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Magazine - Year 1972 - Version 2

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सनातन सभ्यता का अभ्युदय अत्यन्त सन्निकट

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पश्चिमी सभ्यता देखने में अपने चरमोत्कर्ष पर है, पर यह उसकी-वृद्धावस्था है; उसका अन्त बहुत समीप है।

-ओस्वाल्ट स्पेंगुलर

एक नई सभ्यता उदय होने जा रही है जो चिरकाल तक धरती के लोगों को देश, धर्म, वर्ण, सम्प्रदाय से ऊपर एक आत्मा के मानवीय सिद्धान्तों पर आबद्ध रखेगी।

-प्रो0 कीरी

मुझे विश्वास है भारतवर्ष एक बार फिर सारे विश्व को ज्ञान का प्रकाश देगा।

-रीम्या रोलाँ

शीघ्र ही युद्ध होगा और युद्ध के बाद सत्य, धर्म, नीति, सदाचार पर आधारित नई सभ्यता का सारे विश्व में प्रसार होगा।

-पादरी वाल्टर वेन

(मिस्र के एक शिलालेख के आधार पर)

जब जीवन दायिनी गैसें दूषित हो जायेगी तब प्राकृतिक प्रकोप उग्रतम रूप धारण करेंगे। उसके बाद संसार को सुखी बनाने और वायुमण्डल को शुद्ध करने वाली सभ्यता का विस्तार और विकास होगा।

-जी0 वेजीलेटिन

सुप्रसिद्ध जर्मनी दार्शनिक “ओस्वाल्ट स्पेंगुलर” की पुस्तक “पश्चिमी सभ्यता का अन्त” (दि डिक्लाइन ऑफ दि वेस्ट) ने पश्चिमी देशों में एक बार तहलका मचा दिया। उसके यह शब्द-”पश्चिमी सभ्यता अब बुढ़ापे के दौर से गुजर रही है। उसने संसार में कूटनीति और युद्ध का जो रंगमंच तैयार कर दिया है वह वास्तव में विनाश नदी की ऐसी कगार है जो अब और एक भी बाढ़ बर्दास्त नहीं कर पायेगी। तृतीय युद्ध अवश्य होगा और उसके बाद ही पश्चिमी सभ्यता का सदा के लिये अन्त हो जायेगा” अभी भी पश्चिमी कूटनीतिज्ञों के लिये सिर दर्द बने हुये हैं। स्पेंगुलर ने उपरोक्त पुस्तक में अपने कथन के समर्थन में जो तर्क प्रस्तुत किये हैं वह अकाट्य है ऐसा पश्चिम का हर विचारक मानता है।

स्पेंगुलर ने जो तर्क प्रस्तुत किये हैं वे जीवाश्मों की विस्तृत गवेषणा पर आधारित हैं दूसरी ओर सन्त रोम्याँ रोलाँ की भविष्यवाणी - “मुझे विश्वास है भारतवर्ष एक बार फिर सारे विश्व को ज्ञान का प्रकाश देगा-पश्चिमी सभ्यता के अन्त के साथ पूर्वी सभ्यता का उदय भी निश्चित है-निर्मल आत्मा की पूर्वानुभूती पर आधारित थी। किन्तु इन्हीं दिनों एक और भविष्यवक्ता ने इसी तरह की भविष्यवाणी की जिसने लोगों को सबसे अधिक प्रभावित किया क्योंकि उसकी भविष्यवाणियाँ ठोस ज्योतिष-गणित पर आधारित थी। यह भविष्यवाणी इंग्लैण्ड के प्रो0 कीरो की है जिसे पश्चिम में ज्योतिष का जादूगर कहा जाता है।

प्रोफेसर कीरो ने भविष्यवाणी की थी-”यूरोप की ईसाई जातियाँ एक बार फिर से यहूदियों को पैलेस्टाइन में बसायेगी जिसके कारण अरब राष्ट्र और उनके इस्लामी मित्र भड़क उठेंगे। वे बार-बार इंग्लैण्ड, अमेरिका के विरुद्ध उत्तेजक नारे बुलन्द करेंगे, यहूदियों से उनकी टक्कर भी होगी इस सबके बावजूद यहूदियों की शक्ति बढ़ेगी। कम संख्या में होते हुए भी ईश्वरीय चमत्कार के सहारे यहूदी अरबों को पीटेंगे और उनका बहुत सा प्रदेश अपने कब्जे में कर लेंगे। 1970 के बाद कभी भी एक बार बहुत भी भयानक टक्कर होगी जिसमें अरब राष्ट्र बुरी तरह तहस-नहस होंगे। यह विनाश पूर्ण होने के बाद एक नई सनातन सभ्यता का अभ्युदय और सारे विश्व में प्रसार होगा। यह सब सन् 2000 के पूर्व ही होगा।

यह भविष्यवाणी हुई तब इजरायल कल्पना में भी नहीं आया था किन्तु कुछ ही दिनों में दुनिया भर में यहूदी फिर से पैलेस्टाइन में आये सचमुच ईसाइयों ने उन्हें मदद दी और इस तरह एक छोटा सा किन्तु बाघ और बाज की तरह इजरायल एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उठ खड़ा हुआ और एक ही धमाके में उसने जहाँ जोर्डन की कमर तोड़ दी, वहाँ मिश्र का पूरा सिनाई प्रान्त ही हड़प लिया। प्रो0 कीरो ने कहा था-अरबों की नील (नदी) यहूदियों का आदाब बजायेगी” सो भी सच हुआ और अब उस भविष्यवाणी के उत्तरार्ध की प्रतीक्षा की जा रही है। अरबों की खस्ता हालत देखकर यह स्पष्ट अनुमान किया जा सकता है कि यदि इस बार युद्ध हुआ तो इजरायल अरबों को सचमुच ही कहीं बिल्कुल ठिकाने न लगा दे।

प्रो. कीरो की भविष्यवाणियों की सत्यता का अनुमान किसी को करना हो तो वह सन् 1943 की अखण्ड ज्योति का जनवरी अंक उठा कर देखें। पेज नं. 23 में लिखा है-”इंग्लैण्ड भारत को स्वतन्त्र कर देगा पर मजहबी फसाद से भारत को स्वतन्त्र कर देगा पर मजहबी फसाद से भारत तबाह हो जायेगा यहाँ तक कि हिन्दू बौद्ध और मुसलमानों में बराबर-बराबर विभक्त हो जायेगा” जिन दिनों यह भविष्यवाणी छपी थी वह दिन वरतानी दमन चक्र के दिन थे। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि भारत स्वतन्त्र होगा पर प्रो. कीरी का कथन था-”भारतवर्ष का सूर्य ग्रह बलवान है और कुम्भ राशि पर है उसका अभ्युदय संसार की कोई ताकत नहीं रोक सकती” सो सच ही होकर रहा। पर दूसरी भविष्यवाणी जिसमें इस देश के बँट जाने की बात थी उस पर तो किसी का कतई विश्वास नहीं था पर सारी दुनिया ने देखा कि भारत के ही बहुत से बौद्ध मतावलम्बी राज्य अलग हो गये पाकिस्तान बना और आज तक सिर-दर्द पैदा कर रहा है।

किन्तु भारतवर्ष के अति उज्ज्वल भविष्य के प्रति श्री कीरो बहुत अधिक आशावान् थे - उनका कथन है कि विशुद्ध धर्मावलम्बी नीति के एक सशक्त व्यक्ति के भारतवर्ष में जन्म लेने का योग है यह व्यक्ति सारे देश को जगाकर रख देगा। उसकी आध्यात्मिक शक्ति दुनिया भर की तमाम भौतिक शक्तियों से समर्थ होगी, बृहस्पति का योग होने के कारण ज्ञान-क्रान्ति की सम्भावना है जिसका असर सारी दुनिया में पड़े बिना रहेगा नहीं।”

प्रो0 कीरो की भविष्यवाणी की तरह ही एक भविष्यवाणी मिश्र की एक बहुत प्राचीन मीनार में अंकित है उसमें 14 वीं सदी में (अब इस्लामिक हिजरी सन् के हिसाब से चौदहवीं सदी प्रारम्भ है) कयामत (भीषण विनाश और संघर्ष) की बात लिखी है-वहाँ यह भी लिखा है कि शीघ्र ही ऐसा युग आ रहा है जिसमें सत्य ही धर्म होगा- न्याय ही कानून होगा, सारी पृथ्वी के लोग एक परिवार की तरह होंगे, कोई किसी से वैर भाव नहीं रखेगा। सब ओर सुख-शान्ति बरसेगी पर इससे पहले भयंकर युद्ध अकाल और प्राकृतिक प्रकोप इतने सघन होंगे कि संसार की आबादी का बड़ा भाग नष्ट हो जायेगा। नये जगत की शुरुआत बहुत थोड़े लोग करेंगे।”

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