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Magazine - Year 1997 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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नया इनसान बनाएँगे, नया संसार बसाएँगे - परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी

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(फरवरी १९८९ का वीडियो सन्देश)

गायत्री मंत्र हमारे साथ-साथ ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। देवियों, भाइयों! नया समय, नया काम, नई जिम्मेदारियाँ और नया कदम क्या है? इस सम्बन्ध में आज आपको हम बताना चाहते हैं। पहली बात यह है कि नया समय क्या है? यह बारह वर्श का है और बहुत ही महत्वपूर्ण है। तो क्या इसका मतलब यह है कि जमीन पर आ जाएगा? नहीं, ऐसा नहीं होगा, परन्तु आज जो परिस्थितियाँ हैं, जिसमें आप और हम रह रहे हैं, वैसी नहीं रहने वाली है। नया काम क्या होना है? दे काम होने हैं- (१) विनाश की लीला होगी, उस समय बहुत मुसीबतें आयेंगी। उन मुसीबतों से आप भी बच नहीं पायेंगे । बेशक आपके मकान है, खेत हैं, सम्पत्ति है, परन्तु आप भी बच नहीं पाएँगे । चारों दिशाओं में जब आँधी आती है, तो कोई नहीं बच पाता है। यह सारा विनाश एवं सृजन की लीला आप भी देखेंगे तथा हम भी देखेंगे। हो सकता है कि हम स्थूलशरीर से न रहें, परन्तु सूक्ष्म में रहेंगे तथा देखेंगे तथा आपके साथ-साथ रहेंगे। इसमें कोई भी आदमी सुरक्षित नहीं रह सकता है। आप भी नहीं सकते हैं।

मित्रों, प्रकृति नाराज हो गयी है। इसका मतलब है कि इस समय ऐसी बाढ़ें, तूफान और भूकम्प आयेंगे जो आज तक इस पृथ्वी पर कभी नहीं आए। आज गर्मी के दिनों में ठंडक तथा ठंडक के दिनों में गर्मी न जाने कैसा वातावरण हो गया है। बीमारियाँ ऐसी-ऐसी पैदा हो गयी हैं कि अच्छे से अच्छे डाक्टर भी परेशान हैं। वे कहते हैं कि अभी तक हमने ऐसा देखा भी नहीं, पढ़ा भी नहीं तो हम आपको क्या दवा दें। कभी बाढ़ आ जाती है, तो कभी सूखा पड़ता है। इसके अलावा आप देख रहे हैं कि सामूहिक बलात्कार, मारकाट, चोरी, उठाईगीरी जैसे अपराध कितने बढ़ गया हैं। बहुतों को जलाया जा रहा है। इस प्रकार के काण्ड आप लोग रोज देखते तथा पढ़ते हैं। ऐसा वातावरण आपने पहले कभी नहीं देखा था। ऐसा समय कभी नहीं आया।

आपको सामान्य बातें बतला रहा हूँ। भोपाल गैसकाण्ड आपने सुना ही है। इसके अलावा पर्यावरण की बातें-वातावरण की बातें भी है। हवा में जहर घुलता जा रहा है। यह साँस के साथ आँखों में, गर्दन में, गले में, छाती में चला जाता है और आप बीमार हो जाते हैं। पानी में जहर मिल गया है। पहले हम गंगा का पानी ले जाते थे और उसका उपयोग करते थे, परन्तु आज यह प्रचार किया जा रहा है कि गंगा का पानी कोई मत पीजिए। इसमें जहर है। समूचे देश के बड़े-बड़े शहरों के गंदे नाले उसमें मिलाकर उसके पानी को जहरीला बना दिया है। कारखानों का पानी भी उसमें मिलता रहता है। नदी में से कुएँ में भी आता है। आज जो ऑटोमेटिक हथियार बन रहे हैं, उससे जो गैस निकलती है, वह जहरीली है। उससे अगली पीढ़ी जो पैदा होगी, वे लँगड़े, लूले, अंधे होंगे। प्राकृतिक सम्पदा, जैसे खनिज तेल, धातुएँ, कोयला आदि जो जमीन में थीं, उसे हमने खाली करना शुरू कर दिया है। मिट्टी का तेल, डीजल हम निकाल रहे हैं। लोहा, ताँबा, कोयला हम निकाल रहे हैं। पृथ्वी खोखली बनती जा रही है। भीतर से गर्मी कम हो जाएगी, तो पैदावार कम हो जाएगी, भूकम्प आयेंगे। अतः लोगों का समझना होगा कि अन्न कम होगा, जलावन कम मिलेगा, बीमारियाँ बढ़ेगी, तो आदमी परेशान होता चला जाएगा।

एक और डरावनी बात बतलाना चाहता हूँ। लड़ाइयाँ होंगी, उसमें चाहे बन्दूक चले या बम चले, पर आदमी समाप्त होते चले जाएँगे। राग, द्वेश बढ़ता चला जाएगा। इसके बाद इतनी बीमारियाँ फैलेंगी, जो न जाने समाज के कितने लोगों को समाप्त कर देंगी। पहले जो युद्ध से हुआ था, उसमें भी युद्ध से ज्यादा आदमी बीमारियों से मरे थे। केवल विधवाएँ बच गयीं थीं। लोगों को खाने के लाले पड़ गए थे। बच्चे मरते जा रहे थे। यह सेकेण्ड वर्ल्डवार-द्वितीय विश्वयुद्ध की घटना है।

आप घर में रहकर भी बच नहीं सकते हैं। हर चीज की कमी हो जाएगी। आज क्या भाव शक्कर मिलती है, क्या भाव कपड़ा मिलता है? इन सारी की सारी चीजों का अभाव हो जाएगा। आदमी भोजन के अभाव में मरते-खपते चले जाएँगे । दुनिया में बहुत तबाही आने वाली है। अब अगर युद्ध हुआ जैसा कि लोगों न अरबों-खरबों रुपया लगाकर तैयारी कर ली है, अगर वह हुआ तो दुनिया में इतनी तबाही आयेगी कि उसको रोकना मनुष्य के लिए असम्भव होगा। यह अस्त्र-शस्त्र एटम-हथियार ऐसे ही बच्चों के खिलौना थोड़े ही रखें हैं। युद्ध-उन्मादी ये पागल लोग इस जखीरे का प्रयोग अवश्य करेंगे। इसके बाद मनुष्यों के बीच तो तबाही आयेगी ही, परन्तु इसके साथ जमीन की उर्वराशक्ति भी समाप्त हो जाएगी। इस धरती पर रहने वाले लोग दुहरी मार को सहन नहीं कर पायेंगे। अगर परमाणु युद्ध होगा तो जमीन नहीं बचेगी। कहीं पानी भी नहीं मिल सकता है। इस संदर्भ में बहुत से भविष्यवक्ताओं ने बहुत-सी बातें लिखी हैं।

मुसलमानों के धर्मग्रन्थ में लिखा है कि चौदहवीं सदी आयेगी तो इस दुनिया में बहुत तबाही आएगी। इनसान की संख्या बहुत कम हो जाएगी। इसी तरह ईसाई धर्मग्रन्थ-बाइबिल में लिखा है कि ‘सेवन टाइम्स’ आयेगा और दुनिया तहस-नहस हो जाएगी। हिन्दुओं के भविष्य पुराण में लिखा है-भविष्य में जो समय आने वाला है-वह खतरनाक है। दुनिया तहस-नहस हो जायेगी।

मित्रों, इन तीनों के अनुसार यह कौन-सा समय है? यह वही समय है, जिसका हम आपसे जिक्र कर रहे हैं। इस समय के लिए हमें सुरक्षा के लिए व्यवस्था बनानी होगी। आप कहेंगे कि महाराज जी तो क्या हम डंडे लेकर खड़े हो जाएँ। मित्रो! इससे कुछ नहीं होगा। इसके और तरीके हैं। आपने भगीरथ का नाम सुना होगा। एक बार इस धरती पर से पानी खत्म हो गया था। खेतों में पानी नहीं था, पीने के लिए पानी नहीं था। उस समय उन्होंने तप किया और गंगा प्रसन्न हो गयी और धरती पर आयीं। धरती न पानी पी लिया तथा कुएँ में भी पानी आ गया। जो लोग पानी के अभाव में मर रहे थे, वे भी जीवित हो गये। पानी के लिए उन्होंने ये कष्ट उठाया था।

एक बार वृत्तासुर नामक राक्षस हुआ था। वह किसी के काबू-कण्ट्रोल में नहीं आ रहा था। सब लोग त्राहि वर्षों त्राहि कर रहे थे। आज भी इस तरह के वृत्तासुर दिखाई पड़ रहे हैं, जो मिसाइलें, बम, अस्त्र-शस्त्र बना रहे हैं, उनका नाम वृत्तासुर तो नहीं है, परन्तु हैं ये वृत्तासुर ही, जो इस प्रकार के क्रियाकलाप कर रहे हैं।

वृत्तासुर को समाप्त करने के लिए महर्षि दधीचि ने तप किया था और अपने अस्थिपञ्जर को देवताओं को दान कर दिया था। उससे धनुष बनाया गया। उसके बाद वृत्तासुर को समाप्त किया जा सका। आज हम लोग कई तरह के वृत्तासुरों से घिरे हैं। हम तोप, अस्त्र-शस्त्र एटम बमों एवं महँगाई से घिरे हुए हैं। लोग इन खतरनाक खिलौनों से डर रहे हैं। आज किराये के हत्यारे बहुत हो गये हैं। आप पाँच सौ या एक हजार रुपये निकालिए तो जिसको कहेंगे उसी की हत्या हो जाएगी। आज ऐसा ही खराब वक्त आ गया है। इस समय हमें अपने बच्चों, जिनकी संख्या 24 लाख हो गयी है, उनकी बहुत चिन्ता रहती है। उनको हम देश हमारी पत्नी एक रूप में ही देखते हैं। हमें अपने बच्चों से बहुत आशाएँ हैं, परन्तु आप तो अभी नाबालिग हैं। आपको केवल अपना पेट, परिवार दिखलाई पड़ता है। आपको अपने देश, संस्कृति से कोई मतलब नहीं है, तो हम बच्चा ही कहेंगे आपको। आपके पास मानवीय गरिमा नहीं है, तो आप बच्चे नहीं हैं, तो कौन है? हमें बाहर का भी ख्याल है तथा अपने बच्चों का भी हमें खयाल है।

मित्रों, इसी कारण हमने अपनी शक्ति को दो हिस्सों में बाँट दिया है। एक तो हमने दुनिया के लोगों के लिए तथा दूसरी अपने लाखों बच्चों के लिए सुरक्षित रखा है। मान लिया जाए कि हम सौ रुपये कमाते हैं, तो पचास रुपये दुनिया के लिए, हारी-बीमारी के लिए, तथा पचास रुपये अपने बच्चों के लिए हमने रखें हैं। हमने अपने शरीर को स्थूल-शरीर ओर सूक्ष्मशरीर-दो भागों में बाँट दिया है। हमारे बच्चे जा हैं, उनकी रखवाली भी करनी है तथा सलाह भी देना है। सलाह के बिना काम नहीं चलेगा। केवल सलाह ही नहीं देना है, वरन् ऊँचा भी उठाना है, सहयोगी बनाना है। जो महात्मा गाँधी के सहयोगी बने थे, उनके आन्दोलन में भाग लिए थे, उन्हें आज पेन्शन मिल रही है, मिनिस्टर बन रहे हैं। फोटो छप रही है। पर अब कोई कहे कि हमें भी स्वतंत्रता सेनानी बना दीजिए, हम भी चले जाते हैं जेल, तो अब जेल जाने से कोई फायदा नहीं है। ठीक इसी तरह का यह समय है, जिसके बारे में हम आपको बतला रहे हैं। इसमें हमको भी बड़ा काम करना है तथा आपको भी काम करना है। इसके अलावा सारी दुनिया के लोगों को भी हमारा काम करना है। “वसुधैव कुटुम्बकम् की स्थिति लानी है। इनकी भी समस्या का हल करना है। ये समस्याएँ हैं-गरीबी बेकारी,युद्ध और अपराध, जो बढ़ रहे हैं, मनुष्य भेड़िया बन रहा है। हमको इन्हें भी रोकना है। सारे संसार के लिए कुछ करना है।

क्यों साहब! टाप कितने वर्श तक जिन्दा रहेंगे? यह तो केवल १५ वर्षों का चक्कर है। सन् २००० से नया उछाल आना शुरू हो जायेगा, मुसीबतें घटने लगेंगी। गायत्री तपोभूमि एवं शान्तिकुञ्ज से पौध लगाने का काम हमको इसी वक्त करना है। हमें लड़ना भी इसी वक्त है। हमें किससे लड़ना है? सारी कुरीतियों एवं अपराधी वृत्तियों से लड़ना है। हमारे पास बहुत बड़े हथियार हैं, जैसा कि महर्षि दधीचि तथा भगीरथ के पास था। इससे हम लड़ने में भी समर्थ हैं तथा लोगों को राहत देने एवं परिस्थितियों को ठीक करने में भी समर्थ है। हम बीमारी, उठाईगीरी से केवल आपकी रखवाली ही नहीं करेंगे, बल्कि आपको भी लोमस ऋषि के पुत्र शृंगी ऋषि की तरह होना होगा, जो कि अपने पिता के गले में मरा हुआ साँप जो राजा परीक्षित ने डाल रखा था, उसे देखकर क्रोधित हो गये थे और उस साँप को उतार कर उसे जिन्दा कर दिया था। उसे कहा था, तू जा और सात दिन के अन्दर राजा परीक्षित को काट कर समाप्त कर दे। वैसा ही हुआ। शृंगी ऋषि ने राजा दशरथ की रानियों के बच्चा पैदा कर दिया था। वे तपस्वी थे। हम भी तपस्वी हैं। हम तुम्हारी रक्षा भी करेंगे तथा जिस प्रकार शृंगी ऋषि के द्वारा भेजे गए साँप से तबाही हो गयी थी, हम उससे भी रक्षा करेंगे। तपस्वी को पण्डित कहते हैं। मन्त्र बोलने वाले को हम पण्डित नहीं कह सकते हैं। आपकी गोद में हमें राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघन को बैठाना है। हमें आप जैसे छोटे-छोटे आदमियों को समर्थ बनाना है।

मित्रों, अभी आपका गुजारा नहीं होता है। हम चाहते हैं कि आपका गुजारा होना चाहिए। हम समर्थ गुरु रामदास के शिष्य छत्रपति शिवाजी की तर आपको बनाना चाहते हैं, जो एक राजा भी था, गुरुभक्त भी था, सेवक भी था। हमारा ख्वाब कभी भी अधूरा नहीं रहा है। हमारा ख्वाब है कि हमारे चौबीस लाख बच्चे पूर्ण सुरक्षित रहें। उनके ऊपर कोई मुसीबत न आवें। दूसरा हमारा ख्वाब है कि हमारे किसी शिष्य की मिट्टी पलीद न हो। कोई भी समाज के लोग उस पर बुरी नजर न डालें। कोई यह न कहे कि गुरुजी का शिष्य है, मर रहा है, खाने-कपड़े के लिए। हमारे पास जो भी आया है, समुन्नत हो गया है। हम राजा से भी बड़ा महाराजा बनाएँगे आपको। ऐसे जैसे कि सुदामा, जिनका चरण धोकर श्रीकृष्ण भगवान ने पिया था, रानियों न उनका कितना बड़ा स्वागत किया था। मित्रो, हम आपको उस स्तर से कम का नहीं बनाना चाहते हैं। हम आपको विश्वामित्र बनायेंगे, शिवाजी बनायेंगे। ऐसा बनाएँगे कि समाज यह न कहे कि इस व्यक्ति ने केवल खाया, पिया तथा बच्चा पैदा किया है, वरन् समाज की सेवा की है। जिन्हें लोग सैकड़ों, हजारों वर्श तक याद करते रहें, ऐसा हम बनाना चाहते हैं। हम तुम्हें ऐसा नहीं बनाना चाहते हैं कि पुलिस तुम्हारे पास आवे और तुम्हारा सोना, पैसा ले जावे। छापा डाल दे। नहीं, बेटे ! ऐसा हम तुम्हें कदापि नहीं बनाएँगे। भूखे, नंगे, गरीब यानी खाने, कपड़े और मकान की किसी प्रकार की कमी तुम्हें नहीं होने देंगे। हम तुम्हारे लिए किले, कोठी तो नहीं बनाएँगे कि तुम्हारा नाम इतिहास में अमर हो जाए। हम अपने बच्चों को, शिष्यों को बहुत अच्छा बनाएँगे ।

आज जो दुनिया तहस-नहस करने में लगी है, उसे हम एक धुरी पर इकट्ठी करेंगे। सारी पृथ्वी पर एक राज्य होगा। हम एक चक्रवर्ती राजा बनायेंगे। एक धर्म होगा, एक कानून होगा, सारी दुनिया की एक व्यवस्था होगी। कोई बड़ा-छोटा नहीं होगा, यानी कि समानता का अधिकार सबको मिलेगा। विषमता लोगों के बीच नहीं रहेगी। लोगों में एकता होगी। सब आपस में मिल-जुलकर रहेंगे, कुटुम्बी-परिजन बनकर रहेंगे। आपस में मिलकर काम करेंगे। आगे हम सारे विश्व को बनाने जा रहे हैं। यह हमारा एक बहुत बड़ा काम है। आप उसमें अवश्य शामिल रहना। आप हमारे परिश्रम में साथ-साथ रहेंगे, तो आप फायदे में होंगे। जो हमारा इस कम्पनी का शेयर खरीदेगा, उसे काफी मुनाफ़ा मिलेगा। तुम हमारी कम्पनी में शेयर होल्डर बनकर रहना। हम कभी भी नहीं मरेंगे। हम सन् २००० तक बिलकुल मोर्चे पर खड़े रहेंगे।

साथियों, हम स्थूलशरीर में न सही, परन्तु सूक्ष्मशरीर में रहेंगे तथा एक मिनट में २० हजार मील चल सकेंगे ऐसा हमारा विचार है। सूक्ष्मशरीर हमारा असीम है। यह मिट्टी वाला स्थूलशरीर जितना काम कर सकता है, उससे कहीं ज्यादा काम हमारा सूक्ष्मशरीर करता रहेगा। अरे तू चिन्ता मत कर कि गुरुदेव मर गये और अब हमें कौन देखेगा? बेटा तू चिन्ता मत करना, हम तेरे पास स्वयं पहुँच जाएँगे, तेरी निगरानी करेंगे, रक्षा करेंगे, स्वस्थ रखेंगे तथा तुम्हें प्रगति के रास्ते पर बढ़ाते रहेंगे। इस विषम परिस्थिति में हम तुम्हारे छाता बनकर रहेंगे। न केवल छाता बनकर रहेंगे, वरन् तुम्हारे भविष्य को उज्ज्वल बनाने का भी कार्य करेंगे। तुम्हारे खानदान को भी ऊँचा उठाने तथा उनका भविष्य उज्ज्वल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

मित्रों, यह हमारी पचास प्रतिशत शक्ति का उपयोग होगा। अन्य पचास प्रतिशत शक्ति से हम दुनिया को शानदार बनाएँगे। जो जिस भाषा में समझेंगे, उसे हमें उसी भाषा में समझाना होगा। अँग्रेजी, मराठी में जो समझेंगे, उसे उसी भाषा में समझाएँगे। अगर उसे ऐसे नहीं समझेगा, तो हम उसे शक्ति से समझाएँगे, ताकत से समझाएँगे । जो भलमनसाहत से समझेंगे, उन्हें उसी तरह से समझाएँगे । सारी दुनिया को हमें एक करना है, सारी जमीन को एक करना है। जो जमीन दबाकर रखे हैं, उनके सारे एकाधिकार समाप्त करेंगे। सब मिल-जुलकर खायेंगे, काम करेंगे, आगे बढ़ेंगे। एक समानता का मौका होगा। सभी मालिक होंगे। एक बच्चे का भी समान अधिकार होगा। एक शानदार दुनिया का ख्वाब हमारे अन्दर है। आज जहाँ-तहाँ अनीति, अत्याचार, अन्याय, कुरीतियाँ अपराधी-वृत्तियाँ आदि हमें दिख रही हैं। इनसे लड़ने के लिए हमारे भीतर एक शूरमा जाग्रत हो रहा है।

आइंस्टीन जब मरे तो लोगों न उनके दिमाग को खोलकर देखा था कि इनके दिमाग में क्या विलक्षणता थी। अगर हम मरे तो तुम हमारे कलेजे को देखना, तो यह पाओगे कि उसमें लड़ने के लिए बहुत बड़ा साहस है, सामर्थ्य है, जो हनुमान के अन्दर था। हमें बनाना भी है तथा तोड़ना भी है। हमें दोनों में शक्ति लगानी है। यह बातें संसार के बारे में हम कह रहे हैं, पर आपके बारे में यह कहना है कि हम आपकी रखवाली करेंगे तथा आपको ऊँचा भी उठायेंगे। हम कन्धों पर भी आपको बिठाएँगे। कोई पिता यह नहीं चाहता है कि हमारा बच्चा हमसे कमजोर रह जाए। आपको हम दुःखी रहने नहीं देंगे, आपको कठिनाई में हम रहने नहीं देंगे, आपको हम ऊँचा उठाएँगे। सभी दृष्टि से ऊँचा उठाएँगे। पैसे की दृष्टि से कोई अमीर नहीं बन सकेगा। अभी लोग छापा मार रहे हैं, अगले दिनों भी पैसा अधिक नहीं रहने वाला है। हम मालदार नहीं बनायेंगे। आपको हम श्रद्धावान, भावनाशील, विचारशील बनाएँगे। आपको हम महामानव, ऋषि, देवमानव बनाएँगे। हमारा यह विचार केवल आपके लिए ही नहीं, वरन् सारे संसार के लिए है। हम सारे संसार को भी ऊँचा उठाएँगे और शानदार बनायेंगे, जिससे यह अनुभूति होने लगे कि मानो धरती पर स्वर्ग का अवतरण हो गया है। इनसान को इस प्रकार का बनाएँगे कि जैसे देवता होते हैं। यही हमारी योजना है, जो हमने आपको आज बतलायी है। आज की बात समाप्त।

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