• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • गलोगे, तो ही उगोगे
    • अखण्ड ज्योति के चंदे में एक रुपये की वृद्धि
    • “शान्ति कुँज” से प्रेषित सूचनाएँ।
    • बलिदान से दुर्भिक्ष निवारण
    • समष्टिगत उत्कृष्टता ही धर्म का प्राण है।
    • अध्यात्म का आधार और परिणाम
    • मरने के बाद भी आत्मा का अस्तित्व बना रहता है।
    • अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की अद्भुत और अतिमानवी क्षमता - 2
    • स्वर्ग और मुक्ति का लाभ समस्त मानव समाज को मिले।
    • बुद्धि पर धर्म का अंकुश रखा जाय
    • मस्तिष्क की अद्भुत क्षमताएँ जिन्हें जानें और बढ़ायें
    • उद्दण्ड मनुष्य (kahani)
    • गाने वाली बालू एक रहस्य
    • विषाणुओं को मारने की ही बात न सोची जाय
    • बरगद की ऊँचाई (kahani)
    • हत्यारे की आत्म-प्रताड़ना
    • प्रसन्न रहना एक अच्छी आदत
    • स्वभाव और चरित्र का निर्माण(kahani)
    • कृतज्ञता और प्रतिदान से रहित होकर न जिये।
    • अगली शताब्दी का भविष्य कथन
    • Quotation
    • अदृश्य शक्तियों का दृश्य जगत पर प्रभाव
    • विज्ञान की तरह दर्शन में भी उत्क्रान्ति होगी।
    • धरती की हत्या करके बचेंगे हम भी नहीं
    • आचार्य अग्ने (kahani)
    • अचेतन मन को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता
    • शब्द ब्रह्मं की नाद-साधना
    • मौत जिंदगी की शुभचिंतक (kahani)
    • गरीबी उदार दानवीरता में बाधक नहीं
    • स्वभाव बड़ा क्रोधी (kahani)
    • असन्तुलन का तूफानी निराकरण
    • आग्नेय-उद्वेग का समाधान वरुण संस्कृति से
    • प्रकृति-प्रवाह के साथ तालमेल बिठाना भी साधना का एक उद्देश्य
    • आत्मबोध और आत्मदेव की उपासना
    • उपवास स्वास्थ्य रक्षा का महत्वपूर्ण आधार
    • शीतल आवरण से ही समस्वरता सम्भव है।
    • Quotation
    • अपनों से अपनी बात
    • Quotation
    • श्रद्धांजलि पर्व इस तरह मनायें
    • आज पुलकित प्राण मेरे
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • गलोगे, तो ही उगोगे
    • अखण्ड ज्योति के चंदे में एक रुपये की वृद्धि
    • “शान्ति कुँज” से प्रेषित सूचनाएँ।
    • बलिदान से दुर्भिक्ष निवारण
    • समष्टिगत उत्कृष्टता ही धर्म का प्राण है।
    • अध्यात्म का आधार और परिणाम
    • मरने के बाद भी आत्मा का अस्तित्व बना रहता है।
    • अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की अद्भुत और अतिमानवी क्षमता - 2
    • स्वर्ग और मुक्ति का लाभ समस्त मानव समाज को मिले।
    • बुद्धि पर धर्म का अंकुश रखा जाय
    • मस्तिष्क की अद्भुत क्षमताएँ जिन्हें जानें और बढ़ायें
    • उद्दण्ड मनुष्य (kahani)
    • गाने वाली बालू एक रहस्य
    • विषाणुओं को मारने की ही बात न सोची जाय
    • बरगद की ऊँचाई (kahani)
    • हत्यारे की आत्म-प्रताड़ना
    • प्रसन्न रहना एक अच्छी आदत
    • स्वभाव और चरित्र का निर्माण(kahani)
    • कृतज्ञता और प्रतिदान से रहित होकर न जिये।
    • अगली शताब्दी का भविष्य कथन
    • Quotation
    • अदृश्य शक्तियों का दृश्य जगत पर प्रभाव
    • विज्ञान की तरह दर्शन में भी उत्क्रान्ति होगी।
    • धरती की हत्या करके बचेंगे हम भी नहीं
    • आचार्य अग्ने (kahani)
    • अचेतन मन को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता
    • शब्द ब्रह्मं की नाद-साधना
    • मौत जिंदगी की शुभचिंतक (kahani)
    • गरीबी उदार दानवीरता में बाधक नहीं
    • स्वभाव बड़ा क्रोधी (kahani)
    • असन्तुलन का तूफानी निराकरण
    • आग्नेय-उद्वेग का समाधान वरुण संस्कृति से
    • प्रकृति-प्रवाह के साथ तालमेल बिठाना भी साधना का एक उद्देश्य
    • आत्मबोध और आत्मदेव की उपासना
    • उपवास स्वास्थ्य रक्षा का महत्वपूर्ण आधार
    • शीतल आवरण से ही समस्वरता सम्भव है।
    • Quotation
    • अपनों से अपनी बात
    • Quotation
    • श्रद्धांजलि पर्व इस तरह मनायें
    • आज पुलकित प्राण मेरे
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1973 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


अखण्ड ज्योति के चंदे में एक रुपये की वृद्धि

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 1 3 Last
इन दिनों आकाश छूने वाली महँगाई से कोई अपरिचित नहीं है। पर कागज के क्षेत्र में तो उसने सारी मर्यादाओं को ही तोड़कर रख दिया है। गतवर्ष इन्हीं दिनों कागज का जो भाव था, इन दिनों उससे दूने भाव में मिलना दुर्लभ हो रहा है, सरकारी कोटे का जो कागज मिलता था, उसकी न केवल मात्रा में भारी कमी हुई है, वरन् वह कब मिलेगा? कितना मिलेगा? यह सब भी अनिश्चित है।

सभी चीजों की महँगाई बढ़ने का प्रभाव प्रेस-कर्मचारियों की वेतन -वृद्धि के रूप में भी सामने आ गया है। न केवल ‘कागज’ के दानों में, वरन् ‘छपाई की लागत’ में भी खर्च बढ़ा है।

इन परिस्थितियों में अखण्ड-ज्योति का चन्दा बढ़ने के अतिरिक्त और कोई चारा शेष नहीं रह गया है। पृष्ठ घटाकर काम चलाने की बात भी सोची गई, पर हिसाब लगाने से पता चला कि ठीक आधे पृष्ठ घटाने पर ही जमा-खर्च बराबर होगा। अब 64 पृष्ठ छपते हैं, आगे यदि 7 रुपया ही चन्दा रखना हो तो 32 पृष्ठ से अधिक न दिये जा सकेंगे। इतने कम पृष्ठों में वे ज्ञान-किरणें पाठकों तक पहुँच ही न सकेंगी, जिन्हें ‘गुरुदेव’ अपने गहन-तत्व-चिंतन को नवनीत की तरह पहुँचाने की साधना में निरत हैं।

गत वर्ष इस महँगाई ने अखण्ड-ज्योति को इतना घाटा दिया है कि इस वर्ष आर्थिक दृष्टि से उसके पैर ही लड़खड़ाने लगे हैं। अगले वर्ष भी वही स्थिति चलने दी जाय तो निश्चित रूप से उसे बन्द कर देने के अतिरिक्त और कोई मार्ग शेष नहीं रहेगा।

स्पष्ट है कि इस महँगाई का असर प्रत्येक ‘पाठक’ पर है और उसे भी अपना निर्वाह कठिन पड़ रहा है। आवश्यक खर्चों में भी कटौती करके किसी प्रकार काम चलाना पड़ रहा है। ऐसी दशा में उसे अखण्ड-ज्योति के चंदे में वृद्धि होना निश्चित रूप से भारी पड़ेगा। दूसरी ओर हमारी भी वही स्थिति है। घाटे का असह्य बोझ उठाना अपने लिये भी असम्भव है।

बहुत सोच-विचार के बाद यत्किंचित् मूल्य वृद्धि करके किसी प्रकार काम चलाने का निश्चय किया गया है और मात्र एक रुपया ही बढ़ाया गया है। अब जनवरी 74 से अखण्ड-ज्योति का चन्दा सात के स्थान पर ‘आठ रुपया वार्षिक’ कर दिया गया है, इससे महंगाई के घाटे की एक एक सीमा तक ही पूर्ति होगी। शेष कमी पूरा करने के लिये सम्भव है-कुछ पृष्ठ भी घटाने पड़ें।

यह बुद्धि हमें अखरी है। पाठकों को भी अखरेगी ही, पर विवशता ने और कोई मार्ग शेष नहीं रहने दिया, इसलिए उसे हमें स्वीकार करना ही होगा। आशा है, प्रेमी पाठक अखण्ड-ज्योति के पृष्ठों पर उपलब्ध होती रहने वाली प्रकाश-किरणों का महत्व समझते हुए इस अतिरिक्त भार को अपनी सहज उदारता पूर्वक स्वीकार करेंगे।

खतरा एक और भी है कि यदि मूल्य वृद्धि के कारण ग्राहकों की संख्या घट गई तो घाटा ज्यों का ज्यों बना रहेगा। कम उत्पादन में लागत बढ़ने का सिद्धान्त हर कोई जानता है। इसलिए पाठकों के कन्धों पर बढ़ा हुआ ‘एक रुपया’ चन्दा और देने के अतिरिक्त एक नया उत्तरदायित्व यह भी आता है कि वे ग्राहकों-संख्या घटने न देने के लिए पिछले वर्षों की अपेक्षा अधिक प्रयत्न करें और पुराने ग्राहकों को प्रोत्साहित करने तथा नये ग्राहक बढ़ाने के लिए इन दिनों अधिक ध्यान दें और अधिक परिश्रम करें।” इस वर्ष तो यह आपत्ति-कालीन अतिरिक्त कर्तव्य विशेष रूप से पूरा करने के लिए हममें से प्रत्येक को अधिक तत्परता पूर्वक जुटना ही चाहिए।

जिन लोगों के पास ग्राहकों से चन्दा वसूल करने के लिए रसीद-बहियां भेजी गई थीं, उन्हें भी इस सम्बन्ध में पूरा ध्यान देना है। रसीद में छपे सात रुपये को काटकर हाथ से आठ रुपया बना लेना है। जिनसे सात रुपया लिया है, उनसे ‘एक रुपया’ और लेना है।

बढ़ी हुई महँगाई के कारण बढ़े हुए चंदे का अतिरिक्त भार उदारता पूर्वक उठा कर प्रेमी-पाठक अखण्ड-ज्योति के प्रति अपनी सहज श्रद्धा और सघन आत्मीयता का परिचय देंगे, ऐसी आशा है-और विश्वास भी।

First 1 3 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • गलोगे, तो ही उगोगे
  • अखण्ड ज्योति के चंदे में एक रुपये की वृद्धि
  • “शान्ति कुँज” से प्रेषित सूचनाएँ।
  • बलिदान से दुर्भिक्ष निवारण
  • समष्टिगत उत्कृष्टता ही धर्म का प्राण है।
  • अध्यात्म का आधार और परिणाम
  • मरने के बाद भी आत्मा का अस्तित्व बना रहता है।
  • अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की अद्भुत और अतिमानवी क्षमता - 2
  • स्वर्ग और मुक्ति का लाभ समस्त मानव समाज को मिले।
  • बुद्धि पर धर्म का अंकुश रखा जाय
  • मस्तिष्क की अद्भुत क्षमताएँ जिन्हें जानें और बढ़ायें
  • उद्दण्ड मनुष्य (kahani)
  • गाने वाली बालू एक रहस्य
  • विषाणुओं को मारने की ही बात न सोची जाय
  • बरगद की ऊँचाई (kahani)
  • हत्यारे की आत्म-प्रताड़ना
  • प्रसन्न रहना एक अच्छी आदत
  • स्वभाव और चरित्र का निर्माण(kahani)
  • कृतज्ञता और प्रतिदान से रहित होकर न जिये।
  • अगली शताब्दी का भविष्य कथन
  • Quotation
  • अदृश्य शक्तियों का दृश्य जगत पर प्रभाव
  • विज्ञान की तरह दर्शन में भी उत्क्रान्ति होगी।
  • धरती की हत्या करके बचेंगे हम भी नहीं
  • आचार्य अग्ने (kahani)
  • अचेतन मन को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता
  • शब्द ब्रह्मं की नाद-साधना
  • मौत जिंदगी की शुभचिंतक (kahani)
  • गरीबी उदार दानवीरता में बाधक नहीं
  • स्वभाव बड़ा क्रोधी (kahani)
  • असन्तुलन का तूफानी निराकरण
  • आग्नेय-उद्वेग का समाधान वरुण संस्कृति से
  • प्रकृति-प्रवाह के साथ तालमेल बिठाना भी साधना का एक उद्देश्य
  • आत्मबोध और आत्मदेव की उपासना
  • उपवास स्वास्थ्य रक्षा का महत्वपूर्ण आधार
  • शीतल आवरण से ही समस्वरता सम्भव है।
  • Quotation
  • अपनों से अपनी बात
  • Quotation
  • श्रद्धांजलि पर्व इस तरह मनायें
  • आज पुलकित प्राण मेरे
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj