• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • आध्यात्मिक चिकित्सा
    • अथर्वण विद्या की चमत्कारी क्षमता
    • सद्गुरु की कृपा से तरते हैं भवरोग
    • मानवी जीवन आध्यात्मिक रहस्यों से भरा
    • आध्यात्मिक चिकित्सा का मूल है आस्तिकता
    • नैतिकता की नीति, स्वास्थ्य की उत्तम डगर
    • कर्मफल के सिद्धान्त को समझना भी अनिवार्य
    • चित्त के संस्कारों की चिकित्सा
    • पूर्वजन्म के दुष्कर्मों का परिमार्जन जरूरी
    • प्रारब्ध का स्वरूप एवं चिकित्सा में स्थान
    • इन ग्रन्थों में मंत्रों में छिपे पड़े हैं अति गोपनीय प्रयोग
    • आध्यात्मिक निदान- पंचक
    • आध्यात्मिक निदान- पंचक
    • चिकित्सक का व्यक्तित्व तपःपूत होता है
    • ज्योतिर्विज्ञान की अति महती भूमिका
    • तंत्र एक सम्पूर्ण विज्ञान, एक चिकित्सा पद्धति
    • मंत्रविद्या असम्भव को सम्भव बनाती हैं
    • व्यक्तित्व की समग्र साधना हेतु चान्द्रायण तप
    • प्रत्येक कर्म बनें भगवान की प्रार्थना
    • अंतर्मन की धुलाई एवं ब्राह्मीचेतना से विलय का नाम है- ध्यान
    • अति विलक्षण स्वाध्याय चिकित्सा
    • आसन, प्राणायाम, बंध एवं मुद्राओं से उपचार
    • आध्यात्मिक चिकित्सा की प्रथम कक्षा- रेकी
    • वातावरण की दिव्य आध्यात्किम प्रेरणाएँ
    • संयम है प्राण- ऊर्जा का संरक्षण, सदाचार ऊर्ध्वगमन
    • जीवनशैली आध्यात्मिक हो
    • अचेतन की चिकित्सा करने वाला एक विशिष्ट सैनिटोरियम
    • अथर्ववेदीय चिकित्सा पद्धति के प्रणेता युगऋषि
    • भविष्य का सम्पूर्ण व समग्र विज्ञान अध्यात्म
    • पंचशीलों को अपनाएँ, आध्यात्मिक चिकित्सा की ओर कदम बढ़ाएँ
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • आध्यात्मिक चिकित्सा
    • अथर्वण विद्या की चमत्कारी क्षमता
    • सद्गुरु की कृपा से तरते हैं भवरोग
    • मानवी जीवन आध्यात्मिक रहस्यों से भरा
    • आध्यात्मिक चिकित्सा का मूल है आस्तिकता
    • नैतिकता की नीति, स्वास्थ्य की उत्तम डगर
    • कर्मफल के सिद्धान्त को समझना भी अनिवार्य
    • चित्त के संस्कारों की चिकित्सा
    • पूर्वजन्म के दुष्कर्मों का परिमार्जन जरूरी
    • प्रारब्ध का स्वरूप एवं चिकित्सा में स्थान
    • इन ग्रन्थों में मंत्रों में छिपे पड़े हैं अति गोपनीय प्रयोग
    • आध्यात्मिक निदान- पंचक
    • आध्यात्मिक निदान- पंचक
    • चिकित्सक का व्यक्तित्व तपःपूत होता है
    • ज्योतिर्विज्ञान की अति महती भूमिका
    • तंत्र एक सम्पूर्ण विज्ञान, एक चिकित्सा पद्धति
    • मंत्रविद्या असम्भव को सम्भव बनाती हैं
    • व्यक्तित्व की समग्र साधना हेतु चान्द्रायण तप
    • प्रत्येक कर्म बनें भगवान की प्रार्थना
    • अंतर्मन की धुलाई एवं ब्राह्मीचेतना से विलय का नाम है- ध्यान
    • अति विलक्षण स्वाध्याय चिकित्सा
    • आसन, प्राणायाम, बंध एवं मुद्राओं से उपचार
    • आध्यात्मिक चिकित्सा की प्रथम कक्षा- रेकी
    • वातावरण की दिव्य आध्यात्किम प्रेरणाएँ
    • संयम है प्राण- ऊर्जा का संरक्षण, सदाचार ऊर्ध्वगमन
    • जीवनशैली आध्यात्मिक हो
    • अचेतन की चिकित्सा करने वाला एक विशिष्ट सैनिटोरियम
    • अथर्ववेदीय चिकित्सा पद्धति के प्रणेता युगऋषि
    • भविष्य का सम्पूर्ण व समग्र विज्ञान अध्यात्म
    • पंचशीलों को अपनाएँ, आध्यात्मिक चिकित्सा की ओर कदम बढ़ाएँ
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार पद्धति

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


ज्योतिर्विज्ञान की अति महती भूमिका

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 14 16 Last
ज्येातिष की उपयोगिता आध्यात्मिक चिकित्सा के लिए असंदिग्ध है। यदि आध्यात्मिक चिकित्सक की ज्योतिष का सही और समुचित ज्ञान है तो वह रोगी के जीवन का काफी कुछ आकलन कर सकता है। हालाँकि आज के दौर में ज्योतिष विद्या के बारे में अनेकों भ्रान्तियाँ फैली हैं। कई तरह की कुरीतियों, रूढ़ियों व मूढ़ताओं की कालिख ने इस महान विद्या को आच्छादित कर रखा है। यदि लोक प्रचलन एवं लोक मान्यताओं को दरकिनार कर इसके वास्तविक रूप के बारे में सोचा जाय तो इसकी उपयोगिता से इंकार नहीं किया जा सकता। यह व्यक्तित्व के परीक्षा की काफी कारगर तकनीक है। इसके द्वारा व्यक्ति की मौलिक क्षमताएँ, भावी सम्भावनाएँ आसानी से पता चल जाती हैं। साथ ही यह भी मालूम हो जाता है कि व्यक्ति के जीवन में कौन से घातक अवरोध उसकी राह रोकने वाले हैं अथवा प्रारब्ध के किन दुर्योगों को उसे किस समय सहने के लिए विवश होना है।

          लेकिन इसके लिए इसके स्वरूप एवं प्रक्रिया के विषय को जानना जरूरी है। आज का विज्ञान व वैज्ञानिकता इस सत्य को स्वीकारती है कि अखिल ब्रह्माण्ड ऊर्जा का भण्डार है। यह स्वीकारोक्ति यहाँ तक है कि आधुनिक भौतिक विज्ञानी पदार्थ के स्थान पर ऊर्जा तरंगों के अस्तित्व को स्वीकारते हैं। उनके अनुसार पदार्थ तो बस दिखने वाला धोखा है, यथार्थ सत्य तो ऊर्जा ही है। इस सृष्टि में कोई भी वस्तु हो या फिर प्राणि- वनस्पति, वह जन्मने के पूर्व भी ऊर्जा था और मरने के बाद भी ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तरंगों का एक हिस्सा बन जायेगा। विज्ञानविद् एवं अध्यात्मवेत्ता दोनों ही इस सत्य को स्वीकारते हैं कि ब्रह्माण्डव्यापी इस ऊर्जा के अनेकों तल- स्तर एवं स्थितियाँ हैं जो निरन्तर परिवॢतत होती रहती हैं। इनमें यह परिवर्तन ही सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं लय का कारण है।

          हालाँकि यह परिवर्तन क्यों होता है- इस बारे में वैज्ञानिकों एवं अध्यात्मविदों में सैद्धान्तिक असहमति है। वैज्ञानिक दृष्टि जहाँ इस परिवर्तन के मूल कारण मात्र सांयोगिक प्रक्रिया मानकर मौन धारण कर लेती है। वहीं आध्यात्मिक दृष्टिकोण इसे ब्राह्मीचेतना से उपजी सृष्टि प्रकिया की अनिवार्यता के रूप में समझता है। इसके अनुसार मनुष्य जैसे उच्चस्तरीय प्राणी की स्थिति में परिवर्तन उसके कर्मों, विचारों, भावों एवं संकल्प के अनुसार होता है। ज्योतिष विद्या का आधारभूत सब यही है। यद्यपि इस विद्या के विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि जीवन व्यापी परिवर्तन के इस क्रम में ब्रह्माण्डीय ऊर्जा के विविध स्तर भी किसी न किसी प्रकार से मर्यादित होते हैं। ऊर्जा के इन विभिन्न स्तरों को ज्योतिष के विशेषज्ञों ने प्रतीकात्मक संकेतों में वर्गीकृत किया है। नवग्रह, बारह राशियाँ, सत्ताइस नक्षत्र इस क्रमिक वर्गीकरण का ही रूप है। प्रतीक कथाओं, उपभागों एवं रूपकों में इनके बारे में कुछ भी क्यों न कहा गया हो, पर यथार्थ में ये ब्रह्माण्डीय ऊर्जा धाराओं के ही विविध स्तर व स्थितियाँ हैं।

          ज्योतिष के मर्मज्ञ एवं आध्यात्मिक ज्ञान के विशेषज्ञ दोनों ही एक स्वर से इस सच्चाई को स्वीकारते हैं कि मनुष्य के जन्म के क्षण का विशेष महत्त्व है। यूँ तो महत्त्व प्रत्येक क्षण का होता है, पर जन्म का क्षण व्यक्ति को जीवन भर प्रभावित करता रहता है। ऐसा क्यों है? तो इसका आसान सा जवाब यह है कि प्रत्येक क्षण में ब्रह्माण्डीय ऊर्जा की विशिष्ट शक्तिधाराएँ किसी न किसी बिन्दु पर किसी विशेष परिमाण में मिलती हैं। मिलन के इन्हीं क्षणों में मनुष्य का जन्म होता है। इस क्षण में ही यह निर्धारित हो पाता है कि ऊर्जा की शक्तिधाराएँ भविष्य में किस क्रम में मिलेंगी और जीवन में अपना क्या प्रभाव प्रदर्शित करेंगी।
 
          बात केवल मनुष्य की नहीं है, उस क्षण में जन्मने वाले मिट्टी, पत्थर, मकान- दुकान, कुत्ता, बिल्ली, वृक्ष- वनस्पति सभी का सच एक ही है। यही कारण है कि ज्योतिष के मर्मज्ञ व विशेषज्ञ प्रत्येक जड़ या चेतन का ऊर्जा चक्र या कुण्डली तैयार करते हैं। यह चक्र प्रायः ब्रह्माण्डीय ऊर्जा की नव मूल धाराओं या नवग्रह एवं बारह विशिष्ट शक्तिधाराओं या राशियों को लेकर होता है। यदि गणना सही ढंग से की गई है तो इन ऊर्जा धाराओं के सांयोगिक प्रभाव इन पर देखने को मिलते हैं। परन्तु मनुष्य की स्थिति थोड़ी सी भिन्न है। वह न तो जड़ पदार्थों की तरह एकदम अचेतन है और न वृक्ष- वनस्पतियों या अन्य प्राणियों की तरह अर्धचेतन। इसे तो आत्मचेतन कहा गया है। इसमें दूरदर्शी विवेकशीलता का भण्डार है। यही वजह है कि वह स्वयं को अपने ऊपर पड़ने वाले ब्रह्माण्डीय ऊर्जा प्रवाहों के अनुसार समायोजित करने में सक्षम है।

          जहाँ तक ज्योतिष की बात है तो वह जन्म क्षण के अनुसार बनाये गये ऊर्जा चक्र के क्रम में यह निर्धारित करती है कि इस व्यक्ति पर कब कौन सी ऊर्जा धाराएँ किस भाँति प्रभाव डालने वाली हैं। इस चक्र से यह भी पता चलता है कि विगत में किये गये किन कर्मों, संस्कारों अथवा प्रारब्ध के किन कुयोगों अथवा सुयोगों के कारण उसका जन्म इस क्षण में हुआ। यह ज्ञान ज्योतिष का एक भाग है। इसी के साथ इसका दूसरा हिस्सा भी जुड़ा हुआ है। यह दूसरा हिस्सा इन विशिष्ट ऊर्जाधाराओं के साथ समायोजन के तौर- तरीकों से सम्बन्धित है। अर्थात् इसमें यह विधि विज्ञान है कि किन स्थितियों में हम क्या करें? यानि कि क्या उपाय करके मनुष्य अपने जीवन में आने वाले सुयोगों व सौभाग्य को बढ़ा सकता है। और किन उपायों को अपना कर वह अपने कुयोगों को कम अथवा निरस्त कर सकता है।

          प्रत्येक स्थिति को सँवारने के लिए अनेकों विधियाँ हैं और सभी प्रभावकारी हैं। आध्यात्मिक चिकित्सक इनमें से किसी भी विधि को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं। यह सब उनकी विशेषज्ञता पर निर्भर है। हालाँकि इन पंक्तियों में इस सच को स्वीकारने में कोई संकोच नहीं हो रहा है कि आज के दौर में ऐसे विशेषज्ञ व मर्मज्ञ नहीं के बराबर हैं, जो अध्यात्म साधना और ज्योतिष विद्या दोनों में निष्णात हों, पर कुछ दशक पूर्व भारतीय विद्या के महा पण्डित महामहोपाध्याय डॉ. गोपीनाथ कविराज के गुरु स्वामी विशुद्धानन्द जी महाराज के जीवन में यह दुर्गम सुयोग उपस्थित हुआ था। हिमालय के दिव्य क्षेत्र ज्ञानगंज के साधना काल में उन्होंने अपने गुरुओं से अध्यात्म चिकित्सा के साथ ज्योतिष विद्या में भी मर्मज्ञता प्राप्त की थी।

          वह ज्योतिष के तीनों आयामों- १. गणित ज्योतिष, २. योग ज्योतिष एवं देव ज्योतिष में पारंगत थे। गणित ज्योतिष को तो सभी जानते हैं। इसमें जन्म समय के अनुसार गणना करके फलाफल का विचार किया जाता है। योग ज्योतिष में योग विद्या के द्वारा व्यक्ति के माता- पिता के मिलन का पता करते हैं, इसकी गणना गर्भाधान के क्षण से की जाती है, न कि जातक के भूमिष्ट होने के क्षण से। देव ज्योतिष में कई आश्चर्य प्रकट होते हैं। जैसे व्यक्ति के नाम से ही उसकी कुण्डली बना देना। उसके वस्त्र अथवा किसी परिचित व्यक्ति को आधार मानकर उसके जन्म चक्र एवं फलाफल का ठीक- ठीक विवेचन कर देना। व्यक्ति को देखकर उसकी पत्नी अथवा किसी दूर- दराज के रिश्तेदान की जन्म कुण्डली बना देना और उसका सही फलाफल बता देना।

          स्वामी विशुद्धानन्द अपनी अध्यात्म चिकित्सा में ज्योतिष के इन आयामों का समयानुसार उपयोग करते थे। रोहणी कुमार चेल महाशय ने उनके साथ हुए अपने अनुभव को बताते हुए कहा है, कि जब वह पहली बार उनसे मिलने गये तो अपने हैण्ड बैग में स्वयं की एवं पत्नी की कुण्डली लेकर गये थे। मकसद जिन्दगी की कुछ समस्याओं का समाधान पाना था। पर ज्यों ही वह बैठे और कुण्डली निकालने लगे, त्यों ही विशुद्धानन्द जी ने उन्हें टोक दिया और कहा रुको यह कहते हुए उन्होंने किताब के अन्दर रखा कागज निकाला। इस कागज में न केवल उनकी वरन् उनकी पत्नी की कुण्डली थी बल्कि फलाफल आदि का विवरण लिखा था। आश्चर्यचकित रोहणी कुमार चेल ने अपने पास रखी एवं विशुद्धानन्द महाराज द्वारा बतायी गयी कुण्डलियों को मिलाया। इसमें पत्नी की कुण्डली तो एकदम वही था, पर उनकी कुण्डली में जन्म लग्र अलग थी।

          जिज्ञासा करने पर उन्होंने कहा कि मेरी बनायी कुण्डली ही सही है, क्योंकि तुम्हारे पास की कुण्डली यदि सही होती तो तुम साधारण इंसान न होकर अवतार होते। और तुम हमारे पास न आते, बल्कि मैं स्वयं तुम्हारे पास आता। क्योंकि तुम्हारे पास की जो कुण्डली है उसमें वर्णित जन्म लग्र के साथ ब्रह्माण्ड की जो ऊर्जाधाराएँ जिस क्रम में मिल रही थीं, वह सब कुछ असाधारण था। ऐसे समय मंस तो मानव जन्म घटित ही नहीं होता। वह तो एक असाधारण क्षण था। इस वार्तालाप के साथ ही उन्होंने उनकी आध्यात्मिक चिकित्सा के सारे सरंजाम जुटा दिये। इस चिकित्सा की प्रक्रिया में कतिपय तंत्र की तकनीकें भी शामिल थीं।

First 14 16 Last


Other Version of this book



आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार
Type: SCAN
Language: HINDI
...

आध्यात्मिक चिकित्सा एक समग्र उपचार पद्धति
Type: TEXT
Language: HINDI
...

આધ્યાત્મિક ચિકિત્સા
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...


Releted Books



गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

The Absolute Law of Karma
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

युगगीता (भाग-४)
Type: TEXT
Language: EN
...

युगगीता (भाग-४)
Type: TEXT
Language: EN
...

युगगीता (भाग-४)
Type: TEXT
Language: EN
...

युगगीता (भाग-४)
Type: TEXT
Language: EN
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • आध्यात्मिक चिकित्सा
  • अथर्वण विद्या की चमत्कारी क्षमता
  • सद्गुरु की कृपा से तरते हैं भवरोग
  • मानवी जीवन आध्यात्मिक रहस्यों से भरा
  • आध्यात्मिक चिकित्सा का मूल है आस्तिकता
  • नैतिकता की नीति, स्वास्थ्य की उत्तम डगर
  • कर्मफल के सिद्धान्त को समझना भी अनिवार्य
  • चित्त के संस्कारों की चिकित्सा
  • पूर्वजन्म के दुष्कर्मों का परिमार्जन जरूरी
  • प्रारब्ध का स्वरूप एवं चिकित्सा में स्थान
  • इन ग्रन्थों में मंत्रों में छिपे पड़े हैं अति गोपनीय प्रयोग
  • आध्यात्मिक निदान- पंचक
  • आध्यात्मिक निदान- पंचक
  • चिकित्सक का व्यक्तित्व तपःपूत होता है
  • ज्योतिर्विज्ञान की अति महती भूमिका
  • तंत्र एक सम्पूर्ण विज्ञान, एक चिकित्सा पद्धति
  • मंत्रविद्या असम्भव को सम्भव बनाती हैं
  • व्यक्तित्व की समग्र साधना हेतु चान्द्रायण तप
  • प्रत्येक कर्म बनें भगवान की प्रार्थना
  • अंतर्मन की धुलाई एवं ब्राह्मीचेतना से विलय का नाम है- ध्यान
  • अति विलक्षण स्वाध्याय चिकित्सा
  • आसन, प्राणायाम, बंध एवं मुद्राओं से उपचार
  • आध्यात्मिक चिकित्सा की प्रथम कक्षा- रेकी
  • वातावरण की दिव्य आध्यात्किम प्रेरणाएँ
  • संयम है प्राण- ऊर्जा का संरक्षण, सदाचार ऊर्ध्वगमन
  • जीवनशैली आध्यात्मिक हो
  • अचेतन की चिकित्सा करने वाला एक विशिष्ट सैनिटोरियम
  • अथर्ववेदीय चिकित्सा पद्धति के प्रणेता युगऋषि
  • भविष्य का सम्पूर्ण व समग्र विज्ञान अध्यात्म
  • पंचशीलों को अपनाएँ, आध्यात्मिक चिकित्सा की ओर कदम बढ़ाएँ
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj