
हत्यारी दहेज प्रथा को बन्द करो?
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(श्री स्वामी सत्यभक्तजी)
एक तरफ संसार के वे लोग हैं जो विवाह के समय पत्नी को अधिक भेंट देते हैं और उस भेंट की रक्षा करना सारे समाज का कर्तव्य समझा जाता है, लड़की के कारण उसके कुटुम्बियों पर कोई जबर्दस्त बोझ नहीं पड़ता, और दूसरी तरफ आप हैं जो लड़की के बाप को उसके परोपकार के कारण अधिक से अधिक लूटे डालते हैं, दहेज की मार से उसकी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं ऐसी हालत में आप नारी रत्न को रखने लायक कैसे हो सकते है? आज के युवक अच्छी से अच्छी लड़की को दहेज के बिना स्वीकार नहीं करते बल्कि तरह तरह से लड़की के कुटुम्बियों को चूसने की, ठगने की, दबाने की कोशिश करते हैं ऐसे हरामखोर युवक जिस कौम में भरे पड़े हों वह कौम जिन्दा रहे तो कैसे रहे? और जिन्दा रहे तो क्यों रहे? यह बिल्कुल ठीक है और उचित है कि वह कौम नाश के मुँह में जा रही है। अगर आप अपनी कौम को जिलाये रखना चाहते हैं तो आप को कन्याओं के कुटुम्बियों का खून चूसना दहेज लेना सख्ती से बंद करना पड़ेगा। वेश्याओं की कमाई को हम बुरी कमाई कहते हैं पर उससे सौगुनी बुरी दहेज की कमाई है। इसमें जो हरामखोरी है, अन्याय है, सामाजिक सर्वनाश है वह वेश्या की कमाई में नहीं है। बंगाल में आज हिन्दू, जो गैर हिन्दुओं से कम रह गये हैं और अत्याचार से पीड़ित हैं उसमें एक कारण यह दहेज की कुप्रथा भी है। आप अगर मौत से बचना चाहते हैं तो इस कुप्रथा को जड़मूल से उखाड़िये और इसके विरोध में ऐसा वातावरण खड़ा कीजिये कि कोई भी युवक दहेज या हुँडी लेने की हरामखोरी न कर सके। शिक्षितों में तो यह बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है। इससे बढ़कर शिक्षा को लजाना और क्या होगा? औरत के नाम की कमाई खाने वाले लोग यदि युवक हैं, पुरुष हैं, तो फिर हिजड़ा कौन है। आप अपने युवकों में वह आत्मगौरव, पुरुषत्व पैदा कीजिये कि दहेज के नाम से ही वे शर्मिन्दा हो जायं, जान दे दें पर दहेज न ले। आप बेटी का मर जाना या व्यभिचारिणी बनना भी मंजूर करें पर इन हिजड़ों के गले बाँधना मंजूर न करें।
यह कुप्रथा एक प्रकार से नारी जाति का घोर अपमान है। जैसे बूढ़ी गाय को बिना धन लिए कोई पुरोहित दान में लेने को तैयार नहीं होता है वैसी ही दयनीय दशा आज लड़कियों की हो रही है। दहेज प्रथा के विरोध में जब तक आप जहाद न बोलेंगे, धर्मयुद्ध न करेंगे तब तक आप अपनी कौम को जिन्दा नहीं रख सकते, इस अन्याय के कारण आपका समाज नरक बनेगा और अन्त में मिट जायगा।
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