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Magazine - Year 1976 - Version 2

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दीनबन्धु ऐंड्रूज (kahani)

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First 5 7 Last
उन दिनों दीनबन्धु ऐंड्रूज शान्तिनिकेतन में रहते थे। एक दिन एक पादरी प्राध्यापक उनसे मिलने आये। वार्तालाप के बीच पादरी ने पूछा-क्या यहाँ कोई गिरजाघर है। ऐंड्रूज के मना करने पर उनने कहा- तब आपको रविवार की प्रार्थना करने में बड़ी कठिनाई पड़ती होगी। रविवार का दिन था। उस दिन विद्यार्थी वर्ग कुछ विशेष धर्म चर्चा करने आ गया। दीन बन्धु उसी ज्ञान विनोद में लगे रहे॥

जब पादरी चलने लगे तो ऐंड्रूज ने कहा- मेरी असली प्रार्थना सद्ज्ञान संवर्धन की सेवा साधना में लगे रहना ही है। रविवार की पूजा भी मैं इसी तरह पूरी कर लेता हूँ।

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First 5 7 Last


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Type: TEXT
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Type: SCAN
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