
सदुद्देश्य के साथ सतर्कता भी आवश्यक है।
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सदुद्देश्य सामने रखकर काम किया जाय सो ठीक है, पर उतने से ही काम नहीं चलता। सूक्ष्मदर्शी दृष्टि से यह भी सतर्कता पूर्वक देखा जाना चाहिए कि इस प्रयास का कोई अन्धेरा-हानिकारक पक्ष तो नहीं हैं। एकाकी आवेश से सदुद्देश्य भी कई बार वैसा ही घातक होता है जैसा कि राजा के प्यारे पालतू बन्दर द्वारा उसके सोते समय रखवाली में मक्खी उड़ाने के लिए तलवार चलाकर घायल कर देने की कथा में बताया गया है। जल शोधन की दिशा में इन दिनों किये जाने वाले रासायनिक प्रयास ऐसे ही अदूरदर्शितापूर्ण सिद्ध हो रहे हैं भले ही उन्हें आरम्भ करने वालों का कितना ही सदुद्देश्य क्यों न रहा हो।
ओहियो अनुसंधान परिषद ने क्लोराइड मिश्रित जल की खामियों को जन-साधारण के सामने प्रस्तुत किया था और अपने शोध निष्कर्षों की डेलीमेल-सण्डे डिस्पैच आदि पत्रों में छपाया था। जिसमें उसे प्रयुक्त न करने का परामर्श दिया गया था।
अमेरिका की कितनी ही स्वास्थ्य संस्थाओं का एक संयुक्त विरोध सरकार के तथा जनता के सामने प्रस्तुत किया गया था जिसे उस संयुक्त मोर्चे के अध्यक्ष जे0 मकफारलेन फोर्ब्स ने ‘स्काट्स मैन’ आदि पत्रों में विस्तार पूर्वक छपाया था। इस विरोध पत्र में क्लोराइड मिश्रित जल की खामियाँ गिनाई गईं थीं और कहा गया था कि उससे शोधन के नाम पर विषाक्तता का समावेश होता है।
न्यूवर्ग में क्लोराइड सहित और किंग्स्टन में उससे रहित पानी देकर उसके परिणामों की जाँच की गई। उसका विवरण “पेनग्विन साइन्स न्यूज” पत्रिका में छपा। जिसमें बताया गया कि इस रासायनिक जल से दाँतों की खराबियों और जोड़ों के दर्द की शिकायत उत्पन्न होती है।
वर्ल्ड हैल्थ आर्गनाइजेशन के जिनेवा कार्यालय से प्रकाशित एक बुलेटिन में क्लोरीन युक्त पानी के सम्बन्ध में कई ख्यातिनामा स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लेख छपे हैं जिनमें प्रायः सभी ने इस रासायनिक सम्मिश्रण का विरोध किया है। पक्ष समर्थन में तो केवल एक ही लेख है फ्लोरिडा विश्व-विद्यालय के रसायन प्रमुख ए0पी0 ब्लैक का।
जल शोधन के लिए नगरपालिकाएँ अक्सर पानी में क्लोरीन मिलाती है। पानी में घोला हुआ यह सोडियम क्लोराइड एक तीव्र रसायन है जो जल में पाये जाने वाले स्वाभाविक कैल्शियम क्लोराइड की तुलना में 85 गुना अधिक तीक्ष्ण है। शोधन के लिए प्रयुक्त किया गया यह रसायन एक मंद विष के रूप में पीने वालों के शरीर में प्रवेश करता और जमता चला जाता है। आरम्भ में तो उसकी उतनी हानि प्रतीत नहीं होती, पर तीस-चालीस वर्ष बाद उसके दुष्परिणाम कई मंद और तीव्र रोगों के रूप में फूटने लगते हैं। इस तथ्य को समझते हुए स्वीडन, फ्राँस, पश्चिम, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड आदि ने इस सम्मिश्रण को बन्द कर दिया है। अमेरिका के 580 नगरों में भी इसे बन्द कर दिया गया है।
वैज्ञानिक सफलताएँ भी अन्य सफलताओं की तरह तब दुर्भाग्यपूर्ण बन जाती है। जब वे अत्युत्साह एवं अहंकार उत्पन्न करती है। कुछेक सफलताओं के कारण अपनी सर्वांगपूर्ण बुद्धिमत्ता का अभियान किया जाने लगता है और यह भुला दिया जाता है कि कुछ काम की कुछ सीमा तक मिली सफलता का अर्थ यह नहीं है कि अपना हर चिन्तन और हर प्रयास सही या सफल ही होगा। सफलता के लिए क्रिया ही काफी नहीं-सतर्कता भी आवश्यक है। भूल न होने पाये इस पक्ष को ध्यान में रखकर फूँक-फूँक कदम बढ़ाने की नीति यदि छोड़ दी जाय और जल्दीबाजी में कुछ भी कर गुजरा जाय तो ऐसे ही दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं जैसे कि जल शोधन सम्बन्धी प्रयास की त्रुटि के संदर्भ में सामने आ रहे हैं।