    • भय मत करो (kahani)
    • एक निष्काम योगी
    • जीवनलक्ष्य की प्राप्ति (kahani)
    • मस्तिष्कीय क्षमताओं के विकास की यज्ञोपचार प्रक्रिया द4ड्ट
    • कब रुकेगा युद्धों का यह सिलसिला
    • धर्मोपदेश में व्यक्त (kahani)
    • अल्लाह का कैदी जा मिला उन्हीं से
    • शिष्य संतुष्ट (kahani)
    • आत्मविकास के चार महत्वपूर्ण सोपान - परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • Quotation
    • ज्ञान निरर्थक (kahani)
    • नारी जागरण को समर्पित संवेदना सिक्त पाती
    • अर्पण करने के कारण (kahani)
    • युगगीता-23 - ये यथा माँ प्रपद्यन्ते ताँस्तथैव भजाम्यहम्
    • मझधार में डूबना नहीं पड़ा (kahani)
    • क्या इस महाविनाश से बचा जा सकता था
    • कुछ विशेष सावधानियाँ, जो आपदा प्रबंधन से जुड़ी हैं
    • प्रस्तुत सावधानियाँ (kahani)
    • अपनों से अपनी बात - साधना की धुरी पर संपन्न हो रहा महापूर्णाहुति का अनुयाज
    • अब तक क्या किया गया एवं क्या होना है
    • शक्ति का सदुपयोग
    • शक्ति का सदुपयोग (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • सत्य केवल एक है।
    • परिवर्तन की धुरी बनेगा इक्कीसवीं सदी का विज्ञान
    • Quotation
    • व्यवस्था भी संभल गई (kahani)
    • अखिल विश्व से न्यारा, भारतवर्ष हमारा
    • कठिनाइयों को झेला (kahani)
    • दुग्धा का बलिदान
    • गंदगी में प्रश्रय (kahani)
    • ‘योग का ज्ञान-विज्ञान’
    • कभी भी तंगी नहीं आती (kahani)
    • ऋषि प्रणीत सिद्धाँतों का वैज्ञानिक रूप - होलोग्राफी
    • विजय न्याय की (kahani)
    • हिमालय की छाया में अब उत्तराँचल का विकास कैसा हो?
    • मुख में ग्रास देने की विधि (kahani)
    • सृजन ने किया क्षेत्र का कायाकल्प
    • सच्ची भक्ति (Kahani)
    • काश! विस्मृति स्मृति में बदल जाए
    • दररमंदो के सिर पर हाथ (kahani)
    • यम-नियमः स्वाध्याय - साधना में बोध और सजगता का समावेश
    • आत्महत्या का मनोविज्ञान
    • समृद्धि और प्रसन्नता का मूल (kahani)
    • आस्था और विश्वास के प्रति विद्रोह का नाम है भ्रष्टाचार
    • ध्येय प्राप्ति सुनिश्चित (kahani)
    • संवेदना का धनी वनस्पति जगत्
    • भय मत करो (kahani)
    • एक निष्काम योगी
    • जीवनलक्ष्य की प्राप्ति (kahani)
    • मस्तिष्कीय क्षमताओं के विकास की यज्ञोपचार प्रक्रिया द4ड्ट
    • कब रुकेगा युद्धों का यह सिलसिला
    • धर्मोपदेश में व्यक्त (kahani)
    • अल्लाह का कैदी जा मिला उन्हीं से
    • शिष्य संतुष्ट (kahani)
    • आत्मविकास के चार महत्वपूर्ण सोपान - परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • Quotation
    • ज्ञान निरर्थक (kahani)
    • नारी जागरण को समर्पित संवेदना सिक्त पाती
    • अर्पण करने के कारण (kahani)
    • युगगीता-23 - ये यथा माँ प्रपद्यन्ते ताँस्तथैव भजाम्यहम्
    • मझधार में डूबना नहीं पड़ा (kahani)
    • क्या इस महाविनाश से बचा जा सकता था
    • कुछ विशेष सावधानियाँ, जो आपदा प्रबंधन से जुड़ी हैं
    • प्रस्तुत सावधानियाँ (kahani)
    • अपनों से अपनी बात - साधना की धुरी पर संपन्न हो रहा महापूर्णाहुति का अनुयाज
    • अब तक क्या किया गया एवं क्या होना है
    • शक्ति का सदुपयोग
    • शक्ति का सदुपयोग (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 2001 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


क्या इस महाविनाश से बचा जा सकता था

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 39 41 Last
ज्योतिर्विज्ञान की बड़ी महिमा गाई जाती है। भारतीय खगोल गणित के विद्वान् कहते हैं कि आगत की भविष्यवाणी पहले से की जा सकती है। उनके अनुसार यह इतनी सुनिश्चित होती है कि उसमें रत्तीभर का फर्क नहीं देखा जा सकता। पिछले दिनों गुजरात में भयावह बर्बादी लाने वाला भूकंप आया। इस महाविनाश की भविष्यवाणी क्या संभव थीं? यदि हाँ, तो क्यों नहीं इस अति महत्वपूर्ण विधा का उपयोग किया गया? क्या इससे व्यापक जन-धन की हानि को बचाया नहीं जा सकता था?

इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए सर्वप्रथम यह देखना होगा कि इन भविष्यवाणियों का विज्ञानसम्मत आधार कितना ठोस है। व्यक्तिगत स्तर पर राजनेताओं से लेकर बड़े-बड़े ब्यूरो कैट्स ज्योतिर्विदों की क्षरण में आते देखे जाते हैं। पर सरकार या एक वैज्ञानिकों का तबका इसे सामूहिक त्रासदी के स्तर पर किस सीमा तक मानने को तैयार हैं? प्रश्न को यहीं अनुत्तरित छोड़कर हम यह देखें कि ज्योतिर्विद् एवं वैज्ञानिक दोनों क्या कहते हैं।

एक जर्मन ज्योतिर्विज्ञानी के अनुसार विगत वर्षों के 75 भूकंपों का अध्ययन किया गया, तो यह पाया गया कि 75 प्रतिशत भूकंप तब हुए, तब यूरेनस नक्षत्र भूकंप के उद्गम घात के ठीक ऊपर था तथा इसके कक्ष में होने का यह अति विषम समय बताया गया। एक और विश्वास ज्योतिर्विज्ञानीगणों को होता जा रहा है। वह यह कि अधिकांश भूकंप ग्रहणों के बाद होते हैं। विशेष तौर पर ऐसे पर ऐसे क्षेत्रों में जहाँ ग्रहण के समय चौथे या दसवें स्थान पर उस क्षेत्र को शासित करने वाले नक्षत्र थे। यह भी विश्वास किया जाता है कि अगर ग्रहण के समय शनिग्रह एक स्थान में स्थायी हैं एवं उस क्षेत्र के दसवें घर के साथ 45 डिग्री पर है, तो संसार के उन भागों में भूकंप आते हैं जो ग्रीनवीच से पूर्व या पश्चिम में समान दूरी पर शनिग्रह के स्थिति के अनुसार हों। यह तब भी देखा जाता है कि जब ज्यादा जल्दी जल्दी आते हैं जब ग्रह विशेषता शनि, गुरु तथा मंगल, वृषभ और वृश्चिक राशि में भूकंप उन स्थानों में ज्यादा आते हैं, जहाँ ग्रहों का महायोग के स्थान पर पड़ता है। यह तब भी देखा जाता है कि जहाँ उनके ग्रह प्रधान स्थान के ऊपर या नजदीक हो जैसे कि तनाव मकर की प्रथम डिग्री में।

‘द टाइम्स ऑफ एस्ट्रालॉजी’ की संपादिका राजेश्वरी संकर के अनुसार अगर ज्यादातर ग्रह जिनमें गुरु, शनि और मंगल ने भूमि के चिन्ह अपने नियंत्रण में किए हुए हैं एवं उपर्युक्त संयोग मौजूद हैं, तो भूकंप की संभावनाएँ उस क्षेत्र विशेष में काफी बढ़ जाती है। यदि 26 जनवरी 21 के भुज के दुर्भाग्यशाली चार्ट पर एक दृष्टि डाली जाए, तो हर पाते हैं कि गुरु और शनि वृषभ राशि में स्थित हैं तथा दूसरा मकर राशि में सूर्य, चंद्र, यूरेनस एवं नेपच्यून हैं और ये सभी मंगल ग्रह द्वारा दृष्ट हैं। शनि और गुरु ने अपनी वक्री चक्र को पूर्ण किया है और इस घटना के बाद चाल बदलकर पूरी तरह सीधे हो गए हैं। पारंपरिक रूप में शनि और मंग दोनों ने शुक्र को जकड़ रखा है और एक-दूसरे से षडाष्ट (6/1) की स्थिति में है। इसी दुर्भाग्यशाली दिन की समयविशेष की कुँडली देखने पर पता लगता है कि चौथा घर जो जनसंख्या का घर है, पूर्णतः गलत प्रभाव में है। ये शनि एवं राहु के बीच स्थित है। यह सारा योग पापकर्ता योग बनता है। दसवाँ स्थान जो कि चौथे स्थान के वक्रीय है, केतु और मंगल के बीच लटका हुआ है तथा यह परिस्थिति भी पापकर्तारी योग को बढ़ा रही है। इसके अलावा प्लूटो भी चौथे स्थान के वक्रीय है।

उपर्युक्त सारा विश्लेषण गणित ज्योतिष के आधार किया गया है। जनसामान्य की समझ के बाहर भी हो सकता है, पर यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि काफी 1 जनवरी को इस योग की भविष्यवाणी की जा सकती हैं। यह भूकंप 9 जनवरी के ग्रहण के बाद आया, लगभग दिन बाद। ग्रहण हर 19 वर्ष के बाद इस तरह के योगों साथ आया करते हैं। क्या ऐसे प्रकोप आए हैं, यह विश्लेषण, अभी नहीं किया जा सका, पर यह शोध का विषय है। 15 जनवरी 1934 को पटना में जो भूकंप आया था, उन भारी नुकसान हुआ था। वह भी ग्रहण के बाद था, पर वर्ष के अंतराल के क्रम में 1991 एवं 21 की मध्य में यह आ गया। उस समय भी गुरु कन्या में एवं राहु में एवं सूर्य उच्चभाव में थे। राहु, मंगल, सूर्य और शनि में राशि में बड़ा निर्मम योग बनाते हैं।

इतना सब होते हुए भी स्पष्ट कह पाना असंभव ज्योतिर्विदों की भविष्यवाणियों से महाविनाश रोका जा सकता है, एक बड़ी जनसंख्या को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा सकता है। संभवतः अब तक के अध्ययन के आधार पर पूरी तौर पर नहीं, परंतु आज के विज्ञान के युग में जब हमारे पास तकनीकी स्तर पर सारी उपलब्धियाँ हैं, ज्योतिर्विज्ञान, वास्तुशिल्प एवं भवन विज्ञान के समन्वय से यदि मानवमात्र का भला संभव है तो क्यों नहीं यह कार्य किया जाना चाहिए। विशेषतः इस कारण भी कि जिस व्यापक स्तर पर तबाही हुई है, उसने देश को ही नहीं, व्यापारिक जगत् को ही नहीं, पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। अब हम ‘ग्लोबल विलेज’ में रह रहे हैं, ऐसे में प्रयास दोनों ओर से मानवमात्र के लिए चलने चाहिए। जनसंख्या का घनत्व अब विकासशील देशों में बढ़ रहा है, योग मात्र है कि कच्छ क्षेत्र में यह घनत्व कम था। जहाँ अधिक था, यथा भुज, अंजार, भचाऊ, गाँधीधाम, रापर, अहमदाबाद, सूरत वहाँ तबाही हुई जान की भी, माल की भी। परंतु इतने व्यापक क्षेत्र वाला यह दैवी प्रकोप यदि उत्तर प्रदेश में आता, तो मरने वालों की संख्या करोड़ों में होती।

वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप के समय की पूर्व जानकारी व अच्छी प्लानिंग से काफी जिंदगियाँ बचाई जा सकती हैं। अमेरिका के सान फ्राँसिस्को से लेकर लॉस एंजेल्स तक की पैसिफिक से जुड़ी पट्टी बड़ी संवेदनशील है। वहाँ इसी एक सदी में विनाशकारी भूकंप भी आए हैं। पर वहाँ उन्होंने भूकंपरोधी मकानों को बनाने की तकनीक सीख ली है। नींव में स्टील के पाइप तथा रबर ‘शॉक एब्जार्बर’ के रूप में रखे जाते हैं। मकान लकड़ी के होते हैं। लगभग पूरे अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय देशों में लकड़ी के मकान बनने के कारण वहाँ जान की हानि काफी कम होती है। जापान में जहाँ प्रतिवर्ष दस हजार से अधिक भूकंप के झटके आते हैं, वैज्ञानिकों ने ‘स्मार्ट मकान’ बनाने की शैली विकसित की है। भूकंप तरंगों, रेडाँन गैस के निकलने की अभिवृद्धि के प्रति संवेदनशील उपकरण लगाकर ये मकान बनाये गए हैं। आधारतल में लगे संवेदनसूचक ये तंत्र तरंगों को पकड़ते हैं। तथा शीघ्रता से यह सूचना कम्प्यूटर तक पहुँचाते हैं। कंप्यूटर तब हाइड्रोलिक पावर उपकरणों को क्रियाशील कर देता है, जो कि शीघ्र ही मकान के गुरुत्वाकर्षण केंद्र को एक स्टील के वजन की मदद से बदल देते हैं।

माना कि भारतवर्ष में यह सब आर्थिक दृष्टि से एवं जनसंख्या को देखते हुए संभव नहीं है, तो भी कम-से-कम बड़े शहरों, विशेषकर संवेदनशील जोन्स में एक ‘माइक्रोजोनेषन तकनीक’ अपनाकर निर्माण को नियंत्रित किया जा सकता है। आपदा प्रबंधन के अंतर्गत भूगर्भ विज्ञानियों का यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण औजार है। सर्वाधिक संवेदनशील जोन्स में बड़े-बहुमंजिली मकान न बनाए जाएँ एवं यदि कुछ चार मंजिल तक के अनिवार्य ही हों, तो उनमें समस्त सावधानियाँ रखी जाएँ।

वैज्ञानिक कहते हैं कि ऐसी त्रासदी में हमें सूचना तंत्र की सक्रियता पर पुनर्विचार करना चाहिए। एरेज्मा के सुपर हरीकेन में भी तथा गुजरात के भूकंप में भी ‘हैम रेडियो’ ही काम आए। अब इसकी आवश्यकता बढ़ गई है कि स्कूल कॉलेजों में हैम रेडियो का विधिवत प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि आपदा आने की स्थिति में तुरंत पहुँचा जा सके। जापान में स्कूली बच्चों को लगातार भूकंप कवायद कराई जाती है। यदि यह क्रम भारत में भी आरंभ हो सके, तो अच्छा है।

ज्योतिर्विदों-वैज्ञानिकों के मत जानने के बाद आइए यह भी जानें कि अध्यात्मवादी क्या कहते हैं। आगामी सात आठ वर्ष द्रष्टा-मनीषियों की दृष्टि से बड़े विषम हैं। अभी भूकंप का ‘शॉकिंग’ प्रभाव पूरे देश पर बना हुआ है। सूखे से सारा राष्ट्र त्रासित है। झारखंड, बिहार में कोयला खदानों में हुई घटनाओं में कई जानें गई हैं। वेदमंत्रों के माध्यम से भू-शोधन संस्कार करने की अभी बड़ी आवश्यकता है। यजुर्वेद के 1/25 मंत्र से सामूहिक आहुतियाँ कम-से-कम सप्ताह में एक बार दी जानी चाहिए। मंत्र यहाँ दिए जा रहे हैं, जिन्हें प्रचारित कर सबके द्वारा प्रयुक्त किया जा सकता है, ताकि पृथ्वी का प्रकोप शांत हो। यजुर्वेद के 1/25 के मंत्र “ऊँ पृथिवि देवयजन्योषध्यास्ते मूलं मा हि श्श् सिषं व्रजं गच्छ गोष्ठानं वर्षतु ते द्यौर्बधान देव सवितः परमास्याँ पृथिव्याँ श्श् षतेन पाषैर्योऽस्मोन्द्वेष्टि यं च वयं द्विष्मस्तमतो मा मौक्॥”

अर्थात् “हे पृथ्वी! आप पर देवों के लिए हवन किया जा रहा है। आप पर उगने वाली औषधियों के मूल को हमारे द्वारा क्षति न पहुँचे। हे मृत्तिके! आप गौओं के निवास स्थान में जाएँ। द्युलोक आप पर यथेष्ट वर्षा करे। हे सृजनकर्ता सविता देव! जो दुष्ट हम सभी को कष्ट पहुँचाता है, जिससे सभी द्वेष करते हैं, उसे विशाल पृथिवी में अपने सैकड़ों बंधनों से बाँध दें, उसे कभी मुक्त न करें।” इस से पृथिवी का पूजन करना चाहिए। यजुर्वेद 35/21 के मंत्र ॐ स्योना पृथिवी नो भवानृक्षरा निवेषनी। यच्छा नः षर्म सप्रथाः। अप नः षोषुचदधम् स्वाहा। अर्थात् “हे पृथिवी देवि! आप हमारे लिए सुखप्रद, संकटों एवं कष्टों से रहित और निवास योग्य हों। आप सम्यक् रूप से विस्तीर्ण होकर हमें सुख एवं शरण प्रदान करें। आप हमारे पापों को भस्मीभूत करके दूर करें।” इस से सामूहिक आहुतियाँ दी जानी चाहिए। परमसत्ता से प्रार्थना की जानी चाहिए कि मानवजाति में सद्बुद्धि का अभिवर्द्धन हो। विश्वभर में शांति का वातावरण बने। अहिंसा प्रधान समाज बने तथा वैश्वीकरण की होड़ से हम पीछे हट, अध्यात्मिक विकास की बात अधिक सोचें।

First 39 41 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • सत्य केवल एक है।
  • परिवर्तन की धुरी बनेगा इक्कीसवीं सदी का विज्ञान
  • Quotation
  • व्यवस्था भी संभल गई (kahani)
  • अखिल विश्व से न्यारा, भारतवर्ष हमारा
  • कठिनाइयों को झेला (kahani)
  • दुग्धा का बलिदान
  • गंदगी में प्रश्रय (kahani)
  • ‘योग का ज्ञान-विज्ञान’
  • कभी भी तंगी नहीं आती (kahani)
  • ऋषि प्रणीत सिद्धाँतों का वैज्ञानिक रूप - होलोग्राफी
  • विजय न्याय की (kahani)
  • हिमालय की छाया में अब उत्तराँचल का विकास कैसा हो?
  • मुख में ग्रास देने की विधि (kahani)
  • सृजन ने किया क्षेत्र का कायाकल्प
  • सच्ची भक्ति (Kahani)
  • काश! विस्मृति स्मृति में बदल जाए
  • दररमंदो के सिर पर हाथ (kahani)
  • यम-नियमः स्वाध्याय - साधना में बोध और सजगता का समावेश
  • आत्महत्या का मनोविज्ञान
  • समृद्धि और प्रसन्नता का मूल (kahani)
  • आस्था और विश्वास के प्रति विद्रोह का नाम है भ्रष्टाचार
  • ध्येय प्राप्ति सुनिश्चित (kahani)
  • संवेदना का धनी वनस्पति जगत्
  • भय मत करो (kahani)
  • एक निष्काम योगी
  • जीवनलक्ष्य की प्राप्ति (kahani)
  • मस्तिष्कीय क्षमताओं के विकास की यज्ञोपचार प्रक्रिया द4ड्ट
  • कब रुकेगा युद्धों का यह सिलसिला
  • धर्मोपदेश में व्यक्त (kahani)
  • अल्लाह का कैदी जा मिला उन्हीं से
  • शिष्य संतुष्ट (kahani)
  • आत्मविकास के चार महत्वपूर्ण सोपान - परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
  • Quotation
  • ज्ञान निरर्थक (kahani)
  • नारी जागरण को समर्पित संवेदना सिक्त पाती
  • अर्पण करने के कारण (kahani)
  • युगगीता-23 - ये यथा माँ प्रपद्यन्ते ताँस्तथैव भजाम्यहम्
  • मझधार में डूबना नहीं पड़ा (kahani)
  • क्या इस महाविनाश से बचा जा सकता था
  • कुछ विशेष सावधानियाँ, जो आपदा प्रबंधन से जुड़ी हैं
  • प्रस्तुत सावधानियाँ (kahani)
  • अपनों से अपनी बात - साधना की धुरी पर संपन्न हो रहा महापूर्णाहुति का अनुयाज
  • अब तक क्या किया गया एवं क्या होना है
  • शक्ति का सदुपयोग
  • शक्ति का सदुपयोग (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj