
बचपन से ही बहरे (Kahani)
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विश्व विख्यात वैज्ञानिक आविष्कारक थामस अल्वा एडीसन ने जीवन भर एकनिष्ठ भाव से आविष्कारों में रुचि ली और अपनी समूची तत्परता उसी एक काम में लगाई। ग्रामोफोन, टेपरिकॉर्डर, चल चित्र, कैमरा, बिजली के बल्ब जैसे छोटे बड़े 2500 आविष्कारों का उनका अपना कीर्तिमान है। दूसरा कोई भी अभी तक इतने प्रकार के इतने महत्वपूर्ण काम नहीं कर सका है।
एडीसन बचपन से ही बहरे हो गए थे। लेकिन इसका उन्होंने कभी दुःख नहीं मनाया। वरन् इस कमी को ईश्वरीय वरदान कहते रहे। उनका कहना था कि दूसरे लोग बेकार की गप्पबाजी में अपना समय गुजारते हैं, मुझे ऐसी बरबादी का सामना नहीं करना पड़ता। वह समय मैं सोचने और पढ़ने में लगाता रहता हूँ। यदि दूसरों की तरह मेरे भी कान खुले होते तो इतना न कर पाता जो कर पाया हूँ। एडीसन ने छोटे कामों में भी कभी हेठी अनुभव नहीं की। वे हर काम को प्रतिष्ठ का प्रश्न बनाकर उसे सही, पूरा और शानदार स्तर का बनाने का प्रयत्न करते थे। रेलवे डिब्बों में सब्जी बेचना, अखबार बेचना, तार बाँटना जैसे अनेक छोटे काम उन्हें अपने आरंभिक दिनों में करने पड़े। पर इसमें कभी हीनता का अनुभव नहीं किया। उनने हर काम को इज्जत का और हर अवसर को महत्वपूर्ण शिक्षण का अवसर माना एवं साधना मानकर सम्पादित किया।