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Magazine - Year 1956 - Version 2

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मनुष्य की अद्भुत स्मरण शक्ति

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( प्रो॰ रामचरण महेन्द्र, एम॰ ए॰ )

मनुष्य के ज्ञान की वृद्धि करने और संसार के ज्ञान को बढ़ाने वाली शक्तियों में मनुष्य के मस्तिष्क की स्मरण शक्ति महत्वपूर्ण है। अन्य जीवों की अपेक्षा मनुष्य में स्मरण शक्ति विशेष विकसित रूप में पाई जाती है। ज्ञान भंडार को बढ़ाने में इसका प्रमुख स्थान है। लेखकों, इतिहासकारों, वक्ताओं, ऋषि मुनियों का ज्ञान उनकी स्मृति में संचित रहता है। जब पुस्तकें नहीं थीं, तो अध्यापकों का मस्तिष्क ही पुस्तकें थीं, और उनकी स्मरण शक्ति के कारण ही उनका इतना मूल्य था। जो कुछ वे उच्चारण करते थे, उसे शिष्य को अपनी स्मृति में धारण करना पड़ता था। पुस्तकों के प्रचार से स्मरण शक्ति निर्बल हो गई है फिर भी अनेक शक्तियों में अद्भुत स्मरण- शक्ति पाई गई है और आज भी पाई जाती है।

अंग्रेजी भाषा में लार्ड वायरन, मैकाले अपनी स्मरणशक्ति के कारण बहुत प्रसिद्ध रहे हैं। लार्ड मैकाले के मस्तिष्क की तुलना ब्रिटिश म्यूजम लाइब्रेरी, लंदन के विशाल पुस्तकालय से की गई है। कहते हैं कि जिस विषय पर उसे आवश्यकता होती थी, उसी के सम्बन्ध में असीमित ज्ञान निर्भर उसमें से बह निकलता था। उपन्यास, कहानी, भ्रमण या इतिहास किसी भी विषय पर वे धाराप्रवाह बोल सकते थे। वे जो भी पुस्तक पढ़ते थे, उन्हें शब्द-शब्द स्मरण रह जाता था। मिल्टन “पैराडाइज़ लास्ट” जैसा महाकाव्य उन्होंने एक रात्रि में याद कर डाला था। कवि बायरन के विषय में कहा जाता है कि उन्होंने जितनी भी कविताएँ लिखी थीं, जीवन के अंतिम क्षणों तक कंठस्थ थीं। लार्ड बेकन की स्मरणशक्ति इतनी तीव्र थी कि अपने लिखे हुए निबन्ध वे शब्द व शब्द बोल देते थे। अमेरिका के प्रसिद्ध वनस्पति विशेषज्ञ असाग्रे की स्मरणशक्ति इतनी तीव्र थी कि उन्हें 25000 वनस्पतियों के नाम स्मरण थे। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति राजनीतिज्ञ थेडोर रुज़वेल्ट जिससे एक बार मिलते थे, आयु भर उसे नहीं भूलते थे। कहते हैं एक बार जापान में वह एक बैकंद से 15 वर्ष बाद बाजार में अकस्मात् मिले तो देखते ही उनका नाम पुकारा और बातचीत प्रारम्भ कर दीं और आपको आश्चर्य होगा कि वार्त्तालाप का विषय 15 वर्ष पूर्व का विवाद था। दक्षिणी अफ्रीका के भूतपूर्व प्रधान मंत्री जनरल स्मटस को अपने पुस्तकालय की प्रत्येक पुस्तक का प्रत्येक शब्द पृष्ठ और परिच्छेद स्मरण था और यह बता सकते थे कि अमुक पुस्तक अमुक अलमारी में रखी है और अमुक पृष्ठ पर अमुक शब्द लिखे हैं। भारत के क्रान्तिकारी नेता श्री हरदयाल की अद्भुत स्मरण शक्ति के विषय में अनेक कथाएँ प्रसिद्ध हैं। कहते हैं कि एक बार एक साथ चार व्यक्तियों की चार अलग अलग भाषाओं की पुस्तकें पढ़ीं। समाप्त होने पर चारों पुस्तकों का एक शब्द सुना दिया।

उपर्युक्त कुछ उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि यदि प्रयत्न, अभ्यास और श्रम किया जाय, तो आज भी हम अपनी स्मरणशक्ति को बढ़ा सकते हैं। अन्य उच्च शक्तियों की तरह प्रत्येक व्यक्ति में स्मरण शक्ति विद्यमान है।

आपने यह गलत धारणा बना ली है कि आपकी याददाश्त निर्बल है। स्मरण रखना एक प्रकार का मानसिक मार्ग है जिसे टहलने, बातचीत करने, भोजन करने, ध्वनि पहचानने ही की भाँति पृथक पृथक स्पष्ट करना पड़ता है। ये सब कार्य आपने बचपन में सीख थे और उपर्युक्त सब क्रियाएँ आप स्वतः पूर्ण कर सकते हैं। आपके चेतन मस्तिष्क को इन क्रियाओं के करने में कोई विशेष श्रम नहीं करना पड़ता। मानस पटल पर स्वतः ही मानस चित्र बनते जाते हैं और अतीत मूर्तिमान होता रहता है। स्मृति एक प्रकार की आदत है और उसके लिए श्रम और अभ्यास की आवश्यकता है। कोई भी चेष्टा करने से अपनी स्मरण शक्ति का विकास कर सकता है।

हम बातें, वस्तुएँ, व्यक्तियों को क्यों भूलते हैं? कारण यह है कि हम नवीन ज्ञान को पुराने संचित ज्ञान से नहीं जोड़ते। अलग अलग पड़े हुए ज्ञान या अनुभव कण एकदम भूल जाते हैं, पर यदि हम नए अनुभवों या ज्ञान को स्मृति कोष में संचित पुराने ज्ञान से संयुक्त कर दें, तो नई बातें अटकी रह जाती हैं और भूलती नहीं। केवल हमें संयुक्तिकरण या पुराने ज्ञान से नया ज्ञान संयुक्त करने की आवश्यकता है।

विलियम जेम्स लिखते हैं, “मानसिक क्षेत्र में जितना भी पुराने ज्ञान से नया ज्ञान मिलाकर, संयुक्त कर, नई बातों को पुरानी बातों से मिलाकर रखा जायगा, उतना ही हम नई बातों को याद रख सकेंगे। प्रत्येक पुरानी बात से संयुक्त होकर नई बात याद रहती है। पुरानी बात एक हुक या कड़ी की तरह है, जिसमें नई बात अटक जाती है। जैसे कटुँवे मछली अटक कर ऊपर आ जाती है, उसी प्रकार पुराने संचित विचारों से बँधी हुई नई जानकारी हमें याद रहती है।”

अतः नई वस्तुओं, विचारों, व्यक्तियों को अपने मस्तिष्क में मौजूद संचित ज्ञान राशि से संयुक्त करते रहिए। आदमी को उसके पेशे या स्थान से मिलाकर याद रख सकते हैं। एक ही प्रकार के विचारों को साथ-साथ संयुक्त कर याद रखा जा सकता है।

जिस वस्तु या विचार को याद रखना है, उसे बढ़ा-चढ़ाकर मन में विकसित दीर्घ मानस-चित्र बनाकर देखिए। बार-बार लम्बे मानस-चित्र चेतना के स्तर पर रखने से वस्तुएँ और विचार याद रहते हैं। मानस चित्रों के निर्माण का अभ्यास निरन्तर करते रहिए।

स्मृति को बढ़ाने का एक तत्त्व क्रिया (एक्शन) है जो वस्तुएँ हिलती रहती हैं, हम उनकी ओर अधिक आकृष्ट हो जाते हैं। थियेटर में जनता हिलने-डुलने या तेजी से क्रियाएँ करने वाले अभिनेता के प्रति अधिक आकृष्ट होती है। यदि आप अपने विचारों को क्रिया का रूप दे डालें, तो बात जल्दी याद रहेगी। यही कारण है कि जो बात बार-बार उच्चारण करने से याद नहीं रहती , वह बार-बार लिखने से याद हो जाती है। कारण, जितनी देर तक हम कोई बात लिखते हैं, उतनी देर तक वही विचार हमारे मानसिक नेत्रों के सन्मुख रहता है। मन में निरन्तर क्रिया चलती रहती है।

कार्य जितना ही तेज या चकित करने वाला होता है, उतना ही अधिक स्मरण रहता है। यदि आपके साथ कोई खूनी घटना हो जाय, तो सदैव याद रहती है। जिस बात में हमारा जितना अधिक ध्यान या रुचि रहती है, उतनी ही वह स्मरण रहती है। अतः जिन कठिन विषयों को आप याद रखना चाहते हैं, उनके प्रति अपनी रुचि वृद्धि कीजिए। दिलचस्पी बढ़ाने से ध्यान (Attention) जमता है और ध्यान से बातें याद रहने लगती हैं। जितना अधिक ध्यान लगेगा, उतनी अच्छी एकाग्रता होगी। अतः धीरे-धीरे मन को एकाग्र करने का सतत् अभ्यास करना चाहिए। जिस बात को वास्तव में हम याद रखना चाहते हैं, एकाग्रता ध्यान और दिलचस्पी लेकर अवश्य ही हम उसे स्मरण रख सकते हैं। हमें अपने स्मृति कोष से यह चुनना चाहिए कि वास्तव में हम क्या याद रखना चाहते हैं। जिन विचारों को आप चुनें, केवल उन्हीं पर मन को एकाग्र करें।

स्मृति भिन्न-भिन्न प्रकार ही होती हैं। कोई व्यक्ति कविता की पंक्तियाँ अधिक याद रख सकता है, तो दूसरा विसाती की दुकान की सैकड़ों छोटी-छोटी वस्तुएँ, तीसरा पंसारी की दुकान के मसाले, दवाइयाँ इत्यादि। आपः एक कागज पर उन वस्तुओं को लिखिए, जिन्हें एक सभ्य संस्कृत विद्वान् को स्मरण रखना चाहिए। यदि आप डाक्टर हैं, तो आप दवाइयों, मानव शरीर के हिस्सों, हड्डियों आदि को स्मरण रखना आपके लिए उत्तम रहेगा? इतिहासकार को व्यक्तियों के नाम, सन्, तिथियाँ आदि याद रखना काम देगा। इसी प्रकार अध्यापक, राजनीतिज्ञ, नेता, बैंकर या सम्पादक को भिन्न-भिन्न बातें याद रखने से लाभ होगा। अतः अपने काम की बातों को याद रखने में ही ध्यान को एकाग्र कीजिए। निरन्तर अभ्यास करने से ये वस्तुएँ स्वतः याद होने लगेंगी।

मान लीजिए, आप विद्यार्थी हैं, तथा आपको कोई लम्बा पाठ या इतिहास की सामग्री स्मरण करनी है। अथवा आप वक्त हैं और आपको भाषण देने के लिए दस बारह बातें याद रखनी हैं। इसमें भी आप संयुक्तिकरण की युक्ति से काम लें, अर्थात् एक-एक बात को पूर्व संचित तत्व से जोड़कर याद करें। पहले एक बात याद करें, फिर उसी से दूसरी जोड़कर धीरे-धीरे दोनों को दुहरावें। फिर तीसरी जोड़कर तीनों को क्रमानुसार दोहराएं। इसी प्रकार धीरे-धीरे एक-एक नई बात और जोड़ते चलें इस प्रकार आप समूची रूपरेखा स्मरण कर लेंगे। प्रति दिन कुछ समय के लिए पुरानी बातें दोहराते जाने से ज्ञान विस्तृत नहीं होता। विचारों को मजबूती से पकड़िये। छिछले विचार के सामने कोई मानसिक मूर्ति स्पष्ट नहीं आती। बीच में बात याद नहीं रहती। अतः गहनता से सोचने की आदत डालिये। रचनात्मक विचार संगठित रूप से विचार करता है और मन में उनकी मूर्ति स्पष्ट बनाता है।

लेखकों को अपनी स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए स्टीवेन्सन नामक अँग्रेजी लेखक की विधि से काम लेना चाहिए। उनका मत था कि विचार मन में आते हैं और यदि उन्हें मजबूती से पकड़ न लिया जाय, तो वे गायब हो जाते हैं। अतः वे हमेशा एक डायरी साथ रखते थे, जिसमें पेंसिल से नये विचार नोट कर लेते थे। नोट कर लेने से विचार विस्मृत न होते थे। कागज पर लिखे हुए नये विचार बढ़ाये जा सकते हैं और हमारी स्मृति को सहायता देते हैं।

स्मरण शक्ति मन की एक शक्ति है। प्रत्येक शक्ति को विकसित करने का यह नियम है कि उससे अधिक से अधिक काम लिया जाये। जिन शक्तियों से काम लिया जायेगा, वे ही बढ़ेंगी। शेष नष्ट हो जायेंगी। कार्य करने से ही शक्तियाँ बनी रहती हैं, अन्यथा पंगु हो जाती हैं। अतः अपने मस्तिष्क से नित्य नियमित कार्य लेते रहिए। रचना, समन्वय, संघटन, प्रेरणा देना और निर्णय करना, नये-नये विचार कल्पनाएं देना-ये सभी श्रेष्ठ कार्य अपने मस्तिष्क से लेते रहिए। इनमें स्मरणशक्ति काम में आती रहेगी और आप एक कुशल व्यक्ति बने रहेंगे।

स्मरण शक्ति को विकसित करने का निरन्तर अभ्यास करते रहना चाहिए। जैसे आप किसी पुस्तक के अंश को या किसी कविता, किसी पंक्ति को पढ़ लीजिए, फिर पुस्तक बन्द कर मन में धीरे-धीरे उन्हीं अंशों को कहिए या उन्हीं अंशों को लिखने का प्रयत्न कीजिए। इस अभ्यास से स्मरण शक्ति विकसित हो जायेगी। जितना अधिक ध्यान आप पुस्तक को पढ़ने लिखने और वस्तुओं को गहराई से देखने में लगावेंगे, उतना ही उत्तम है। मस्तिष्क उतनी ही पूर्णता से विचारों को पकड़ेगा। अतः ध्यानपूर्वक बातों को समझा और गुप्त मन में क्रमानुसार सजाने का प्रयत्न किया कीजिए। क्रम तथा व्यवस्था से अनेक विचार स्मृति कोष में दीर्घ काल तक सजे रहते हैं, जबकि अव्यवस्थित रूप में थोड़े से विचार भी स्मरण नहीं रहते। विचारों को याद रखने में सुव्यवस्था लाभप्रद है।

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