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Magazine - Year 1948 - Version 2

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अमृत-कण

दान पर अपना गुजारा करने को अधिकार उसी व्यक्ति का है जो तन मन से समाज और देश की सेवा करता है।

-उड़िया बाबा

जिसका देह और मन शुद्ध न हो उसका मन्दिर में जाकर भगवान की पूजा करना व्यर्थ है। जिनके देह और मन दोनों पवित्र हैं भगवान उन्हीं की प्रार्थना सुनते हैं-

- स्वामी विवेकानन्द

जो जाति अपना गौरव और आत्माभिमान छोड़ चुकी वह साँसारिक वैभव को फिर नहीं पा सकती।

-लाला हरदयाल

दरिद्रता ही संसार में सब बुराइयों की जड़ है। इसके कारण ही मनुष्य के उच्च भावों का विनाश होता है।

-लाला हरदयाल,

जो सुखी रह कर संसार को सुखी करना चाहते हैं, वे असफल होते हैं। सफलता पाने के लिए तो अपने सुख को छोड़ना पड़ता है।

-लाला हरदयाल,

शारीरिक क्षीणता कमजोर दिमाग का चिह्न है।

-लाला हरदयाल,

ज्ञान और चरित्र पूँजी सारे सुखों की पथप्रदर्शक है। बुद्धि और आचरण का जितना ही सदुपयोग होगा मनुष्य दरिद्रता ,मूर्खता और रोग से उतने ही मुक्त होंगे।

-लाला हरदयाल,

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