
मनुष्य की मनस्विता प्रधान (sandesh)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
जीवन को जड़ ठहराना दुराग्रह है। उसी प्रकार मनुष्य को पशु या वानर ठहराना व्यर्थ है। चेतना का अपनी स्तर है अपना स्वरूप और अपना अस्तित्व। वह अन्य जड़ पदार्थों की तरह किसी प्रकृति मर्यादा में सर्वथा आबद्ध नहीं है। जीवन, जड़ पदार्थों का उपयोग, उपभोग करता है वह उनसे उत्पादित या प्रतिबंधित नहीं है।
अभी अभी एक महिला हेलन केलर प्रकाश में आई है अंधी और बहरी होते हुए भी उच्च शिक्षा प्राप्त की है अध्यापिका बनी है और भविष्य में साहित्यकार बनने जा रही है। मिलान इटली का समाचार है कि हाल ही में 28 वर्षीया पिन्यूसिया मेनेटी ने एक अच्छे स्कूल में अध्यापिका सका उत्तरदायित्व सम्भाला है। लड़की एक भयंकर बीमारी में फंसी और देखने तथा सुनने की शक्ति से वंचित हो गई।
एक रिटायर्ड अध्यापिका ग्रुविना ब्राँकोलिनी ने उसके साथ कई वर्ष तक अथक परिश्रम दिया और अंग्रेजी तथा फ्रांसीसी भाषाएँ सिखाई तथा कई परीक्षाएँ पास कराई। अब व ब्रेल लिपि में कई विदेशी भाषाओं की पुस्तकों का अनुवाद करेगी।
मनुष्य की मनस्विता प्रधान है साधन अथवा परिस्थितियाँ नहीं। इस तथ्य को जो जानते हैं वे अपनी संकल्प शक्ति बढ़ाने की एक निष्ठा और तन्मयता बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं साधनों के अभाव एवं परिस्थितियों की प्रतिकूलता का रोना नहीं रोते।