• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • पथ प्रभु प्रेम का
    • संकल्प का प्रभाव
    • प्रेम एक रसायन, गज़ब है इसका नशा।
    • कर्मयोगी (Kahani)
    • रणचण्डी
    • आत्मा की शक्ति (Kahani)
    • पुरातन ज्ञान के खण्डहरों पर खड़ा है आज का विज्ञान
    • Quotation
    • दीपक का कर्तव्य (Kahani)
    • परिष्कृत मूलाधार देववृत्तियों का विकास करता है।
    • Quotation
    • गतिशीलता और क्रियाशीलता (Kahani)
    • जनता की सेना
    • भूकंप की भीषण त्रासदी से कैसे बचा जाए
    • संयम, नियम और श्रम (Kahani)
    • तरह तरह के चित्र-विचित्र विवाह रस्में
    • VigyapanSuchana
    • Quotation
    • मुक्त (Kahani)
    • आदमी के अंतस् में छिपी अनंत अलौकिकताएँ
    • नेहरूजी का पुस्तक प्रेम (Kahani)
    • त्याग ही जीवन का अमृत
    • न्यायप्रिय ‘शिखिध्वज (Kahani)
    • जीवनविद्या के आलोक केंद्र के रूप में अभिनव स्थापना
    • Quotation
    • वास्तुशास्त्र, एक स्थापित विधा
    • Quotation
    • रैदास और धनिक (Kahani)
    • मृत्युशय्या पर भी जिसने दान-धर्म न छोड़ा
    • Quotation
    • ईमानदारी का पाठ (Kahani)
    • भोजन हमारा क्या हो?
    • मनुष्यता की जड़ें है आत्मा (Kahani)
    • पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वाङ्मय-अमृत कलश
    • VigyapanSuchana
    • वह ऐतिहासिक स्वप्न जो सच्चाई बना
    • युग गीता-3 - आत्म संताप अथवा पलायनवाद
    • रोज लेक्जेम्बर (Kahani)
    • कालनेमि की माया से बचें
    • Quotation
    • लोकसेवियों को दिशाबोध-2 - प्रज्ञा परिजनों के सप्त महाव्रत
    • राजा विक्रमादित्य (Kahani)
    • जागते रहिए! सावधान रहिए!!
    • मातृवाणी - एक मसीहा, राष्ट्रकवि, संत व सच्चे ब्राह्मण हमारे गुरुदेव
    • Quotation
    • निरुत्साह (Kahani)
    • परम पावन चिरपुरातन गुरु-शिष्य परंपरा
    • महत्त्वाकाँक्षाएँ (Kahani)
    • ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल
    • ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • पथ प्रभु प्रेम का
    • संकल्प का प्रभाव
    • प्रेम एक रसायन, गज़ब है इसका नशा।
    • कर्मयोगी (Kahani)
    • रणचण्डी
    • आत्मा की शक्ति (Kahani)
    • पुरातन ज्ञान के खण्डहरों पर खड़ा है आज का विज्ञान
    • Quotation
    • दीपक का कर्तव्य (Kahani)
    • परिष्कृत मूलाधार देववृत्तियों का विकास करता है।
    • Quotation
    • गतिशीलता और क्रियाशीलता (Kahani)
    • जनता की सेना
    • भूकंप की भीषण त्रासदी से कैसे बचा जाए
    • संयम, नियम और श्रम (Kahani)
    • तरह तरह के चित्र-विचित्र विवाह रस्में
    • VigyapanSuchana
    • Quotation
    • मुक्त (Kahani)
    • आदमी के अंतस् में छिपी अनंत अलौकिकताएँ
    • नेहरूजी का पुस्तक प्रेम (Kahani)
    • त्याग ही जीवन का अमृत
    • न्यायप्रिय ‘शिखिध्वज (Kahani)
    • जीवनविद्या के आलोक केंद्र के रूप में अभिनव स्थापना
    • Quotation
    • वास्तुशास्त्र, एक स्थापित विधा
    • Quotation
    • रैदास और धनिक (Kahani)
    • मृत्युशय्या पर भी जिसने दान-धर्म न छोड़ा
    • Quotation
    • ईमानदारी का पाठ (Kahani)
    • भोजन हमारा क्या हो?
    • मनुष्यता की जड़ें है आत्मा (Kahani)
    • पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वाङ्मय-अमृत कलश
    • VigyapanSuchana
    • वह ऐतिहासिक स्वप्न जो सच्चाई बना
    • युग गीता-3 - आत्म संताप अथवा पलायनवाद
    • रोज लेक्जेम्बर (Kahani)
    • कालनेमि की माया से बचें
    • Quotation
    • लोकसेवियों को दिशाबोध-2 - प्रज्ञा परिजनों के सप्त महाव्रत
    • राजा विक्रमादित्य (Kahani)
    • जागते रहिए! सावधान रहिए!!
    • मातृवाणी - एक मसीहा, राष्ट्रकवि, संत व सच्चे ब्राह्मण हमारे गुरुदेव
    • Quotation
    • निरुत्साह (Kahani)
    • परम पावन चिरपुरातन गुरु-शिष्य परंपरा
    • महत्त्वाकाँक्षाएँ (Kahani)
    • ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल
    • ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1999 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


जनता की सेना

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 12 14 Last
उन दिनों प्रथम विश्वयुद्ध जोरों पर था। भारत में अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेजों को लड़ने के लिए लाखों सैनिकों की जरूरत थी। उन्होंने भारतीय राजाओं से सेना लेने का निश्चय किया। इस सिलसिले में उनका प्रतिनिधि जिसे रेजीडेंट कहा जाता था, जैसलमेर राज्य में आया। वह यहाँ के महाराजा जवाहर सिंह के नाम वायसराय का पत्र भी लाया था, जिसमें जैसलमेर की सेना को ब्रिटिश सेना में शामिल करने का अनुरोध था। ऐसे पत्र विनतीनुमा आदेश हुआ करते थे।

राजा ने रेजीडेंट का भव्य स्वागत किया। उसे विशेष रूप से बने मेहमानखाने में ठहराया गया। उसने वायसराय का पत्र राजा को दिया और अपने आने का कारण बताया। पत्र पढ़कर राजा चिंतित हो गए। उन्होंने रेजीडेंट को बताया कि जैसलमेर राज्य की कोई नियमित सेना नहीं है। वह अपने सैनिक उनकी सेवा में देने में असमर्थ हैं।

रेजीडेंट हँसा। आप हमें बेवकूफ नहीं बना सकते। बिना सेना के कभी शासन नहीं चला करता महारावल साहब! आपको अपनी सेना हमें देनी ही होगी।

हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हम सेना का बोझ उठा सके इसलिए हम कुछ सिपाही रखते हैं, जिससे हमारा राजकाज चल सके, जनता में शाँति रखी जा सके- राजा ने उसे समझाते हुए कहा।

बिना सेना के देश की रक्षा कैसे हो सकती है? आप पर कोई हमला कर देगा तो आप क्या करेंगे? रेजीडेंट ने अविश्वास से कहा।

हमारी सेना हमारी जनता है। इसी के आत्मबल से हम हर तरह के खतरे का मुकाबला कर सकते हैं। हम पाँच-छह घंटे में अपनी सारी जन-सेना संगठित कर लेते हैं- महाराज ने उसे समझाया।

पर अंग्रेज रेजीडेंट जरा भी आश्वस्त नहीं हुआ। उसने कहा, ये सब कोरी बातें हैं। मैं बिना सेना लिए वापस नहीं जा सकता। आप मुझे अपनी सेना दे- चाहे वह आपकी नियमित सेना है या नहीं। वह आपके खजाने से वेतन पाती भी है या नहीं, हमें इससे मतलब नहीं है। मुझे अपने साथ यहाँ की आबादी के अनुसार पाँच हजार सैनिक तो ले ही जाने हैं।

महाराजा को लगा कि अब बातों से नहीं बन सकती है। कुछ करना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा, ठीक है। कल सुबह आप मेरी सेना देख लेना। तभी आपको मेरी बातों पर विश्वास होगा। उसी दिन राजा ने अपने घुड़सवार, ऊँटसवार गाँव-गाँव में भेज दिए। पंद्रह से पैंतालीस वर्ष तक के सारे आदमी सूरज उगने से पहले-पहले जैसलमेर पहुँच जाए। जिसके पास जो भी हथियार है साथ लेता आए। घोड़ा ऊँट बैलगाड़ी जो भी वाहन उपलब्ध है, लेकर आए। आदेश हवा के साथ-साथ राज्य में फैल गया। खेत में, खलिहान में, चरागाह में, पत्थर ढोता, घास काटता, गड्ढे खोदता जो जहाँ था, जैसा था तुरंत शहर की तरफ रवाना हो गया। ऊँट, घोड़े बैल गाड़ियों के रेले-के-रेले राजधानी में इकट्ठे हुए।

अंग्रेज रेजीडेंट अपने शयनकक्ष में सोया हुआ था। उसे अपने कानों में ऊँट, घोड़े और बैलों की आवाजें, घंटियों की रुनझुन और आदमियों की हुंकारें सुनाई देने लगी। उसे लगा जैसे वह कोई सपना देख रहा है। पर धीरे-धीरे आवाजें तेज होने लगी। उसकी नींद उचट गयी। शोर बहुत तेज और कानफोड़ू था। वह अधीर हो गया। उठा और छत पर आ गया।

छत पर राजा पहले से ही बैठे थे। आइए अंग्रेज बहादुर। वह जैसे रेजीडेंट का इंतजार ही कर रहे थे। रेजीडेंट आँखें-फाड़-फाड़कर देख रहा था। दूर-बहुत दूर क्षितिज तक चारों दिशाओं में ऊँट, घोड़े, बैल, बैलगाड़ियों के हुजूम बैठे थे। धूल की परत आसमान तक छाई हुई थी। लोग कमर करे बंदूक, तीर कमान, तलवार, लाठियाँ लिए आ रहे थे। पशुओं का शोर आसमान को फाड़े दे रहा था।

ये है हमारी सेना। देखिए एक रात में ये सभी आ पहुँचे है। हम सबको हमारी मिट्टी से कितना मोह है। हमारी स्वतंत्रता पर जब भी आँच आती है, सारी जनता बलिदान के लिए तुरंत तैयार हो जाती है। जहाँ जनता उत्सर्ग के लिए तैयार हो तो कौन-सा खतरा टिक सकता है? महाराज ने गर्व से कहा।

रेजीडेंट आश्चर्यचकित हो देखता रहा। अपने देश के लिए कुर्बान होने वाले ऐसे वीरों को देखकर वह गदगद हो गया। सच है महाराजा साहब! जनसेना से बड़ी कोई सेना नहीं होती है। मैं आपकी बातों से पूरी तरह आश्वस्त हूँ। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि हमारे तरफ से आप पर कोई दबाव नहीं दिया जाएगा। इनमें से जो भी ब्रिटिश आर्मी में शामिल होना चाहेगा, हम अपना सौभाग्य समझेंगे।

कुछ पल रुकने के बाद रेजीडेंट कहने लगा, इस अंचल की जनचेतना जिस दिन समूचे भारतवर्ष की राष्ट्रीय चेतना बन सकेगी, उस दिन कोई भी विदेशी ताकत इस देश को अपनी गिरफ्त में नहीं रख पाएगी। ऐसा जिस दिन भी होगा उसी दिन भारत देश समूचे विश्व का सिरमौर होगा।

First 12 14 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • पथ प्रभु प्रेम का
  • संकल्प का प्रभाव
  • प्रेम एक रसायन, गज़ब है इसका नशा।
  • कर्मयोगी (Kahani)
  • रणचण्डी
  • आत्मा की शक्ति (Kahani)
  • पुरातन ज्ञान के खण्डहरों पर खड़ा है आज का विज्ञान
  • Quotation
  • दीपक का कर्तव्य (Kahani)
  • परिष्कृत मूलाधार देववृत्तियों का विकास करता है।
  • Quotation
  • गतिशीलता और क्रियाशीलता (Kahani)
  • जनता की सेना
  • भूकंप की भीषण त्रासदी से कैसे बचा जाए
  • संयम, नियम और श्रम (Kahani)
  • तरह तरह के चित्र-विचित्र विवाह रस्में
  • VigyapanSuchana
  • Quotation
  • मुक्त (Kahani)
  • आदमी के अंतस् में छिपी अनंत अलौकिकताएँ
  • नेहरूजी का पुस्तक प्रेम (Kahani)
  • त्याग ही जीवन का अमृत
  • न्यायप्रिय ‘शिखिध्वज (Kahani)
  • जीवनविद्या के आलोक केंद्र के रूप में अभिनव स्थापना
  • Quotation
  • वास्तुशास्त्र, एक स्थापित विधा
  • Quotation
  • रैदास और धनिक (Kahani)
  • मृत्युशय्या पर भी जिसने दान-धर्म न छोड़ा
  • Quotation
  • ईमानदारी का पाठ (Kahani)
  • भोजन हमारा क्या हो?
  • मनुष्यता की जड़ें है आत्मा (Kahani)
  • पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वाङ्मय-अमृत कलश
  • VigyapanSuchana
  • वह ऐतिहासिक स्वप्न जो सच्चाई बना
  • युग गीता-3 - आत्म संताप अथवा पलायनवाद
  • रोज लेक्जेम्बर (Kahani)
  • कालनेमि की माया से बचें
  • Quotation
  • लोकसेवियों को दिशाबोध-2 - प्रज्ञा परिजनों के सप्त महाव्रत
  • राजा विक्रमादित्य (Kahani)
  • जागते रहिए! सावधान रहिए!!
  • मातृवाणी - एक मसीहा, राष्ट्रकवि, संत व सच्चे ब्राह्मण हमारे गुरुदेव
  • Quotation
  • निरुत्साह (Kahani)
  • परम पावन चिरपुरातन गुरु-शिष्य परंपरा
  • महत्त्वाकाँक्षाएँ (Kahani)
  • ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल
  • ज्ञानयज्ञ की लाल मशाल (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj