
स्वास्थ्य साधन के लिए, उपवास का उपयोग
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शरीर में सामान्य विकार उत्पन्न होते ही रहते हैं। मशीनें चलती हैं तो उनके कलपुर्जे घिसते हैं और उनमें खराबी आती है। शरीर भी अनेक विजातीय तत्वों के संपर्क में आकर किसी न किसी विकार में ग्रस्त होता रहता है। यह न अस्वाभाविक है तथा न ही आश्चर्यजनक। शरीर में स्वाभाविक रीति से विकार उत्पन्न होते हैं तो प्रकृति ने उनके निष्कासन की भी व्यवस्था कर दी है। वह व्यवस्था स्वयमेव चलती रहती है।
फिर भी कभी कोई विकार ज्यादा मात्रा में उत्पन्न जो जाते हैं तो उनके लिए उपचार की आवश्यकता पड़ती है। प्रश्न यह है कि उपचार किस प्रकार किया जाए? प्रचलित उपचार तो दवाओं और औषधियों का ही है लेकिन चिकित्सा विज्ञानी अब औषधोपचार से लाभ की अपेक्षा हानि ही अधिक अनुभव कर रहे हैं।
शिकागो के ‘इन्टर नेशनल कालेज आफ ड्रगलेस फिजिक्स’ के अधिकाँश प्राध्यापक डाक्टर थे, उन्होंने दवाओं की अनुपयोगिता को अच्छी तरह समझ लिया था। वहीं के एक छात्र ‘स्टेनली लीफ’ ने स्वास्थ्य और रोग की वास्तविकता को समझ कर रोगों को दूर करने के लिए उपवास एवं प्राकृतिक चिकित्सा का ही आश्रय लिया।
‘स्टेनली लीफ’ असाध्य एवं कठिन रोगों का उपचार उपवास के द्वारा किया करते थे। बर्लिन की श्रीमती स्मिथ को पेट की भयानक बीमारी थी डाक्टरों ने अपनी असमर्थता प्रकट की दी, परन्तु स्टेनली लीफ ने उन्हें 39 दिनों का उपवास कराकर ठीक कर दिया।
उनके एक भाई अफ्रीका में रहते थे, उनके पैर में विषाक्त फोड़ा हो गया था। डाक्टरों से आपरेशन के अतिरिक्त और कोई उपचार नहीं बन पड़ रहा था। स्टेनली लीफ ने उन्हें उपवास कराया। एक सप्ताह में आश्चर्यजनक लाभ हुआ। डाक्टर जो आपरेशन का परामर्श दे रहे थे- ‘‘जादू का-सा चमत्कार कहने लगे।”
मैनचेस्टर के मिस्टर प्रोविस को भयंकर रक्ताल्पता की बीमारी से स्टेनली लीफ 30 दिनों का उपवास कराकर ठीक कर दिया। यह समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुआ। बहुत से लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर रक्त की कमी की बीमारी उपवास से कैसे ठीक हो गयी। परन्तु श्रीमती फिशर ने इस बात को पुष्टि की कि वे इस घटना को भली प्रकार व्यक्तिगत रूप से जानती हैं।
एक “मिस मैककार्ड” नामक नर्स को ‘एलीफैन्टाइसिस’ भयानक चर्म रोग हो गया था। डाक्टरों ने उसे असाध्य घोषित कर दिया, परंतु स्टेनली लीफ ने उनको 155 दिन का लम्बा उपवास कराया जिसके उपराँत वह एकदम स्वस्थ हो गयीं।
इसी प्रकार बेलफास्ट की मिस जैकसन को उन्होंने अल्पकालीन उपवास कराके ठीक कर दिया। मिस जैकसन को प्रायः मूर्छा आ जाती थी। उपवास से वस्तुतः रोगों का समूल नाश हो जाता है। उचित प्रकार से किये गए उपवास से भयंकर एवं असाध्य रोग दूर होते देखे गये हैं।
28 दिसम्बर 1963 केंस्टेट्समैन में एक रूसी डाक्टर के उपवास द्वारा रोग मुक्त होने का विवरण छपा था। उनके शरीर के जोड़ों में कड़ापन एवं दर्द था वह चल फिर भी नहीं सकते थे। डा. ब्लादीमीर लेकोवसेव ने अपने को रोगों से मुक्त करने के लिए अन्ततः उपवास का आश्रय लिया। उन्होंने पैंतालीस दिन के दीर्घकालीन उपवास से अपने शरीर को स्वस्थ एवं रोग से छुटकारा पाने में सफलता प्राप्त की।
उपवास अपने आप में एक विज्ञान है। इसका उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? और मानवीय स्वास्थ्य के लिए उपयोग की क्या सम्भावनाएं हैं? इस संबंध में तेजी से अनुसंधान जारी है।