• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • प्राप्तः को भवता गुणः
    • आत्म देव की साधना और सिद्धि
    • भगवान बुद्ध की अमृत-वाणी
    • सिद्ध न होने पर भी ईश्वर तो है ही
    • सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान चीफ इंजीनियर
    • अन्धा व्यक्ति हाथ में लालटेन लिए (kahani)
    • अपनी ही काया अनजानी
    • बोझी पाथर भार
    • बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य सबसे बड़ा नहीं है।
    • वासुदेव फाँसी के तख्ते पर चढ़ने (kahani)
    • महर्षि पद की पात्रता
    • जन्म-जन्मान्तर के अभिन्न मित्र-सत्संस्कार
    • कुछ दिन जानवरों के बीच रहिये
    • आस्था संकट में संस्कृति की नाव ही पार करेगी।
    • मुल्ला अब्बास बगदादी (kahani)
    • भर गया उस दिन भिक्षा पात्र
    • आज्ञाकारी पेड़ और गणितज्ञ कैक्टस
    • Quotation
    • अद्भुत की व्यवस्था अद्भुत
    • व्यक्तित्व विकास में स्वाध्याय का योगदान
    • अपरिष्कृत मनोभूमि वाले भस्मासुर ने (kahani)
    • पराज्ञानी महिला द्वारा स्वर्णिम भविष्य की घोषणाएँ
    • Quotation
    • असमर्थ व अपंग (kahani)
    • मनोरंजन की आवश्यकता और स्तर
    • हलो! मंगल ग्रह, एक सेकेण्ड अभी आया।
    • सन्त फ्रांस्वा (kahani)
    • युग शक्ति गायत्री का अवतरण अभिप्राय
    • श्रद्धा और प्रतिष्ठा (kahani)
    • मानसिक संक्षोभों से स्वास्थ्य की बर्बादी
    • फौजों से संत्रस्त था (kahani)
    • वृद्धावस्था हम स्वयं ही बुलाते हैं।
    • खाने के लिये जीयें या जीने के लिये खायें
    • महापण्डित राहुल सांकृत्यायन (kahani)
    • आध्यात्मिक शोधों के लिए नई प्रयोगशाला का शुभारम्भ
    • ‘‘अखण्ड-ज्योति’’ क्यों पढ़ें? क्यों मँगायें?
    • स्वाध्यां तपः
    • लो तुम इसे सुधार
    • लो तुम इसे सुधार (kahani)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • प्राप्तः को भवता गुणः
    • आत्म देव की साधना और सिद्धि
    • भगवान बुद्ध की अमृत-वाणी
    • सिद्ध न होने पर भी ईश्वर तो है ही
    • सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान चीफ इंजीनियर
    • अन्धा व्यक्ति हाथ में लालटेन लिए (kahani)
    • अपनी ही काया अनजानी
    • बोझी पाथर भार
    • बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य सबसे बड़ा नहीं है।
    • वासुदेव फाँसी के तख्ते पर चढ़ने (kahani)
    • महर्षि पद की पात्रता
    • जन्म-जन्मान्तर के अभिन्न मित्र-सत्संस्कार
    • कुछ दिन जानवरों के बीच रहिये
    • आस्था संकट में संस्कृति की नाव ही पार करेगी।
    • मुल्ला अब्बास बगदादी (kahani)
    • भर गया उस दिन भिक्षा पात्र
    • आज्ञाकारी पेड़ और गणितज्ञ कैक्टस
    • Quotation
    • अद्भुत की व्यवस्था अद्भुत
    • व्यक्तित्व विकास में स्वाध्याय का योगदान
    • अपरिष्कृत मनोभूमि वाले भस्मासुर ने (kahani)
    • पराज्ञानी महिला द्वारा स्वर्णिम भविष्य की घोषणाएँ
    • Quotation
    • असमर्थ व अपंग (kahani)
    • मनोरंजन की आवश्यकता और स्तर
    • हलो! मंगल ग्रह, एक सेकेण्ड अभी आया।
    • सन्त फ्रांस्वा (kahani)
    • युग शक्ति गायत्री का अवतरण अभिप्राय
    • श्रद्धा और प्रतिष्ठा (kahani)
    • मानसिक संक्षोभों से स्वास्थ्य की बर्बादी
    • फौजों से संत्रस्त था (kahani)
    • वृद्धावस्था हम स्वयं ही बुलाते हैं।
    • खाने के लिये जीयें या जीने के लिये खायें
    • महापण्डित राहुल सांकृत्यायन (kahani)
    • आध्यात्मिक शोधों के लिए नई प्रयोगशाला का शुभारम्भ
    • ‘‘अखण्ड-ज्योति’’ क्यों पढ़ें? क्यों मँगायें?
    • स्वाध्यां तपः
    • लो तुम इसे सुधार
    • लो तुम इसे सुधार (kahani)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1978 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


खाने के लिये जीयें या जीने के लिये खायें

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 32 34 Last
जोहनएडम ने बगदाद के राजा की एक कहानी लिखी है। कहानी जिस राजा की है उसने अपने यहाँ एक-एक चिकित्सक को नियुक्त कर रखा था। चिकित्सक का काम था कि राजा जब भोजन कर ले तो वह उसे विरेचक दवायें दे दे ताकि राजा न जो कुछ भी खाया हो वह वमन के द्वारा निकल जाय। पेट खाली हो जाने पर राजा फिर खाता और चिकित्सक की सहायता से उल्टी कर देता। यह क्रम तब तक चलता रहता जब तक कि राजा अपने लिए ढेर सारे बनवाये गये व्यंजन न खा लेता।

कहानी-कहानी है। कोई आवश्यक नहीं है कि यह सत्य और तर्क की कसौटी पर भी सही उतरे ही, परन्तु एक अर्थ में यह बात सभी लोगों पर लागू होती है कि लोग समय-बे-समय, उचित-अनुचित जब जैसा जी चाहे तब वैसा कुछ भी खाता-पीता रहता है, उस कारण बीमार पड़ता है। खान-पान के असंयम और अनियमितता के कारण उत्पन्न होने वाली विकृतियाँ जब बहुत बढ़ जाती हैं तो डॉक्टर के पास जाकर उनका विरेचन कराता है। विकृतियों से छुटकारा पाकर आता है और फिर उल्टा-सीधा गलत-सलत खाने लगता है।

भोजन का उद्देश्य शरीर का पोषण करना, उसे शक्ति देना है, परन्तु हमारी खान-पान की आदतें ऐसी हैं जिनके कारण यह कहने मानने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि-‘‘हम जीने के लिए नहीं खाते बल्कि खाने के लिए जीते हैं।’’ अपनी खान-पान की आदतों का विश्लेषण किया जाय तो प्रतीत होगा कि भोजन पोषण के लिए स्वाद की तृप्ति और रुचि की सन्तुष्टि के लिए किया जाता है। इस दृष्टि के कारण भोजन को तैयार करने से लेकर उसे ग्रहण करने के तौर तरीके ही ऐसे बन गये हैं जिनसे आहार के सारे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

उदाहरण के लिए आटे को छानने की बात ही लें। आटे के चोकर में ही अधिकांश प्रोटीन और विटामिन्स रहते हैं जबकि छानकर इस भाग को अलग कर दिया जाता है। रोटी को मुलायम बनाने के लिए चोकर के रूप में विटामिन्स और प्रोटीन फेंक देने की महंगी कीमत चुकानी पड़ती है। छाने हुए चोकर रहित आटे में केवल कार्बोहाइड्रेट्स ही रह जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स विटामिन के साथ हजम होते हैं जबकि विटामिन आटे को छानकर अलग कर दिये जाते हैं। ऐसी स्थिति में कार्बोहाइड्रेट्स बिना पचे ही रह जाते हैं और इस कारण अजीर्ण, गैस, अपच, कब्जियत जैसे रोग होने लगते हैं। हाई ब्लडप्रेशर और हार्ट-टूबल जैसे रोग पचे कार्बोहाइड्रेट्स के कारण भी होते हैं।

आटे का चोकर निकालकर उसके पोषक तत्वों का एक बड़ा भाग जिस प्रकार नष्ट कर दिया जाता है, उसी प्रकार सब्जियों से भी उनके छिलके छीलकर उनके पोषक तत्व छील लिए जाते हैं। आलू, लौकी, तोरई, टिण्डा, शलजम, मूली, बैंगन, परवल आदि सब्जियों के अधिकांश पोषक तत्व तो उनके छिलकों में ही रहते हैं। गृहणियाँ शाक-सब्जी को नफीस बनाने के लिए उन्हें छीलकर पकाती हैं और उनमें से भी पोषक तत्व विदा हो जाते हैं।

छीलने, काटने के अलावा अधिक मिर्च, मसाले तथा छोंक बघार भी सब्जियों की पौष्टिकता नष्ट कर देते हैं। हरे पत्ते वाली सब्जियों को भी प्रायः पहले पानी में उबाला जाता है और फिर उन्हें निचोड़कर छोंका जाता है। इस तरह सारे विटामिन्स और खनिज लवण पानी में घुल जाते हैं तथा निचोड़ी हुई सब्जियाँ एक प्रकार से निर्जीव ही हो जाती हैं। पानी में घुल जाने वाले विटामिन्स और खनिज लवणों को सुरक्षित रखने की दृष्टि से सब्जियों को अधिक देर तक पानी में भी नहीं पड़े रहने देना चाहिए, न ही उन्हें काटकर अधिक धोना चाहिए। क्योंकि इन दोनों ही दशाओं में विटामिन और खनिज लवण पानी में घुलकर निकल जाते हैं।

शाक-सब्जी के पोषक तत्वों को बचाने के लिए आवश्यक है कि न उन्हें छीला जाये, न उबालकर निचोड़ा जाय तथा न ही अधिक देर तक पानी में धोया भिगोया जाय। जिन सब्जियों के छिलके कड़े होते हैं उनकी बात अलग है, परन्तु मुलायम छिलके वाली सब्जियों को छीलना तो हर दृष्टि से अलाभकर ही है।

इसके साथ ही भोजन को अधिक तेज आँच पर पकाने से भी उनके पोषक तत्व जल जाते हैं। भोजन चाहे दाल हो या सब्जी, रोटी हो या दलिया हमेशा ही मन्द आँच पर पकाना चाहिए। दाल-सब्जी पकते समय हवा के सम्पर्क में न आये यह सावधानी भी बरतनी चाहिए। इसके लिए बर्तन को ढक देना जरूरी होता है। हवा लगने से विटामिन्स बहुत जल्दी नष्ट हो जाते हैं।

दूध को अधिक देर तक सुरक्षित रखने के लिए कई-कई बार खौलने की परम्परा भी है। वस्तुतः दूध का बार-बार पकाने, आग पर चढ़ाने और खौलने से उसके भी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और उसमें चर्बी का अंश ही अधिक रह जाता है। ऐसा दूध बहुत देर से हजम होता है। अतः दूध को ढके बर्तन में मन्द आँच पर एक उबाल देना ही पर्याप्त रहता है।

भोजन पकाने के अतिरिक्त उसे खाने-पीने में गलत तरीके अपनाने के कारण भी उनसे आवश्यक अपेक्षित शक्ति नहीं मिल पाती। अमेरिका के प्रसिद्ध डॉक्टर इमर्सन का कहना है कि- प्रत्येक राष्ट्र नई-नई औषधियों की खोज पर काफी खर्च कर रहा है। नयी-नयी दवाओं की संख्या भी बाजार में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। परन्तु रोग और रोगियों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। वस्तुतः औषधियों की शोध पर हम जितनी रकम खर्च करते हैं यदि उसकी चौथाई रकम भी लोगों को भोजन सम्बन्धी सही आदतें डालने में खर्च करें तो निश्चय ही बढ़ते हुए रोगों पर बड़ी सीमा तक नियंत्रण किया जा सकता है। क्योंकि 80 फीसदी से अधिक रोग तो आहार संबंधी अज्ञान और खान-पान की गलत आदतों के कारण होते हैं।”

यह विचार मात्र सिद्धान्त ही नहीं तथ्य भी है। अधिकांश बीमारियाँ खान-पान की अनियमितता तथा असावधानियों के कारण होती है। उन्हें दवा-दारुओं से ठीक नहीं किया जा सकता। यदि दवाओं से बीमारियों पर नियंत्रण किया जाना सम्भव रहता तो संसार में बीमारियों का नाम भी नहीं मिलता क्योंकि आज हर रोग की दवा विद्यमान है। उसका प्रभाव भी होता है, परन्तु ठीक होने के बाद आदमी फिर बीमार पड़ जाता है। दवाएँ मनुष्य को मानसिक सन्तोष प्रदान कर सकती हैं। रोग निवारण नहीं, आदमी को आरोग्य और अच्छा स्वास्थ्य अभीष्ट हो तो उसे प्रकृति की ओर ही लौटना पड़ेगा। पहला कदम चौके में प्रकृति प्रवेश है यह भूलना नहीं। यदि लोग खाने की आदतें बदलने को राजी हो सकें तो आधी समस्याओं का तत्काल निराकरण सम्भव है उससे कम में नहीं।

First 32 34 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • प्राप्तः को भवता गुणः
  • आत्म देव की साधना और सिद्धि
  • भगवान बुद्ध की अमृत-वाणी
  • सिद्ध न होने पर भी ईश्वर तो है ही
  • सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान चीफ इंजीनियर
  • अन्धा व्यक्ति हाथ में लालटेन लिए (kahani)
  • अपनी ही काया अनजानी
  • बोझी पाथर भार
  • बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य सबसे बड़ा नहीं है।
  • वासुदेव फाँसी के तख्ते पर चढ़ने (kahani)
  • महर्षि पद की पात्रता
  • जन्म-जन्मान्तर के अभिन्न मित्र-सत्संस्कार
  • कुछ दिन जानवरों के बीच रहिये
  • आस्था संकट में संस्कृति की नाव ही पार करेगी।
  • मुल्ला अब्बास बगदादी (kahani)
  • भर गया उस दिन भिक्षा पात्र
  • आज्ञाकारी पेड़ और गणितज्ञ कैक्टस
  • Quotation
  • अद्भुत की व्यवस्था अद्भुत
  • व्यक्तित्व विकास में स्वाध्याय का योगदान
  • अपरिष्कृत मनोभूमि वाले भस्मासुर ने (kahani)
  • पराज्ञानी महिला द्वारा स्वर्णिम भविष्य की घोषणाएँ
  • Quotation
  • असमर्थ व अपंग (kahani)
  • मनोरंजन की आवश्यकता और स्तर
  • हलो! मंगल ग्रह, एक सेकेण्ड अभी आया।
  • सन्त फ्रांस्वा (kahani)
  • युग शक्ति गायत्री का अवतरण अभिप्राय
  • श्रद्धा और प्रतिष्ठा (kahani)
  • मानसिक संक्षोभों से स्वास्थ्य की बर्बादी
  • फौजों से संत्रस्त था (kahani)
  • वृद्धावस्था हम स्वयं ही बुलाते हैं।
  • खाने के लिये जीयें या जीने के लिये खायें
  • महापण्डित राहुल सांकृत्यायन (kahani)
  • आध्यात्मिक शोधों के लिए नई प्रयोगशाला का शुभारम्भ
  • ‘‘अखण्ड-ज्योति’’ क्यों पढ़ें? क्यों मँगायें?
  • स्वाध्यां तपः
  • लो तुम इसे सुधार
  • लो तुम इसे सुधार (kahani)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj