• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • युग धर्म की अवहेलना महँगी पड़ेगी
    • सर्वाधिक महत्वपूर्ण-वर्तमान
    • समस्त जड़-चेतन पर उच्चस्तरीय सत्ता का अनुशासन
    • दृश्य संसार के भीतर अदृश्य संसार
    • दीपक का स्नेह (kahani)
    • परिष्कृत अंतरंग चेतना की उपलब्धियाँ
    • क्षुद्र बन गया (kahani)
    • सफलता और प्रगति की मूल शर्त
    • नियति द्वारा प्रस्तुत मानवीय सत्ता की विलक्षणताओं का परिचय
    • विराट् जगत में मनुष्य की हस्ती ही क्या है?
    • आदर्शों की पराकाष्ठा भारतीय संस्कृति का गौरव
    • बुद्धि की प्रखरता ही नहीं, भावनाओं की उदात्तता भी
    • इच्छित नींद अपने निजी प्रयत्न से
    • पुस्तकों की उपेक्षा मत कीजिए
    • योगाभ्यास मानसिक प्रगति का बहुमूल्य माध्यम
    • गायत्री मंत्र की प्रचण्ड सामर्थ्य
    • गहरी श्वास से चिर यौवन दीर्घ जीवन
    • आहार और उसकी पोषक शक्ति
    • सफलता का आयु से क्या सम्बन्ध?
    • निर्बलता एक अक्षम्य अपराध
    • मानसिक असन्तुलन, स्वास्थ्य संकट का मूल कारण
    • श्रेष्ठ आदतों में सर्वप्रमुख- नियमितता
    • हंसोड़ स्वभाव -एक दैवी वरदान
    • स्वास्थ्य साधन के लिए, उपवास का उपयोग
    • महान् परिवर्तन की वेला, अति सन्निकट
    • Quotation
    • पिरामिडों में अंकित सन् 2000 की दुनिया
    • शान्ति और प्रगति के लिए साधन शुद्धि आवश्यक
    • संवेदित मानव
    • संवेदित मानव (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • युग धर्म की अवहेलना महँगी पड़ेगी
    • सर्वाधिक महत्वपूर्ण-वर्तमान
    • समस्त जड़-चेतन पर उच्चस्तरीय सत्ता का अनुशासन
    • दृश्य संसार के भीतर अदृश्य संसार
    • दीपक का स्नेह (kahani)
    • परिष्कृत अंतरंग चेतना की उपलब्धियाँ
    • क्षुद्र बन गया (kahani)
    • सफलता और प्रगति की मूल शर्त
    • नियति द्वारा प्रस्तुत मानवीय सत्ता की विलक्षणताओं का परिचय
    • विराट् जगत में मनुष्य की हस्ती ही क्या है?
    • आदर्शों की पराकाष्ठा भारतीय संस्कृति का गौरव
    • बुद्धि की प्रखरता ही नहीं, भावनाओं की उदात्तता भी
    • इच्छित नींद अपने निजी प्रयत्न से
    • पुस्तकों की उपेक्षा मत कीजिए
    • योगाभ्यास मानसिक प्रगति का बहुमूल्य माध्यम
    • गायत्री मंत्र की प्रचण्ड सामर्थ्य
    • गहरी श्वास से चिर यौवन दीर्घ जीवन
    • आहार और उसकी पोषक शक्ति
    • सफलता का आयु से क्या सम्बन्ध?
    • निर्बलता एक अक्षम्य अपराध
    • मानसिक असन्तुलन, स्वास्थ्य संकट का मूल कारण
    • श्रेष्ठ आदतों में सर्वप्रमुख- नियमितता
    • हंसोड़ स्वभाव -एक दैवी वरदान
    • स्वास्थ्य साधन के लिए, उपवास का उपयोग
    • महान् परिवर्तन की वेला, अति सन्निकट
    • Quotation
    • पिरामिडों में अंकित सन् 2000 की दुनिया
    • शान्ति और प्रगति के लिए साधन शुद्धि आवश्यक
    • संवेदित मानव
    • संवेदित मानव (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1981 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


महान् परिवर्तन की वेला, अति सन्निकट

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 24 26 Last
“जिन परिवर्तनों को हम आज संसार में देख रहे हैं, वे अपने आदर्श और अभिप्राय में बौद्धिक, नैतिक और भौतिक है। आध्यात्मिक क्रान्ति अपने समय की प्रतीक्षा कर रही है और इस बीच अपनी लहरें जहाँ-जहाँ उछाल रही है, जब तक यह आ नहीं जाती तब तक अन्य सबका मर्म भी समझ में नहीं आ सकता- तब तक वर्तमान स्थिति की सभी व्याख्याएं तथा मनुष्य की भवितव्यता विषयक भविष्यवाणियाँ निरर्थक हैं क्योंकि इस क्राँति की प्रकृति, शक्ति और क्रिया ही हमारी मानवता का आगामी युग चक्र निर्धारित करेगी।’’

“भारत को अब भविष्य की दृष्टि में रखकर कर्म करना चाहिए। उसे नेतृत्व करना है अपनी आध्यात्मिक विशेषताओं के कारण वह विश्व रंग-मंच पर सर्वोच्च स्थान प्राप्त करेगा। मैं स्पष्ट देख रहा हूँ कि वह समय सन्निकट है। पूरब से उठने वाली आध्यात्मिक क्रान्ति अपनी स्वर्णिम किरणों के साथ समस्त विश्व में छा जायेगी।’’

उपरोक्त कथन है योगिराज अरविन्द के जो उन्होंने भारत के भविष्य के संबंध में चर्चा करते हुए कहा था। ‘उत्तर योगी’ पुस्तक में उल्लेखित योगीराज की भविष्यवाणियों से उज्ज्वल भविष्य की सम्भावनाओं की झाँकी मिलती है। सर्वविदित है कि स्वतन्त्रता संग्राम में प्रत्यक्ष भूमिका युवा क्रान्तिकारियों एवं स्वतन्त्र सेनानियों की थी। गाँधी, पटेल, नेहरू, तिलक, सुभाष, भगतसिंह, बिस्मिल जैसे महापुरुषों की प्रत्यक्ष भूमिका थी। पर सूक्ष्मदर्शी जानते हैं कि वातावरण को बनाने, गरम करने तथा त्याग बलिदान की सूक्ष्म किन्तु सशक्त प्रेरणाएं भरने की भूमिका रामकृष्ण परमहंस, महर्षि रमण एवं योगीराज अरविन्द जैसी सत्ताएं सम्पादित कर रही थीं। आध्यात्मिक क्रान्ति की छुट-पुट लहरें उन दिनों (योगीराज अरविन्द के शब्दों में) दिखायी पड़ी थीं। जिन्होंने अपनी प्राण शक्ति से वातावरण को गरम किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि बुद्धि एवं शक्ति की दृष्टि से सामान्य बच्चे भी असामान्य भूमिका निभा गये। योगीराज की सम्भावनाओं के अनुसार आध्यात्मिक क्रान्ति का समय स्वरूप अपनी समस्त किरणों के साथ प्रकट होने वाला है। वह समय अति निकट है।

एफ. सी. हैपोल्ड अपने समय के प्रसिद्ध भविष्य वक्ता थे। सूक्ष्म दृष्टि सम्पन्न होने के कारण उनकी विश्व के भविष्य के संबंध में की गई भविष्यवाणियाँ समय-समय पर सच निकली हैं। हैपोल्ड ने एक पुस्तक लिखी है ‘रिलीजियस फेथ एण्ड ट्रवण्थ्यिथ सेंचुरी’ जिसमें उन्होंने लिखा है कि “आधुनिक परिस्थितियों के विश्लेषण से यह मालूम होता है कि हम उस क्रान्तिकारी आध्यात्मिक मानसिक विकास के उस दौर से गुजर रहे हैं, जिसमें शक्ति की एक प्रचण्ड धारा मानव उत्थान के लिए अवतरित हो रही है। ऐसे दौर इतिहास में पहले भी आ चुके हैं। उसकी पुनरावृत्ति शीघ्र होने वाली है। अगले दिनों मानवी चेतना में प्रज्ञा का अवतरण होगा।’’

पाश्चात्य भविष्यविदों में भी कई ऐसे हैं जो भविष्य की उज्ज्वल सम्भावनाओं से आश्वस्त हैं किन्तु वे परिस्थितियाँ सहज ही नहीं उपलब्ध होंगी। इस बीच मनुष्य जाति को कठिन संघर्षों एवं प्रकृति विक्षोभों के बीच होकर गुजरना होगा।

अगस्त 1980 नवनीत अंक में प्रकाशित एक लेख में, फ्राँसीसी भविष्य वक्ता ‘रेने ड्यूमा’ और ‘वरनार्ड रोजियर’ ने सम्भावना व्यक्त की है कि- “बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न भुखमरी, प्रकृति प्रकोपों, बाढ़, भूकम्प एवं आँतरिक संघर्षों के फलस्वरूप भयंकर क्षति होने की सम्भावना है। सन् 1982 तक सभ्यता का एक बड़ा भाग प्रकृति विक्षोभों से नष्ट हो जायेगा। तत्पश्चात् एक ऐसी संस्कृति उदय होगी जो वर्तमान ढर्रे से सर्वथा अलग होगी।” इसी लेख में अन्य भविष्य वक्ताओं की भविष्यवाणियों का भी उल्लेख है। मेडीटेशन एण्ड लाइफ सेन्टर हालीवुड अमेरिका के अध्यक्ष योगी डब्ल्यू एस. फाँसलकर ने 1982 में नौ ग्रहों का सूर्य के एक ओर जमा होने की एक विलक्षण घटना माना है। उनका कहना है कि अंतर्ग्रही ही असंतुलन से प्रकृति का संतुलन बिगड़ेगा। प्रकृति प्रकोपों का प्रभाव व्यापक क्षेत्र में पड़ेगा। इस अवधि में विश्व युद्ध छिड़ने की भी सम्भावना है।

‘फांसलकर’ ने जहाँ इन विभीषिकाओं का वर्णन किया है वहीं इसकी ओर ‘सन् 1988 के बाद एक सर्वथा नयी संस्कृति के पुनरोदय की घोषणा की है। इस नयी सभ्यता में रहने वाले मनुष्य प्रकृति के अज्ञात रहस्यमय शक्तियों एवं मानव अंतर्निहित क्षमताओं का उद्घाटन करेंगे। यह सभ्यता वर्तमान की तुलना में अधिक समुन्नत एवं सुसंस्कृत होगी।

20 अगस्त 1980 दैनिक हिन्दुस्तान में प्रकाशित शेपीरो नामक पाश्चात्य भविष्य वक्ता के अनुसार “मार्च 1981 के उपराँत विश्व में धर्म के प्रति असाधारण रुचि बढ़ेगी। आदर्श एवं त्याग की सत्परम्पराएं पुनः वापस आयेगी। 1982 के पश्चात् सम्पूर्ण विश्व में एक परिवर्तन की लहर उठेगी जो वैचारिक होगी। भारत अपनी प्राचीन गरिमा को पुनः प्राप्त करेगा। उसकी आध्यात्मिक विचारधारा सम्पूर्ण विश्व में छा जायेगी।”

साँस्कृतिक पुनरोदय की उद्घोष पूर्व एवं पश्चिम के भविष्य वक्ताओं ने एक साथ किया है। नेतृत्व भारत करेगा, इस तथ्य को प्राचीन एवं नवीन सभी भविष्यविदों ने एक मत से स्वीकार किया है। नेतृत्त्व का स्वरूप क्या होगा। उसकी पहचान क्या होगी, उस संबंध में योगीराज अरविन्द से पूछे जाने पर उन्होंने उत्तर दिया था कि “निकट भविष्य में जो लोग भारत का नेतृत्त्व करेंगे वे कर्तव्य परायण उदार, हृदय सम्पन्न तथा बहुमुखी प्रतिभा वाले होंगे। हमारा विश्वास है कि इस बार जो अवतार पुनरोद्धार के लिए आयेगा वह बहुमुखी प्रतिभा का धनी होगा। वह न केवल धर्म गुरु होगा बल्कि राजनेता महान शिक्षक, समाज का पुनरुद्धारक, सहकारी उद्योग का नायक, विचारक एवं वैज्ञानिक होगा। उसमें कवि, मनीषी और कलाकार की आत्मा होगी। वह संसार को मार्ग दिखाने और नया रूप देने के लिए भावी भारतीय जाति का संक्षिप्त रूप और महान निर्देशन होगा। वह प्रजा शक्ति का पुँज होगा।’’

सम्पूर्ण विश्व इन दिनों एक ऐसे संक्रान्ति काल से होकर गुजर रहा है जिसमें परिवर्तन अवश्यम्भावी है। जो सूक्ष्म दृष्टि सम्पन्न हैं वे जानते हैं कि साँस्कृतिक पुनरोदय की ठीक यही घड़ी है। यह संध्या बेला है- जिसमें अवांछनियता की तमिस्रा छटेगी, प्रज्ञा का आलोक अपनी स्वर्णिम किरणों के साथ फैलेगा। इन दिनों प्रज्ञावतार की शक्ति धाराएं भावनाशील अन्तःकरणों में छा रही तथा उन्हें संकीर्णता के जाल-जंजाल से बाहर निकलकर त्याग एवं बलिदान के अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने को प्रेरित कर रही है। प्रज्ञावतार इन दिनों अपनी भूमिका इसी प्रकार संपादित कर रहा है। जो समझदार हैं- भावनाशील हैं वे प्रज्ञावतरण में ही संसार का उज्ज्वल भविष्य देखते हैं। इन दिनों वहीं हो रहा है। जिसका उद्घोष योगीराज अरविन्द ने किया था, जिसकी सम्भावना पाश्चात्य भविष्यविद् करते हैं। साँस्कृतिक पुनरोदय का स्वर्णिम आभा को इन दिनों विचार क्रान्ति के रूप में देखा जा सकता है।

First 24 26 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • युग धर्म की अवहेलना महँगी पड़ेगी
  • सर्वाधिक महत्वपूर्ण-वर्तमान
  • समस्त जड़-चेतन पर उच्चस्तरीय सत्ता का अनुशासन
  • दृश्य संसार के भीतर अदृश्य संसार
  • दीपक का स्नेह (kahani)
  • परिष्कृत अंतरंग चेतना की उपलब्धियाँ
  • क्षुद्र बन गया (kahani)
  • सफलता और प्रगति की मूल शर्त
  • नियति द्वारा प्रस्तुत मानवीय सत्ता की विलक्षणताओं का परिचय
  • विराट् जगत में मनुष्य की हस्ती ही क्या है?
  • आदर्शों की पराकाष्ठा भारतीय संस्कृति का गौरव
  • बुद्धि की प्रखरता ही नहीं, भावनाओं की उदात्तता भी
  • इच्छित नींद अपने निजी प्रयत्न से
  • पुस्तकों की उपेक्षा मत कीजिए
  • योगाभ्यास मानसिक प्रगति का बहुमूल्य माध्यम
  • गायत्री मंत्र की प्रचण्ड सामर्थ्य
  • गहरी श्वास से चिर यौवन दीर्घ जीवन
  • आहार और उसकी पोषक शक्ति
  • सफलता का आयु से क्या सम्बन्ध?
  • निर्बलता एक अक्षम्य अपराध
  • मानसिक असन्तुलन, स्वास्थ्य संकट का मूल कारण
  • श्रेष्ठ आदतों में सर्वप्रमुख- नियमितता
  • हंसोड़ स्वभाव -एक दैवी वरदान
  • स्वास्थ्य साधन के लिए, उपवास का उपयोग
  • महान् परिवर्तन की वेला, अति सन्निकट
  • Quotation
  • पिरामिडों में अंकित सन् 2000 की दुनिया
  • शान्ति और प्रगति के लिए साधन शुद्धि आवश्यक
  • संवेदित मानव
  • संवेदित मानव (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj