• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • कच्ची आस्तिकता से नास्तिक होना अच्छा
    • पेड़ के सहारे बेल भी ऊपर चढ़ती है
    • विश्व ब्रह्माण्ड में ओत-प्रोत ब्रह्मसत्ता
    • गेहूँ का सदुपयोग-रोग और दुर्बलता विनाशक
    • मनुष्य का प्रचण्ड चुम्बकत्व और तेजोवलय
    • धर्म की राह पर चलने वाला (kahani)
    • हीरा बनें या कोयला यह अपनी मर्जी की बात है।
    • दिव्य विभूतियाँ श्रद्धालु को ही प्राप्त होती हैं।
    • एक यात्री प्रवास पर जा रहा था (kahani)
    • दिव्यलोकों से बरसने वाला शक्ति-प्रवाह
    • समय की सम्पदा प्रमाद के श्मशान में न जलायें
    • कर्मयोग ज्ञानयोग और भक्तियोग की साधना
    • संकट ग्रस्त जनता की सहायता (kahani)
    • स्वर्ग और नरक में से हम जिसे चाहें चुने
    • देवमानव का सृजन निकट भविष्य में ही होगा
    • Quotation
    • जीवन को प्यार करो वह तुम्हें प्यार करेगा
    • टर्की का शासन (kahani)
    • जड़ और चेतन सूर्य की समानान्तर गतिविधियां
    • घुटन एक प्रकार की आत्महत्या है।
    • स्वप्न आखिर है क्या बला?
    • अपने लिए दण्ड पुरस्कारों का विधान हम स्वयं ही करते हैं।
    • Quotation
    • पात्रता प्रमाणित करें और विभूतियों का वरदान पायें
    • Quotation
    • संगीत के दुरुपयोग की निन्दा भर्त्सना
    • विवेकयुक्त दूरदर्शी बुद्धिमत्ता ही श्रेयस्कर है।
    • हम हीलियम जितने हलके बनें
    • अणुबम से बड़ा संकट - बढ़ता प्रजनन
    • श्री पुरुषोत्तमदास टण्डन (kahani)
    • न तो हिम्मत हारे ओर न हार स्वीकार करें
    • ध्यानयोग की सफलता शान्त मनःस्थिति पर निर्भर है।
    • प्रताप हाजरा नाम के एक महाशय रहते थे (kahani)
    • जीवन-यज्ञ की रीति-नीति
    • भगवती गंगा की दिव्य प्रवाह
    • कुण्डलिनी शक्ति जागरण का तात्त्विक आधार
    • स्वामी रामतीर्थ जापान गये (kahani)
    • बाहरी सम्पदा आन्तरिक समृद्धि की छाया मात्र है
    • अपनों से अपनी बात
    • युग शम्भु का गरल पान
    • युग शम्भु का गरल पान (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • कच्ची आस्तिकता से नास्तिक होना अच्छा
    • पेड़ के सहारे बेल भी ऊपर चढ़ती है
    • विश्व ब्रह्माण्ड में ओत-प्रोत ब्रह्मसत्ता
    • गेहूँ का सदुपयोग-रोग और दुर्बलता विनाशक
    • मनुष्य का प्रचण्ड चुम्बकत्व और तेजोवलय
    • धर्म की राह पर चलने वाला (kahani)
    • हीरा बनें या कोयला यह अपनी मर्जी की बात है।
    • दिव्य विभूतियाँ श्रद्धालु को ही प्राप्त होती हैं।
    • एक यात्री प्रवास पर जा रहा था (kahani)
    • दिव्यलोकों से बरसने वाला शक्ति-प्रवाह
    • समय की सम्पदा प्रमाद के श्मशान में न जलायें
    • कर्मयोग ज्ञानयोग और भक्तियोग की साधना
    • संकट ग्रस्त जनता की सहायता (kahani)
    • स्वर्ग और नरक में से हम जिसे चाहें चुने
    • देवमानव का सृजन निकट भविष्य में ही होगा
    • Quotation
    • जीवन को प्यार करो वह तुम्हें प्यार करेगा
    • टर्की का शासन (kahani)
    • जड़ और चेतन सूर्य की समानान्तर गतिविधियां
    • घुटन एक प्रकार की आत्महत्या है।
    • स्वप्न आखिर है क्या बला?
    • अपने लिए दण्ड पुरस्कारों का विधान हम स्वयं ही करते हैं।
    • Quotation
    • पात्रता प्रमाणित करें और विभूतियों का वरदान पायें
    • Quotation
    • संगीत के दुरुपयोग की निन्दा भर्त्सना
    • विवेकयुक्त दूरदर्शी बुद्धिमत्ता ही श्रेयस्कर है।
    • हम हीलियम जितने हलके बनें
    • अणुबम से बड़ा संकट - बढ़ता प्रजनन
    • श्री पुरुषोत्तमदास टण्डन (kahani)
    • न तो हिम्मत हारे ओर न हार स्वीकार करें
    • ध्यानयोग की सफलता शान्त मनःस्थिति पर निर्भर है।
    • प्रताप हाजरा नाम के एक महाशय रहते थे (kahani)
    • जीवन-यज्ञ की रीति-नीति
    • भगवती गंगा की दिव्य प्रवाह
    • कुण्डलिनी शक्ति जागरण का तात्त्विक आधार
    • स्वामी रामतीर्थ जापान गये (kahani)
    • बाहरी सम्पदा आन्तरिक समृद्धि की छाया मात्र है
    • अपनों से अपनी बात
    • युग शम्भु का गरल पान
    • युग शम्भु का गरल पान (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1973 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


न तो हिम्मत हारे ओर न हार स्वीकार करें

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 30 32 Last
आगत कठिनाइयों को देखकर निठाल हो बैठना और रोते कलपते समय गँवाना, विपत्ति को दूना करने के समान है। हमें यह मानकर ही चलना पड़ेगा कि जीवन आरोह अवरोध के ताने-बाने से बुना गया है। धूप, छाँह की तरह सफलताओं और असफलताओं की उभयपक्षीय हलचलें होती ही रहती है और होती ही रहेगी। सर्वथा सुख-सुविधाओं से भरा जीवन क्रम कदाचित् ही कोई जीता है। ज्वार-भाटों की तरह उठाने और गिराने वाली परिस्थितियाँ अपने ढंग से आती और अपनी राह चली जाती है। वट पर बैठकर उतार-चढ़ाव का आनन्द लेने वाले ही जीवन नाटक के अनुभवी कलाकार कहे जा सकते हैं।

सदा दिन ही बना रहे रात कभी आये ही नहीं भला यह कैसे हो सकता है? जन्मोत्सव ही मनाये जाते रहे, मरण का रुदन सुनने को न मिले यह कैसे सम्भव है। सुख की घड़ियाँ ही सामने रहें, दुःख के दिन कभी न आयें यह मानकर चलना यथार्थता की ओर से आंखें मूँद लेने के समान है। बुद्धिमान वे है जो सुखद परिस्थितियों का समुचित लाभ उठाते हैं और दुःख की घड़ी आने पर उसका सामना करने के लिए आवश्यक धैर्य और साधन इकट्ठा करते रहते हैं।

ऐसे ईर्ष्यालु इस दुनिया में कम नहीं जो किसी का सुख सन्तोष फूटी आँखों नहीं देख सकते। जिनके अन्धेर अनाचार में बाधा पड़ती है वे भी शत्रु बन बैठते हैं। अनुचित लाभ उठाने के उत्सुक भी शोषण एवं आक्रमण से बाज़ कहाँ आते हैं और अनन्त काल तक रहेगा। उनसे बच निकलना कठिन है। हाँ, इतना हो सकता है कि अपना शौर्य साहस इतना विकसित कर लिया जाय कि उन्हें छेड़-छाड़ करने का साहस ही न हो। व्यक्तिगत समर्थता के अतिरिक्त आपने साथी सहकारी बढ़ाकर भी आततायी की गति विधियों पर अंकुश किया जा सकता है। प्रतिरोध और प्रतिकार की शक्ति बढ़ाकर ही आक्रमणकारियों से अपनी आँशिक सुरक्षा हो सकती है। उनका सामना ही न करना पड़े, कुछ अनुचित अवांछनीय सामने आये ही नहीं, ऐसा सोचना आकाश कुसुम पाने जैसी बात-कल्पना है। अवरोधों से जूझने और संघर्षों के बीच अपना रास्ता बनाने के अतिरिक्त यहाँ और कोई रास्ता है ही नहीं।

परिस्थितियों की अनुकूलता और प्रतिकूलताओं से इनकार नहीं किया जा सकता। शारीरिक संकट उठ खड़ा हो कोई अप्रत्याशित रोग घेर ले यह असम्भव नहीं। परिवार के सरल क्रम में से कोई साथी बिछुड़ जाय और शोक संताप के आँसू बहाने पड़े यह भी कोई अनहोनी बात नहीं है। ऐसे दुर्दिन हर परिवार में आते हैं और हर व्यक्ति को कभी न कभी सहन करने पड़ते हैं। मन चाही सफलताएँ किसे मिली है। मनोकामनाओं को सदा पूरी करते रहने वाला कल्पवृक्ष किसके आँगन में उगा है? ऐसे तूफान आते ही रहते हैं जो संजोई हुई साध के घोंसले उड़ाकर कहीं से कहीं फेंक दे और एक-एक तिनका बीन कर बनाये गये उस घरौंदे का अस्तित्व ही आकाश में छितरा दें, ऐसे अवसर पर दुर्बल मनः स्थिति के लोग टूट जाते हैं।

नियति क्रम से हर वस्तु का-हर व्यक्ति का अवसान होता है। मनोरथ और प्रयास भी सर्वदा सफल कहाँ होते हैं। यह सब अपने ढंग से चलता रहे पर मनुष्य भीतर से टूटने न पाये इसी में उसका गौरव है। समुद्र तट पर जमी हुई चट्टानें चिरअतीत से अपने स्थान पर जमी अड़ी बैठी है। हिलोरों ने अपना टकराना बन्द नहीं किया सो ठीक है, पर यह भी कहाँ गलत है कि चट्टान ने हार नहीं मानी।

न हमें टूटना चाहिए और न हार माननी चाहिए। नियति की चुनौती स्वीकार करना और उससे दो-दो हाथ करना ही मानवी गौरव को स्थिर रख सकने वाला आचरण है।

First 30 32 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • कच्ची आस्तिकता से नास्तिक होना अच्छा
  • पेड़ के सहारे बेल भी ऊपर चढ़ती है
  • विश्व ब्रह्माण्ड में ओत-प्रोत ब्रह्मसत्ता
  • गेहूँ का सदुपयोग-रोग और दुर्बलता विनाशक
  • मनुष्य का प्रचण्ड चुम्बकत्व और तेजोवलय
  • धर्म की राह पर चलने वाला (kahani)
  • हीरा बनें या कोयला यह अपनी मर्जी की बात है।
  • दिव्य विभूतियाँ श्रद्धालु को ही प्राप्त होती हैं।
  • एक यात्री प्रवास पर जा रहा था (kahani)
  • दिव्यलोकों से बरसने वाला शक्ति-प्रवाह
  • समय की सम्पदा प्रमाद के श्मशान में न जलायें
  • कर्मयोग ज्ञानयोग और भक्तियोग की साधना
  • संकट ग्रस्त जनता की सहायता (kahani)
  • स्वर्ग और नरक में से हम जिसे चाहें चुने
  • देवमानव का सृजन निकट भविष्य में ही होगा
  • Quotation
  • जीवन को प्यार करो वह तुम्हें प्यार करेगा
  • टर्की का शासन (kahani)
  • जड़ और चेतन सूर्य की समानान्तर गतिविधियां
  • घुटन एक प्रकार की आत्महत्या है।
  • स्वप्न आखिर है क्या बला?
  • अपने लिए दण्ड पुरस्कारों का विधान हम स्वयं ही करते हैं।
  • Quotation
  • पात्रता प्रमाणित करें और विभूतियों का वरदान पायें
  • Quotation
  • संगीत के दुरुपयोग की निन्दा भर्त्सना
  • विवेकयुक्त दूरदर्शी बुद्धिमत्ता ही श्रेयस्कर है।
  • हम हीलियम जितने हलके बनें
  • अणुबम से बड़ा संकट - बढ़ता प्रजनन
  • श्री पुरुषोत्तमदास टण्डन (kahani)
  • न तो हिम्मत हारे ओर न हार स्वीकार करें
  • ध्यानयोग की सफलता शान्त मनःस्थिति पर निर्भर है।
  • प्रताप हाजरा नाम के एक महाशय रहते थे (kahani)
  • जीवन-यज्ञ की रीति-नीति
  • भगवती गंगा की दिव्य प्रवाह
  • कुण्डलिनी शक्ति जागरण का तात्त्विक आधार
  • स्वामी रामतीर्थ जापान गये (kahani)
  • बाहरी सम्पदा आन्तरिक समृद्धि की छाया मात्र है
  • अपनों से अपनी बात
  • युग शम्भु का गरल पान
  • युग शम्भु का गरल पान (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj