• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • चल तू चलता रहा एक एकाकी
    • चल तू चलता रहा एक एकाकी (kavita)
    • शरीर का नहीं आत्मा का भी ध्यान रखें।
    • प्रेम के अभाव ने ही हमें प्रेत पिशाच बनाया है।
    • सजातीय मिलन (kahani)
    • जीवन जड़ तत्वों का उत्पादन नहीं है।
    • मनुष्य की मनस्विता प्रधान (sandesh)
    • विज्ञान का उपनयन संस्कार कराया जाय
    • शरीर और मन का संचालन करने वाली उपासना।
    • भ्रमजाल से छूटे मायामुक्त हों
    • छल कपट से आत्मा को कष्ट होगा (kahani)
    • यहाँ सब कुछ चल रहा है अचल कुछ भी नहीं।
    • धन की प्रत्येक इकाई (kahani)
    • चला चली की दुनिया में अविचल की प्राप्ति करें
    • Quotation
    • जिन्दगी को कलात्मक दृष्टि से जिया जाय
    • रेशम के कीड़े (kahani)
    • सदुद्देश्य के साथ सतर्कता भी आवश्यक है।
    • मृतात्मा की सत्ता और क्षमता
    • अपनी पृथ्वी तक के बारे में हम कितना कुछ जानते हैं।
    • छोटी भूल की बडी़ हानि (Kahani)
    • सफलता प्राप्त करने के लिये अभीष्ट योग्यता सम्पादित करें
    • समुद्र ने केवल लेना ही जाना है (kahani)
    • निरीक्षण और नियंत्रण आदतों का भी करें
    • प्रगति के जोश में हम विकृति के गर्त में न डूब मरें
    • Quotation
    • परिवार संस्था को टूटने से बचाया जाय
    • स्वास्थ और दीर्घ जीवी रहना अति सरल है यदि......
    • अन्वेषक प्रो0 मायर्स (kahani)
    • शक्ति का उपार्जन ही नहीं सदुपयोग भी
    • बड़ी डींगें न हाँकिए(Kahani)
    • सुख की अपेक्षा आनन्द पाना श्रेष्ठ भी है और सरल भी
    • भाग्यवाद ओर अहितकर भी और अवास्तविक भी
    • सूक्ष्म शक्ति की साक्षी- होम्योपैथी
    • आधि−व्याधियों के आक्रमण और उसका बचाव
    • अपनों से अपनी बात
    • मैं आश्रित तुम आश्रयदाता
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • चल तू चलता रहा एक एकाकी
    • चल तू चलता रहा एक एकाकी (kavita)
    • शरीर का नहीं आत्मा का भी ध्यान रखें।
    • प्रेम के अभाव ने ही हमें प्रेत पिशाच बनाया है।
    • सजातीय मिलन (kahani)
    • जीवन जड़ तत्वों का उत्पादन नहीं है।
    • मनुष्य की मनस्विता प्रधान (sandesh)
    • विज्ञान का उपनयन संस्कार कराया जाय
    • शरीर और मन का संचालन करने वाली उपासना।
    • भ्रमजाल से छूटे मायामुक्त हों
    • छल कपट से आत्मा को कष्ट होगा (kahani)
    • यहाँ सब कुछ चल रहा है अचल कुछ भी नहीं।
    • धन की प्रत्येक इकाई (kahani)
    • चला चली की दुनिया में अविचल की प्राप्ति करें
    • Quotation
    • जिन्दगी को कलात्मक दृष्टि से जिया जाय
    • रेशम के कीड़े (kahani)
    • सदुद्देश्य के साथ सतर्कता भी आवश्यक है।
    • मृतात्मा की सत्ता और क्षमता
    • अपनी पृथ्वी तक के बारे में हम कितना कुछ जानते हैं।
    • छोटी भूल की बडी़ हानि (Kahani)
    • सफलता प्राप्त करने के लिये अभीष्ट योग्यता सम्पादित करें
    • समुद्र ने केवल लेना ही जाना है (kahani)
    • निरीक्षण और नियंत्रण आदतों का भी करें
    • प्रगति के जोश में हम विकृति के गर्त में न डूब मरें
    • Quotation
    • परिवार संस्था को टूटने से बचाया जाय
    • स्वास्थ और दीर्घ जीवी रहना अति सरल है यदि......
    • अन्वेषक प्रो0 मायर्स (kahani)
    • शक्ति का उपार्जन ही नहीं सदुपयोग भी
    • बड़ी डींगें न हाँकिए(Kahani)
    • सुख की अपेक्षा आनन्द पाना श्रेष्ठ भी है और सरल भी
    • भाग्यवाद ओर अहितकर भी और अवास्तविक भी
    • सूक्ष्म शक्ति की साक्षी- होम्योपैथी
    • आधि−व्याधियों के आक्रमण और उसका बचाव
    • अपनों से अपनी बात
    • मैं आश्रित तुम आश्रयदाता
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1975 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


निरीक्षण और नियंत्रण आदतों का भी करें

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 23 25 Last
क्रियाशीलता का अपना महत्व है। श्रम और पुरुषार्थ की महिमा सर्वविदित है। आलस्य और निष्क्रियता की सर्वत्र निन्दा की गई है। इतने पर भी यह सोचना शेष ही रह जाता है कि हमारी क्रियाशीलता निरर्थक अथवा विकृत न हो। सुनियोजित और सुव्यवस्थित श्रम ही सत्परिणाम उत्पन्न करता है। निरर्थक और उद्देश्य रहित चेष्टाएँ न केवल उपहासास्पद होती हैं वरन् अपने व्यक्तित्व का वजन घटाती है।

कुछ लोगों को शरीर के विभिन्न अंगों से विभिन्न प्रकार की निरर्थक क्रिया करने की आदत होती है। इसे मानसिक अस्त-व्यस्तता ही कहना चाहिए। बिना विचारे काम करने की ऐसी निष्प्रयोजन क्रियाएँ जिनके करने की कोई आवश्यकता या उपयोगिता नहीं है लगातार या बार-बार करना यह सिद्ध करता है कि मस्तिष्क के साथ शारीरिक क्रिया-कलाप का सम्बन्ध टूट गया। काम करने से पूर्व उसके प्रयोजन को ध्यान में रखने की व्यवस्था असम्बद्ध हो गई। यह बड़ी उपहासास्पद और दयनीय स्थिति है।

कुर्ते या कोट के सामने वाले बटन मरोड़ना, उंगलियां चटकाना, जमाइयाँ लेते रहना, आँखें मिचकाना, बैठे-बैठे पैर हिलाना, हाथ में कोई चीज लेकर उसे मरोड़ना, खटखटाना, पेन्सिल को मुँह में डालना, पिन से कान या दाँत कुरेदना, मूँछें ऐंठते रहना, नाक में उँगलियाँ डालते रहना, दाँत से नाखून कुतरना, किसी के घर जाकर उसकी पुस्तकें तथा वस्तुएँ उलटना-पलटना, किसी के शरीर को धक्के दे देकर बात करना आदि ऐसी हरकतें हैं जो आदत से सम्मिलित हो जाने के बाद अपने को तो बुरा नहीं लगता, पर दूसरे लोग इन्हें बहुत ही बचकाना मानते हैं।

उपरोक्त हाथ पैरों की हरकतों की तरह मुँह से भी कितने ही लोग ऐसे ही बेतुके कार्य करते रहते हैं। बात-बात में गालियाँ देना, असम्मान सूचक भाषा का प्रयोग करना, अकारण निन्दा चुगली करना, तम्बाकू पान के कारण अथवा ऐसे ही जहाँ-तहाँ थूकते रहना, जोर-जोर से बोलना, जल्दी-जल्दी अथवा अस्पष्ट भाषा में बोलना, इस तरह बोलना कि मुँह से थूक उड़े, होठों की अगल-बगल में थूक जमा लेना अथवा दाँतों से थूक के तार उठाना, खाते समय मुँह खुला रखना और चप-चप की आवाज करना, घूमते-फिरते खाना, जब-तब गाने लगना, अपनी शेखी बघारते रहना, बात को अतिशयोक्तिपूर्ण करके कहना, जैसी बुरी आदतें अशिष्टता की गणना में आती हैं और ऐसे व्यक्ति को असंस्कृत माना जाता है।

बुरी आदतें तब पड़ती हैं जब आवेश ही प्रधान बन जाता है और निरीक्षण नियंत्रण को ध्यान में रखने की बात भुला दी जाती है। साधारण बुद्धि के लोग भी अपने कार्य व्यवसायों में निरीक्षण और नियन्त्रण की आवश्यकता समझते हैं, पर न जाने क्यों लोग अपनी आदतों और हरकतों के बारे में असावधानी बरतते हैं और आवेश में अंग संचालन का जो उत्साह आता है उसे मर्यादित रखने की बात भुला देते हैं फलतः उन्हें उपहासास्पद और छिछोरा बनना पड़ता है। अपनी शक्ति नष्ट होती है और दूसरे उसे असामाजिकता मानकर नाक भौं सिकोड़ते हैं इस असम्मान के कारण उन्हें अव्यवस्थित, असावधान एवं अप्रमाणिक तक मान लिया जाता है। दूसरे लोग उनके हाथ कोई महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौंपते या सहयोग देते हुए झिझकते हैं और सोचते हैं जो अपनी आदतों का निरीक्षण नियन्त्रण नहीं कर सकता वह किसी बड़े कार्य को पूरा करने में या दिये हुए सहयोग का सदुपयोग करने में कैसे समर्थ हो सकेगा?

किसी भी क्षेत्र में प्रगति का मूल आधार व्यवस्था बुद्धि होती है। जीवन जीना भी एक बड़ा कार्य क्षेत्र है इसमें व्यवस्था बुद्धि का उपयोग इस दिशा में भी सतर्कतापूर्वक किया जाना चाहिए कि अपनी आदतें बिगड़ने न पायें। निरर्थक और अनर्थ उत्पन्न करने वाली बुरी आदतें असावधानी के कारण हमारे स्वभाव का अंग बन जाती हैं और परिपक्व होने पर जड़ें इतने गहरी जमा लेती हैं कि उन्हें हटाना बहुत ही कठिन एवं प्रयत्न साध्य होता है।

First 23 25 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • चल तू चलता रहा एक एकाकी
  • चल तू चलता रहा एक एकाकी (kavita)
  • शरीर का नहीं आत्मा का भी ध्यान रखें।
  • प्रेम के अभाव ने ही हमें प्रेत पिशाच बनाया है।
  • सजातीय मिलन (kahani)
  • जीवन जड़ तत्वों का उत्पादन नहीं है।
  • मनुष्य की मनस्विता प्रधान (sandesh)
  • विज्ञान का उपनयन संस्कार कराया जाय
  • शरीर और मन का संचालन करने वाली उपासना।
  • भ्रमजाल से छूटे मायामुक्त हों
  • छल कपट से आत्मा को कष्ट होगा (kahani)
  • यहाँ सब कुछ चल रहा है अचल कुछ भी नहीं।
  • धन की प्रत्येक इकाई (kahani)
  • चला चली की दुनिया में अविचल की प्राप्ति करें
  • Quotation
  • जिन्दगी को कलात्मक दृष्टि से जिया जाय
  • रेशम के कीड़े (kahani)
  • सदुद्देश्य के साथ सतर्कता भी आवश्यक है।
  • मृतात्मा की सत्ता और क्षमता
  • अपनी पृथ्वी तक के बारे में हम कितना कुछ जानते हैं।
  • छोटी भूल की बडी़ हानि (Kahani)
  • सफलता प्राप्त करने के लिये अभीष्ट योग्यता सम्पादित करें
  • समुद्र ने केवल लेना ही जाना है (kahani)
  • निरीक्षण और नियंत्रण आदतों का भी करें
  • प्रगति के जोश में हम विकृति के गर्त में न डूब मरें
  • Quotation
  • परिवार संस्था को टूटने से बचाया जाय
  • स्वास्थ और दीर्घ जीवी रहना अति सरल है यदि......
  • अन्वेषक प्रो0 मायर्स (kahani)
  • शक्ति का उपार्जन ही नहीं सदुपयोग भी
  • बड़ी डींगें न हाँकिए(Kahani)
  • सुख की अपेक्षा आनन्द पाना श्रेष्ठ भी है और सरल भी
  • भाग्यवाद ओर अहितकर भी और अवास्तविक भी
  • सूक्ष्म शक्ति की साक्षी- होम्योपैथी
  • आधि−व्याधियों के आक्रमण और उसका बचाव
  • अपनों से अपनी बात
  • मैं आश्रित तुम आश्रयदाता
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj