
अब तक क्या किया गया एवं क्या होना है
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गुजरात के भूकंप को आए चार माह बीतने को आ रहे हैं, पर मानवी संवेदना ने घनीभूत हो किस तरह इस राष्ट्रीय आपदा में कार्य किया है, इसे देखकर कलियुग की वर्तमान स्थिति पर अविश्वास होने लगता है। सभी संगठनों ने एकजुट होकर जीवट-जिजीविषा के धनी कच्छ-सौराष्ट्र के प्राणवानों-नागरिकों में जिस तरह कार्य किया है, उस पर जब भी ग्रंथ लिखा जाएगा, कर्त्तव्यपरायणता के महायज्ञ की कहानी वह सबको सुनाएगा। हाँ, गिद्ध-कौए, नोंचने वाले, खसोटने वाले ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर अपनी पौ-बारह करने वाले कहाँ नहीं होते ? ऐसे घटनाग्रस्त भी घटे हैं, पर जीत देवत्व की हुई है। यही सबसे विधेयात्मक एवं प्रसन्नता देने वाली खबर है।
गायत्री परिवार के परिजनों ने स्थान-स्थान से अपना अंशदान भी भेजा एवं स्वयं समयदान हेतु भी पहुँचे। भारत ही नहीं, विश्व के कोने-कोने से परिजनों ने अपनी आहुतियाँ इस महायज्ञ में दी है। अब कच्छ-सौराष्ट्र के नवनिर्माण का महायज्ञ होना शेष है। स्वाभिमान संपन्न कच्छी औरों से मदद कम ही लेते हैं, संभवतः सरकार को इस क्षेत्र में निराशा ही हाथ लगे कि किसी ने मदद माँगी ही नहीं, परंतु जन-जन का विश्वास स्वैच्छिक संगठनों, आध्यात्मिक संगठनों पर कितना है, यह पिछले दिनों अपनी त्रैमासिक राहत कार्य की साधना में केंद्र के कार्यकर्त्ताओं ने देखा।
राहत कार्य के अंतर्गत गायत्री परिवार द्वारा क्या किया गया, इसका लेखा-जोखा हमने लिया, तो यह निष्कर्ष निकला-
(1) भचाऊ आधार शिविर द्वारा प्रतिदिन पाँच से दस हजार डाइट्स का वितरण 27 जनवरी 21 से 1 मार्च तक किया गया। बाद में 18 मार्च तक इनकी संख्या आधी रह गई एवं फिर इस कार्य को गाँधीधाम-अंजार गायत्री शक्तिपीठ से किया जाने लगा। 18 मार्च से आधार शिविर बंद कर दिया गया।
(2) इसके अतिरिक्त भूकंप पीड़ितों के बीच गाँव-गाँव जाकर 3,61,5 किलोग्राम आटा, 2,62,55 किलोग्राम चावल, 2,31 किलोग्राम चीनी, 28,725 किलोग्राम तेल, 16,115 किलोग्राम दाल, 3,31 किलोग्राम दूध पाउडर, 535 किलोग्राम चाय, 115 किलोग्राम गुड़, 21,75 किलोग्राम नमक भी राशन के रूप में वितरित किया गया। इनके अलावा 42,1 किलोग्राम बाजरा, 42,5 किलोग्राम गेहूँ, 4155 किलोग्राम मसाला, 1,14, फूड पैकेट्स (नमकीन, बिस्किट आदि)। 3,51 पानी के पाउच तथा 2,5, पानी की बोतलें वितरित की गई। यह सारा सामान जिन्हें दिया गया, उनके हस्ताक्षर सहित पूरा रिकार्ड केंद्र में है।
(3) 1,36,131 टेंटस (तालपत्री 18 18) 1,54 कंबल, 1,145 चद्दरें, 55,5 लालटेन तथा 55,8 बर्तन किट (जिसमें रसोई के व दैनिक आवश्यकता के सभी सामान हैं) वितरित किए गए।
(4) कुल मिलाकर 3,67,174 डाइट्स (एक समय का पूरा भोजन) भचाऊ कैंप से अपने पंद्रह वाहनों द्वारा गाँव-गाँव जाकर वितरित किया गया। जो एन. जी. ओ. या सरकारी अधिकारी ड्यूटी पर थे, उनको भी भोजन दिया गया एवं उनके ही पास पहुँचाने की व्यवस्था की गई।
(5) 311 गाँवों में दस चिकित्सकों के दल ने नियमित जाँच-परीक्षण कर चिकित्सा सामग्री पहुँचाई एवं प्रायः अस्सी हजार मरीजों तक यह लाभ पहुँचा। सभी गाँवों की सूची व प्राप्त करने वालों के हस्ताक्षर सहित मौजूद हैं।
(6) दो साल तक चल सके, ऐसे बाँस-चटाई-मजबूत तालपत्री की गोल गुँबदनुमा झोंपड़ियों में स्कूल आरंभ कर दिए गए। ऐसे 8 स्कूल अभी चल रहे हैं। प्रारंभिक मनोवैज्ञानिक आघात से उबरकर बच्चे पढ़ाई भी कर रहे हैं व खेलकूद भी रहे हैं। रहने के लिए इसी तरह की 35 झोंपड़ियों लगभग सत्तर गाँवों में रापर ताल्लुका में तथा 8 गांवों में 4 झोंपड़ियाँ भचाऊ ताल्लुका में दी गई। लीलपर, रामपर, कोंधेंल काँट आदि गाँवों में सारी आबादी इन्हीं में खुशी से रह रही है।
(7) टीन शेड्स के रूप में 15 हाईस्कूल स्तर के विद्यालय भचाऊ नगर तथा आसपास के क्षेत्र में आरंभ कर पाठ्य सामग्री वितरित की गई।
(8) आठ सौ से अधिक गाँवों में शाँतिपाठ किया गया एवं प्रतिदिन 5 से 1 व्यक्तियों द्वारा श्राद्ध-तर्पण आधार शिविर में कराया गया।
(9) भचाऊ नगर के सामने बीस एकड़ की श्री नवीन गया जिसमें 35 परिवार अभी भी रहे हैं।
अब आगे जो किया जाना है, वह बड़ा महत्वपूर्ण है। राहत कार्य गाँधीधाम व अंजार गायत्री शक्तिपीठ से सतत चल रहे हैं। एक गाँव का पूर्ण स्थाई निर्माण बिना किसी सरकारी सहायता के शांतिकुंज करना चाह रहा है। यदि परिजनों का सहयोग मिला, तो सानगढ़ नामक रापर ताल्लुक का यह गाँव प्रायः दो करोड़ रुपयों की राशि से खड़ा हो सकेगा। गाँववासी इसे एक आदर्श ग्राम तीर्थ के रूप में बन के लिए सहमति दे चुके हैं। इसके लिए गाँवों की सूची बन रही है। पशुधन की रक्षा हेतु 3 पशुओं के लिए कैटल कैप तीन स्थान पर खोलने की योजना है। आशा है परमसत्ता कार्य भी कराएगी।