
बच्चों के शौक तथा रुचिकर कार्य
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बिना शौक के बच्चे की क्या बूढ़े तक की जिन्दगी निरस रहती है। क्या बड़े क्या छोटे सभी के जीवन में किसी न किसी शौक के कारण एक जोश, एक फुर्ती सी रहती है। आप सारे दिन काम करते रहें, थककर चूर हो जांय, किन्तु थके होने पर भी जब आप अपने शौक के काम लग जायेंगे, तो पल भर में फिर तरोताजा हो उठेंगे। शौक के काम से मनुष्य में नया उत्साह आ जाता है।
प्रत्येक बालक के शौक का चुनाव बड़ी सावधानी से करना चाहिए। शौक ऐसा हो जिससे आनन्द के साथ कुछ शिक्षा भी मिलती रहे। पश्चिमी देशों के बच्चों के खेल इसी दृष्टि से चुने जाते हैं। प्रत्येक शौक से बालक कुछ न कुछ सीखते हैं। अनेक बार यही शौक आगे चलकर बच्चों को जीवन के लिए रोजगार का रास्ता खोल देते हैं। टिकट इकट्ठा करने के शौक को ही लीजिए। अनेक बालक देश-विदेश के भांति-भांति के टिकट इकट्ठा करते हैं। टिकटों के द्वारा बालक को भिन्न-भिन्न देशों के इतिहास की झांकी मिलती है, विचित्र भाषाओं का ज्ञान होता है, पारस्परिक अदला बदली से प्रेम तथा सद्भावनाएं बढ़ती हैं। टिकट-जैसी वस्तुओं के संग्रह में बड़ा आनन्द आता है। बच्चे छोटे-छोटे एलबम रखते और उनमें सफाई से टिकट लगाते जाते हैं, चिपकाते नहीं। चिपकाने से टिकट की सुन्दरता जाती रहती है। एलबम के चार छेदों में, टिकट के कौने फंस जाते हैं।
प्रत्येक देश के टिकट में एक छोटा-सा चित्र होता है। इस चित्र के द्वारा प्रायः बड़े विचित्र दृश्य दिखलाये जाते हैं। अमरीका के टिकट विचित्रता में सबसे बढ़े हुए हैं। उनमें महान् व्यक्तियों से लेकर प्रसिद्ध स्थानों और साहित्यिक प्रसंगों के चित्र रहते हैं।
डेमिनिका नामक प्रजातन्त्र राज्य डाक के टिकटों पर अपने देश का नक्शा छापा करता था। आयरिश फ्री स्टेट और सोवियत रूस ने अनेक बार अपने डाक के टिकटों का उपयोग प्रचार-कार्य के लिए किया है। सर्विया की राजमाता ने अपने बेटे के खून का बदला किस प्रकार लिया था, इसका भण्डाफोड़ डाक के एक टिकट में किया था। सर्विया में राजा अलेक्जेण्डर के जीवन से सम्बन्धित सभी तस्वीरें डाक-टिकटों पर छापी गई थीं। श्री शंकरदेव ने लिखा है कि ब्रिटिश गायना का एक टिकट दो लाख रुपये का है। यह टिकट 1856 में छपा था। अमरीका के कुछ टिकटों पर कृषि-सम्बन्धी चित्र छापे गए हैं। फसलों, कृषि के जानवरों तथा कृषि का ज्ञान बढ़ाने वाले चित्र इन पर छपे हैं। टिकट इकट्ठा करने का शौक बालक का ज्ञान बढ़ाता है।
टिकटों की भांति बालक तरह-तरह की छोटी-छोटी वस्तुओं का संग्रह कर सकते हैं, जैसे—दियासलाई के बक्सों के ऊपर के लेबिल, चाय के लेबिल, साबुन, रंगों के डिब्बे, सुन्दर-सुन्दर चित्र, पत्र-पत्रिकाएं, खिलौने, पुस्तकें, नामी लोगों के हस्ताक्षर तितलियां, कीड़े, मेडिल, कविताएं, रबड़ की वस्तुएं इत्यादि।
जिस वस्तु का संग्रह बच्चे करें, उसके लिए संग्रह योग्य सामान तैयार करलें। महान् व्यक्तियों के हस्ताक्षर इकट्ठे करने के लिए कोई बढ़िया-सी डायरी लें। पत्र-पत्रिकाएं करीने से किसी अलमारी में संभाल कर रक्खें। तितलियां मरी हुई ही रक्खी जाती हैं। कीड़ों को मारकर स्प्रिट इत्यादि में भिगो कर रक्खा जाता है। इसकी विधि किसी जानकार से सीखनी चाहिए। कविताओं के लिए भी एक एलबम या फाइल रखनी चाहिये।
छोटे बच्चे पालतू जानवर रख सकते हैं। कुत्ता, बिल्ली, नेवला, चूहे, बन्दर, भांति-भांति की चिड़ियां, जैसे कबूतर, तोता, मैना, मुर्गा, बतख, मोर इत्यादि। कुत्तों का शौक सबसे अधिक बालकों में पाया जाता है। चिड़ियों के पालने में प्रायः बालकों को बड़ा सतर्क रहना चाहिए। छोटी-छोटी चिड़ियां अन्न-पानी की लापरवाही अथवा कुत्ते-बिल्ली की झपेट से या बीमारी से प्रायः मर जाती हैं। बन्दर पालने में बड़ा आनन्द आता है। वे केले और मूंगफली बहुत पसन्द करते हैं। कुछ बन्दर बड़े चालाक होते हैं। वे धोखा भी दे देते हैं। एक व्यक्ति ने शहद की मक्खियां पाल रक्खी थीं। उन्हें बड़ा सतर्क रहना पड़ता था। एक अंग्रेज ने गिलहरी को अपना सबसे बड़ा मित्र माना था। पारस्परिक पत्र-व्यवहार का शौक बालकों के लिए उत्तम है। सैकड़ों मील पर रहने वाले दो हृदय एक साधारण से शौक को आपस में पाकर बड़े प्रसन्न होते हैं। वे आपस में जानने योग्य बहुत-सी बातें सीखते हैं। इस मित्रता में जाति, धर्म और देश रुकावट नहीं डालते। वे किसी विषय—सामाजिक, घरेलू, व्यावसायिक, शिक्षा, समाज की नई व्यवस्था, सुधार या राजनैतिक बातों पर विचार अदल-बदल सकते हैं। अनेक व्यक्ति इस पत्र-व्यवहार से ऐसे मित्र पा जाते हैं, जो जन्म भर उनके साथ रहते हैं। मित्रता से कई मामले हल होते हैं। पत्र-व्यवहार में इन बातों पर प्रकाश डाला जा सकता है—
(1) देश-विदेश के समाचार, रस्म, रिवाज।
(2) चित्रों की अदला-बदली—नगरों, जानवरों, चिड़ियों, प्राकृतिक दृश्यों, नेताओं, फिल्म-स्टारों, पौधों, पुष्पों, टिकटों और बीजों के चित्र।
(3) पहेलियों के उत्तर।
(4) यात्रा के वृत्तान्त, पैदल यात्राओं के कार्यक्रम।
(5) घुड़सवारी, मोटर या साइकिल सवारी।
(6) हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट, टेनिस इत्यादि का ज्ञान।
(7) नृत्यकला-संगीत और बाजों का परिचालन।
(8) फोटोग्राफी तथा फोटो बनाने की कला।
(9) लेखन-कला, स्वास्थ्य-विषयक लेख, कविताएं।
(10) तरह-तरह की वस्तुएं बनाना—जैसे साबुन, इत्र, कागज, रोशनाई, जिल्दबन्दी, शाक-सब्जी, मिठाइयां, बढ़ई का काम, लुहार का काम।
(11) पोशाक, श्रृंगार के सामान, दुग्धशालाओं का काम, पत्रिकाओं का प्रकाशन, साहित्य-निर्माण, मोजे-स्वेटर बुनना, छपाई, खिलौने बनाना, मिट्टी और रंगीन कागज के खिलौने इत्यादि।
बालकों में लिखने का शौक उत्पन्न करने के लिए छोटी-छोटी हस्तलिखित पत्रिकाएं निकालना बड़ा लाभदायक है। बाल लेखकों की रचनाएं यदि सुन्दर कागज पर लिखकर एक पत्रिका के रूप में बना ली जांय, तो यही शौक बढ़ते-बढ़ते उन्हें लेखक एवं पत्रकार तक बना सकता है। इससे उनकी शिक्षा में भी खासी उन्नति होती है। लिखने का शौक सर्वोत्तम है। लेखन कला में चतुर होने के लिए बालकों को नित्य कुछ न कुछ लिखना चाहिए—अखबार, पत्र-पत्रिकाएं, पुस्तकें खूब पढ़नी चाहिए। उनके पढ़ने से बहुत से विचार उत्पन्न होंगे, कितनी ही कहानियों के कथानक मिल जायेंगे। समाचार-पत्रों में छापने वाली चिट्ठी-पत्री और सम्पादकीय लेख इस सम्बन्ध में बहुत सहायता दे सकते हैं। लेखक बनने के लिए प्रतिदिन कुछ न कुछ अवश्य लिखा जाय। नियमित रूप से प्रतिदिन खिलते रहने से भाव ठोस हो जाते हैं और भाषा प्रवाह आ जाता है। फोटोग्राफी कीमती शौक है। इसमें बहुत सीखना पड़ता है। तस्वीरें साफ नहीं आतीं, धन बहुत लगता है। जिसके पास इसके लिए साधन हैं, उन्हें इसे अवश्य सीखना चाहिये।
पतंग उड़ाना और ताश खेलना, यदि सीमा के भीतर रहकर किया जाय तो बुरा नहीं। पतंग जहां तक हो, छत पर न उड़ाना चाहिये। नये-नये सिक्के इकट्ठे करना और ऐतिहासिक महत्व की अन्य वस्तुएं एकत्र करना भी बड़ा लाभदायक सिद्ध हो सकता है सिक्के प्रायः कीमती होते हैं, लेकिन इनसे ज्ञान बहुत बढ़ सकता है। सिनेमा देखने का शौक अधिक अच्छा नहीं है, किन्तु बड़ों की सलाह से मिकीमाउस तथा जंगलों के चित्र और धार्मिक फिल्म देखने से काफी लाभ हो सकता है। हमारी राय में बच्चे फुलवारी लगाने—फल, बेलें और पुष्प उत्पन्न करने का शौक करें। इससे उनको बड़ा आनन्द मिलेगा।
प्रत्येक बालक के शौक का चुनाव बड़ी सावधानी से करना चाहिए। शौक ऐसा हो जिससे आनन्द के साथ कुछ शिक्षा भी मिलती रहे। पश्चिमी देशों के बच्चों के खेल इसी दृष्टि से चुने जाते हैं। प्रत्येक शौक से बालक कुछ न कुछ सीखते हैं। अनेक बार यही शौक आगे चलकर बच्चों को जीवन के लिए रोजगार का रास्ता खोल देते हैं। टिकट इकट्ठा करने के शौक को ही लीजिए। अनेक बालक देश-विदेश के भांति-भांति के टिकट इकट्ठा करते हैं। टिकटों के द्वारा बालक को भिन्न-भिन्न देशों के इतिहास की झांकी मिलती है, विचित्र भाषाओं का ज्ञान होता है, पारस्परिक अदला बदली से प्रेम तथा सद्भावनाएं बढ़ती हैं। टिकट-जैसी वस्तुओं के संग्रह में बड़ा आनन्द आता है। बच्चे छोटे-छोटे एलबम रखते और उनमें सफाई से टिकट लगाते जाते हैं, चिपकाते नहीं। चिपकाने से टिकट की सुन्दरता जाती रहती है। एलबम के चार छेदों में, टिकट के कौने फंस जाते हैं।
प्रत्येक देश के टिकट में एक छोटा-सा चित्र होता है। इस चित्र के द्वारा प्रायः बड़े विचित्र दृश्य दिखलाये जाते हैं। अमरीका के टिकट विचित्रता में सबसे बढ़े हुए हैं। उनमें महान् व्यक्तियों से लेकर प्रसिद्ध स्थानों और साहित्यिक प्रसंगों के चित्र रहते हैं।
डेमिनिका नामक प्रजातन्त्र राज्य डाक के टिकटों पर अपने देश का नक्शा छापा करता था। आयरिश फ्री स्टेट और सोवियत रूस ने अनेक बार अपने डाक के टिकटों का उपयोग प्रचार-कार्य के लिए किया है। सर्विया की राजमाता ने अपने बेटे के खून का बदला किस प्रकार लिया था, इसका भण्डाफोड़ डाक के एक टिकट में किया था। सर्विया में राजा अलेक्जेण्डर के जीवन से सम्बन्धित सभी तस्वीरें डाक-टिकटों पर छापी गई थीं। श्री शंकरदेव ने लिखा है कि ब्रिटिश गायना का एक टिकट दो लाख रुपये का है। यह टिकट 1856 में छपा था। अमरीका के कुछ टिकटों पर कृषि-सम्बन्धी चित्र छापे गए हैं। फसलों, कृषि के जानवरों तथा कृषि का ज्ञान बढ़ाने वाले चित्र इन पर छपे हैं। टिकट इकट्ठा करने का शौक बालक का ज्ञान बढ़ाता है।
टिकटों की भांति बालक तरह-तरह की छोटी-छोटी वस्तुओं का संग्रह कर सकते हैं, जैसे—दियासलाई के बक्सों के ऊपर के लेबिल, चाय के लेबिल, साबुन, रंगों के डिब्बे, सुन्दर-सुन्दर चित्र, पत्र-पत्रिकाएं, खिलौने, पुस्तकें, नामी लोगों के हस्ताक्षर तितलियां, कीड़े, मेडिल, कविताएं, रबड़ की वस्तुएं इत्यादि।
जिस वस्तु का संग्रह बच्चे करें, उसके लिए संग्रह योग्य सामान तैयार करलें। महान् व्यक्तियों के हस्ताक्षर इकट्ठे करने के लिए कोई बढ़िया-सी डायरी लें। पत्र-पत्रिकाएं करीने से किसी अलमारी में संभाल कर रक्खें। तितलियां मरी हुई ही रक्खी जाती हैं। कीड़ों को मारकर स्प्रिट इत्यादि में भिगो कर रक्खा जाता है। इसकी विधि किसी जानकार से सीखनी चाहिए। कविताओं के लिए भी एक एलबम या फाइल रखनी चाहिये।
छोटे बच्चे पालतू जानवर रख सकते हैं। कुत्ता, बिल्ली, नेवला, चूहे, बन्दर, भांति-भांति की चिड़ियां, जैसे कबूतर, तोता, मैना, मुर्गा, बतख, मोर इत्यादि। कुत्तों का शौक सबसे अधिक बालकों में पाया जाता है। चिड़ियों के पालने में प्रायः बालकों को बड़ा सतर्क रहना चाहिए। छोटी-छोटी चिड़ियां अन्न-पानी की लापरवाही अथवा कुत्ते-बिल्ली की झपेट से या बीमारी से प्रायः मर जाती हैं। बन्दर पालने में बड़ा आनन्द आता है। वे केले और मूंगफली बहुत पसन्द करते हैं। कुछ बन्दर बड़े चालाक होते हैं। वे धोखा भी दे देते हैं। एक व्यक्ति ने शहद की मक्खियां पाल रक्खी थीं। उन्हें बड़ा सतर्क रहना पड़ता था। एक अंग्रेज ने गिलहरी को अपना सबसे बड़ा मित्र माना था। पारस्परिक पत्र-व्यवहार का शौक बालकों के लिए उत्तम है। सैकड़ों मील पर रहने वाले दो हृदय एक साधारण से शौक को आपस में पाकर बड़े प्रसन्न होते हैं। वे आपस में जानने योग्य बहुत-सी बातें सीखते हैं। इस मित्रता में जाति, धर्म और देश रुकावट नहीं डालते। वे किसी विषय—सामाजिक, घरेलू, व्यावसायिक, शिक्षा, समाज की नई व्यवस्था, सुधार या राजनैतिक बातों पर विचार अदल-बदल सकते हैं। अनेक व्यक्ति इस पत्र-व्यवहार से ऐसे मित्र पा जाते हैं, जो जन्म भर उनके साथ रहते हैं। मित्रता से कई मामले हल होते हैं। पत्र-व्यवहार में इन बातों पर प्रकाश डाला जा सकता है—
(1) देश-विदेश के समाचार, रस्म, रिवाज।
(2) चित्रों की अदला-बदली—नगरों, जानवरों, चिड़ियों, प्राकृतिक दृश्यों, नेताओं, फिल्म-स्टारों, पौधों, पुष्पों, टिकटों और बीजों के चित्र।
(3) पहेलियों के उत्तर।
(4) यात्रा के वृत्तान्त, पैदल यात्राओं के कार्यक्रम।
(5) घुड़सवारी, मोटर या साइकिल सवारी।
(6) हॉकी, फुटबाल, क्रिकेट, टेनिस इत्यादि का ज्ञान।
(7) नृत्यकला-संगीत और बाजों का परिचालन।
(8) फोटोग्राफी तथा फोटो बनाने की कला।
(9) लेखन-कला, स्वास्थ्य-विषयक लेख, कविताएं।
(10) तरह-तरह की वस्तुएं बनाना—जैसे साबुन, इत्र, कागज, रोशनाई, जिल्दबन्दी, शाक-सब्जी, मिठाइयां, बढ़ई का काम, लुहार का काम।
(11) पोशाक, श्रृंगार के सामान, दुग्धशालाओं का काम, पत्रिकाओं का प्रकाशन, साहित्य-निर्माण, मोजे-स्वेटर बुनना, छपाई, खिलौने बनाना, मिट्टी और रंगीन कागज के खिलौने इत्यादि।
बालकों में लिखने का शौक उत्पन्न करने के लिए छोटी-छोटी हस्तलिखित पत्रिकाएं निकालना बड़ा लाभदायक है। बाल लेखकों की रचनाएं यदि सुन्दर कागज पर लिखकर एक पत्रिका के रूप में बना ली जांय, तो यही शौक बढ़ते-बढ़ते उन्हें लेखक एवं पत्रकार तक बना सकता है। इससे उनकी शिक्षा में भी खासी उन्नति होती है। लिखने का शौक सर्वोत्तम है। लेखन कला में चतुर होने के लिए बालकों को नित्य कुछ न कुछ लिखना चाहिए—अखबार, पत्र-पत्रिकाएं, पुस्तकें खूब पढ़नी चाहिए। उनके पढ़ने से बहुत से विचार उत्पन्न होंगे, कितनी ही कहानियों के कथानक मिल जायेंगे। समाचार-पत्रों में छापने वाली चिट्ठी-पत्री और सम्पादकीय लेख इस सम्बन्ध में बहुत सहायता दे सकते हैं। लेखक बनने के लिए प्रतिदिन कुछ न कुछ अवश्य लिखा जाय। नियमित रूप से प्रतिदिन खिलते रहने से भाव ठोस हो जाते हैं और भाषा प्रवाह आ जाता है। फोटोग्राफी कीमती शौक है। इसमें बहुत सीखना पड़ता है। तस्वीरें साफ नहीं आतीं, धन बहुत लगता है। जिसके पास इसके लिए साधन हैं, उन्हें इसे अवश्य सीखना चाहिये।
पतंग उड़ाना और ताश खेलना, यदि सीमा के भीतर रहकर किया जाय तो बुरा नहीं। पतंग जहां तक हो, छत पर न उड़ाना चाहिये। नये-नये सिक्के इकट्ठे करना और ऐतिहासिक महत्व की अन्य वस्तुएं एकत्र करना भी बड़ा लाभदायक सिद्ध हो सकता है सिक्के प्रायः कीमती होते हैं, लेकिन इनसे ज्ञान बहुत बढ़ सकता है। सिनेमा देखने का शौक अधिक अच्छा नहीं है, किन्तु बड़ों की सलाह से मिकीमाउस तथा जंगलों के चित्र और धार्मिक फिल्म देखने से काफी लाभ हो सकता है। हमारी राय में बच्चे फुलवारी लगाने—फल, बेलें और पुष्प उत्पन्न करने का शौक करें। इससे उनको बड़ा आनन्द मिलेगा।