
नीति श्लोक
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आलोक्य सर्वशास्त्राणि विचार्य च पुनः पुनः।
इदमेकं सुनिष्पन्नं योगशास्त्रं परं मतम्।।१७।।
— शिव संहिता 1/17
संपूर्ण शास्त्रों पर बार-बार विचार करने के उपरांत यह सुनिश्चित मत निर्धारित हुआ कि एक योगशास्त्र ही सर्वोपरि है।
ब्रह्मभूतः एवेह योगी चाऽत्मरतोऽमलः।
विषयेन्द्रियसंयोगात्केचिद्योगं वदन्ति वै।।
— अग्नि पुराण
आत्मा को निर्मल बनाकर, इंद्रियों का संयमकर, उसे परमात्मा के साथ मिला देने की प्रक्रिया का नाम योग है।
इदमेकं सुनिष्पन्नं योगशास्त्रं परं मतम्।।१७।।
— शिव संहिता 1/17
संपूर्ण शास्त्रों पर बार-बार विचार करने के उपरांत यह सुनिश्चित मत निर्धारित हुआ कि एक योगशास्त्र ही सर्वोपरि है।
ब्रह्मभूतः एवेह योगी चाऽत्मरतोऽमलः।
विषयेन्द्रियसंयोगात्केचिद्योगं वदन्ति वै।।
— अग्नि पुराण
आत्मा को निर्मल बनाकर, इंद्रियों का संयमकर, उसे परमात्मा के साथ मिला देने की प्रक्रिया का नाम योग है।