
नागदा (उज्जैन) की ममता बैरागी: 108 गांवों को जोड़कर प्रज्ञा अभियान में रच रहीं नई प्रेरणा की कहानी।
नागदा, उज्जैन:
मध्य प्रदेश के नागदा क्षेत्र से एक प्रेरणादायक समाचार सामने आया है, जहाँ ममता बैरागी नामक एक साधारण महिला असाधारण संकल्पों और सेवा-भाव से समाज में चेतना का संचार कर रही हैं। पिछले 25 वर्षों से प्रज्ञा पीठ से जुड़ी ममता दीदी न सिर्फ युग निर्माण अभियान का दायित्व निभा रही हैं, बल्कि अपने निःस्वार्थ प्रयासों से 1008 अखंड ज्योति, युग निर्माण साहित्य और प्रज्ञा अभियान की सामग्री को आसपास के 108 गांवों में वितरित करवा रही हैं।
बिना पद और बजट के बना बड़ा आंदोलन
गौरतलब है कि ममता बैरागी दीदी के पास न कोई पद है, न ही कोई बड़ा व्यक्तिगत बजट, फिर भी वे समाज के सहयोग से हर वर्ष प्रमुख पर्वों पर भव्य आयोजन करवाती हैं। सभी कार्य सहभागिता से होते हैं — लोग हर महीने आते हैं, अपने गांवों के लिए सामग्री प्राप्त करते हैं और ज्ञानयज्ञ में अपनी भूमिका निभाते हैं।
इस वर्ष 108 कुंडीय यज्ञ का संकल्प
इस वर्ष ममता दीदी ने 108 कुंडीय यज्ञ का संकल्प लिया है। उनकी चेतना ने उन्हें प्रेरित किया कि हर एक कुंड एक गांव की ओर से बने, जिसमें उसी गांव के लोगों का योगदान, प्रबंधन और नाम सम्मिलित हो। यज्ञ से पूर्व 108 गांवों से भव्य कलश यात्राएं निकाली जाएगी, जिनमें हर गांव की तख्ती और सहभागिता सुनिश्चित की गई है।
कलश यात्रा और सहभोज बन रहे प्रेरणा का माध्यम
प्रत्येक आयोजन के बाद विशाल सहभोज का आयोजन होता है, जो अब एक परंपरा बन चुका है। यह आयोजन प्रज्ञा पीठ को एक विराट स्वरूप देता है — एक ऐसा स्वरूप जो गुरुदेव के युग निर्माण के स्वप्न को साकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है।
अन्य क्षेत्रों में भी फैल रहा अभियान
ऐसी ही मिसाल अलवर (राजगढ़ तहसील) की मीना खंडेलवाल जीजी के माध्यम से देखी जा रही है। वहाँ भी ज्ञानयज्ञ का कार्य अत्यंत योजनाबद्ध और प्रभावशाली ढंग से हो रहा है। 2026 तक लक्ष्य है कि प्रज्ञा अभियान की पाक्षिक पत्रिका तहसील के हर गांव तक पहुंचे।
आह्वान: 1 से 5, 5 से 25 – ज्ञानयज्ञ की श्रृंखला
गुरुदेव की भावना के अनुसार, सभी परिजनों से अपेक्षा है कि वे ज्ञान के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दें — 1 से 5, 5 से 25 लोगों तक। अंशदान और समयदान, दोनों को ही ज्ञानयज्ञ की आहुति माना गया है।