मानसिक विकास का अटल नियम
.jpg)
जिस प्रकार के विचार हम नित्य किया करते हैं, उन्हीं विचारों के अणुओं का मस्तिष्क में संग्रह होता रहता है। मस्तिष्क का उपयोग उचित और सत्कार्यों में करने से, उसे आलसी निकम्मा न छोड़ने से, मानसिक शक्ति का विकास होता है।
मस्तिष्क को उत्तम या निकृष्ट बनाना तुम्हारे हाथ में ही है। सोचो, विचारो तथा मनन करो। क्रोध करने से क्रोध वाले अणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। चिंता, शोक, भय व खेद करने से इन्हीं कुविचारों के अणुओं का तुम पोषण करते हो और मस्तिष्क को निर्बल बनाते हो। भूतकाल की दुर्घटनाओं या दु:खद प्रसंग को स्मरण कर, खेद या शोक के वशीभूत होकर मस्तिष्क को निर्बल मत बनाओ। शरीर में बल होते हुए भी उसका उपयोग न करने से बल क्षीण होता है।
इसी प्रकार बिना विचार के मस्तिष्क भी क्षीण होता है। नवीन विचारों का मन में स्वागत करने से मस्तिष्क का मानस-व्यापार व्यापक होता है तथा मन प्रफुल्लित हो जाता है, जीवन व बल की वृद्धि होती है, मन व बुद्धि तेजस्वी बनते हैं। जो विचार हमारे मस्तिष्क में हैं, वे ही हमारे जीवन को बनाने वाले हैं। जिस कला के विचार तथा अभ्यास करोगे, उसी में निपुणता मिलेगी। मस्तिष्क के जिस भाग का उपयोग करोगे, उसी की शक्तियों का विकास होगा।
अखण्ड ज्योति-जुलाई 1946 पृष्ठ 10
Recent Post
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 30)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा:Read More
.gif)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 29)— गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा
गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा:—

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 28)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 27)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:—

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 26)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से ...

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 25)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:&mdas...
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 24)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:

.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 22)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:
.jpg)
हमारी वसीयत और विरासत (भाग 21)— दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह
दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:—
Read More
View count
Popular Post

मौनं सर्वार्थ साधनम
मौन साधना की अध्यात्म-दर्शन में बड़ी महत्ता बतायी गयी है। कहा गया है “मौनं सर्वार्थ साधनम्।” मौन रहने से सभी कार्य पूर्ण होते हैं। महात...

प्रयागराज महाकुम्भ में 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है गायत्री परिवार का शिविर
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ में गायत्री परिवार द्वारा शिविर 13 जनवरी स...

अध्यात्मवाद
वर्तमान की समस्त समस्याओं का एक सहज सरल निदान है- ‘अध्यात्मवाद’। यदि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आर्थिक जैसे सभी क्षेत्रों में अध्यात्मवा...

आद डॉ पंड्या आबूधाबी UAE में -संयुक्त राष्ट्र के अंग AI Faith & Civil Society Commission के मुख्य प्रवक्ता
मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ के सफल आयोजन के उपरान्तअखिल विश्व गायत्री परिवार प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्य...

आत्मबल
महापुरुष की तपस्या, स्वार्थ-त्यागी का कष्ट सहन, साहसी का आत्म-विसर्जन, योगी का योगबल ज्ञानी का ज्ञान संचार और सन्तों की शुद्धि-साधुता आध्यात्मिक बल...

देश दुनिया में हो रहा युग चेतना का विस्तार ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या जी अपने सात दिवसीय विदेश प्रवास के बाद आज स्वदेश लौटे।
हरिद्वार 12 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प...

जहर की पुड़िया रखी रह गई
मेरे दादा जी की गिनती इलाके के खानदानी अमीरों में होती थी। वे सोने-चाँदी की एक बड़ी दुकान के मालिक थे। एक बार किसी लेन-देन को लेकर दादाजी और पिताजी ...

स्नेह सलिला, परम श्रद्धेया जीजी द्वारा एक विशाल शिष्य समुदाय को गायत्री मंत्र से दीक्षा
गुरु का ईश्वर से साक्षात संबंध होता है। गुरु जब अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का कुछ अंश शिष्य को हस्तांतरित करता है तो यह प्रक्रिया गुरु दीक्षा कहलाती है।...

श्रद्धेयद्वय द्वारा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के सफलतापूर्वक समापन के बाद शांतिकुंज लौटी टीम के साथ समीक्षा बैठक
Read More

मुंबई अश्वमेध महायज्ञ से नई ऊर्जा लेकर वापस पहुंचे टाटानगर गायत्री परिवार के कार्यकर्ता
परम श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या एवं स्नेहसलीला परम श्रद्धेया दीदी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन एवं दलनायक परम आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी के कुशल नेतृत्व मे...