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Magazine - Year 1979 - September 1979

Media: TEXT
Language: HINDI
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First 27 29 Last
हम शताब्दियों से अपने खाने में नमक का प्रयोग करते आ रहे हैं, पर यह सोचने की कभी आवश्यकता अनुभव नहीं की कि भोजन में इसकी क्या उपयोगिता है? वायो केमिस्ट वंगे ने ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर बताया है कि पूर्व काल में भूमि में पोटेशियम और सोडियम की मात्रा में ठीक-ठीक सन्तुलन था, पर सहस्त्रों वर्षों की वर्षा ने अधिक घुलनशील सोडियम लवणों को धो बहाया। इसका दुष्परिणाम यह निकला कि भूमि से उत्पन्न खाद्य पदार्थों में पोटेशियम की वृद्धि तथा सोडियम की कमी हो गई है।

मानव और मानवेत्तर प्राणी इस अभाव को पूर्ण करने हेतु आतुर है। उठे आखिर उन्हें एक चीज मिली-सोडियम क्लोराइड अथवा नमक। यह जितनी सस्ती थी उतनी ही स्वास्थ्य के लिये खतरनाक पर व्यक्ति अपने स्वाद के अखाद्य वस्तुओं को भी खाने को तैयार हो जाता है। जैसे शरीर में कैल्शियम के अभाव को कैल्शियम क्लोराइड से पूर्ण नहीं कर सकते वैसे ही प्राकृतिक सोडियम की कमी नमक खाकर पूरी नहीं की जा सकती।

शरीर पाचन यंत्रों के लिए इस प्रकार के रासायनिक पदार्थ हानिकारक है क्योंकि इन्हें कोषाणु खपा नहीं पाते। जब नमकीन भोजन किया जाता है तो थोड़ी देर बाद काफी प्यास लगती है। पाचन यन्त्र गुर्दे के मार्ग से उसे बाहर निकालने के लिए तत्पर हो जाता है। इससे आमाशय यन्त्र की श्लेष्मिक झिल्ली पर चोट पहुँचती है। शरीर के सब अंगों में गुर्दों को ही नमक से अधिक हानि होती है। नमक खाने से गुर्दे के अनेक रोगों को जन्म तो मिलता ही है। गुर्दे में सबसे पहले नमक ही बन्द किया जाता है।

यदि नमक की मात्रा इतनी अधिक है जिसे गुर्दे बहाकर बाहर निकाल पाते तो वह पैर के निचले भाग में जमा हो जाता है। और पानी एकत्र होने लगता है उनमें सूजन और दर्द शुरू हो जाता है। नमक रासायनिक प्रणाली में गड़बड़ी पैदा करता है हृदय की गति तथा रक्तचाप में वृद्धि हो जाती है। कितने ही हृदय रोग ऐसे हैं जिनमें नमक की अल्प मात्रा भी बहुत हानिकारक होती है। शरीर इसका कोई उपयोग नहीं करता क्योंकि इसमें किसी प्रकार का पोषक तत्व नहीं होता। इससे मिरगी तथा पक्षाघात की प्रवृत्ति में वृद्धि होती है। नमक स्नायविक प्रणाली को अधिक उत्तेजित करने वाला है।

आहार विशेषज्ञ चिकित्सक रेमाण्ड बर्नाड नमक को भोजन नहीं मानते। जिस तरह किसी औषधि विक्रेता की दुकान में रखे पोटेशियम क्लोराइड का प्रयोग तर्क संगत नहीं कहा जा सकता वही स्थिति भोजन के लिए नमक की भी है। इससे शरीर में कैल्शियम की मात्रा घट जाती है। प्यास शान्त करने के लिए जो द्रव्य लिए जाते है वह कैल्शियम लवण को अपने साथ बहा कर बाहर ले जाते हैं और अनेक अम्ल सम्बन्धी रोगों को पैदा कर देते हैं। शरीर अपनी आँतों में हानिकारक पदार्थों की बाहर निकालने के लिए ही पानी जमा कर लेता है।

पक्षियों के लिए नमक एक प्रकार का विष है। नमक की अधिक मात्रा खाने से सुअर की मृत्यु हो जाती है। नमक न खाने वाले व्यक्ति के लिए यह वस्तु उतनी ही आपत्ति जनक है जितनी सिगरेट न पीने वाले व्यक्ति के लिए उसका धुंआ या तम्बाकू न खाने वाले लिए तम्बाकू।

नमक का प्रयोग बिल्कुल बन्द करने की बात-भले ही अस्वाभाविक लगे पर इतना ध्यान अवश्य रखना चाहियें कि शरीर को जितने सोडियम क्लोराइड की आवश्यकता हो उतनी प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के रूप में ही मिलनी चाहिए तभी शरीर के ‘सेल’ उसे जज्ब कर सकते हैं। कभी-कभी कुछ समय अस्वाद व्रत रहा जाये तो यह अतिरिक्त विष निष्कासित करने का लाभ भी मिलता है।

First 27 29 Last


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September 1979
Type: TEXT
Language: HINDI
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Type: SCAN
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