
दो भाई थे (kahani)
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दो भाई थे। एक शासन के किसी विभाग में नौकरी करता था, दूसरा शारीरिक मजदूरी कर परिश्रम से रोजी –रोटी की व्यवस्था करता था। शासकीय नौकरी वाला भाई अधिक कमाता था। उसने दूसरे भाई से कहा –“तुम क्यों रोज मजदूरी कर परिश्रम करते हो; मेरी तरह नौकरी करलो; काम भी कम करना पड़ेगा व मेहनत से भी छुटकारा मिलेगा।” दूसरे ने कहा- “तुम मेरी तरह मेहनत का काम क्यों नहीं करना प्रारम्भ कर देते ;निकृष्ट चाकरी के भाव से छुटकारा भी मिलेगा व अधिक आत्मसंतोष व आत्मिक प्रसन्नता भी।”
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