• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • आओ! हम भी युगज्योति का स्पर्श पाएँ
    • कृष्ण आराधिका मीरा
    • गिलहरी (Kahani)
    • पंद्रह साल बाद सही होता लग रहा उपन्यास
    • विवेकशील प्रज्ञावान् (Kahani)
    • संवेदना का जागरण ही भटकन रोक पाएगा
    • संयम, सहनशीलता और स्परिक सहकार का महत्त्व (Kahani)
    • योगेश्वर की माया
    • मदालसा पुत्र (Kahani)
    • जागते रहें, ताकि ध्यान सिद्ध हो
    • Quotation
    • पाँच प्यारे (Kahani)
    • विश्वास नहीं करें तो भी मंत्र फल देते हैं
    • Quotation
    • जीवन का अर्थ है सच्ची सुगंध (Kahani)
    • समरसता ही जीवन है
    • शिखिध्वज (Kahani)
    • प्रतिभा संवर्द्धन की दिशा में चल रहे बहुमुखी प्रयास
    • चित्र का मूल्य (kahani)
    • दृढ़ निश्चय हो तो सफलता अवश्य मिलेगी
    • लालबहादुर शास्त्री जी (Kahani)
    • शिक्षाविस्तार ही दिला सकता है नारी को गौरव
    • जनसहयोग (Kahani)
    • मादरे वतन पर कुरबान एक जाँबाज
    • शास्त्रीजी की परोपकारिता (Kahani)
    • गुरु ने बताई जीवन की सार्थकता
    • एंड्रयू कार्नेगी (Kahani)
    • बीसवीं सदी में राजनीति का अनुभव सार
    • शुभारंभ हमेशा छोटे-छोटे कदमों से होता है (Kahani)
    • युगपुरुष की लेखनी से - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वाङ्मय -अमृत कलश
    • VigyapanSuchana
    • शोर हमें पागल कर दे इससे पूर्व चेतें
    • नौकर का समाधान (Kahani)
    • इस दीपोत्सव पर्व पर हमारी आस्था का बुझा दीप जले
    • अवसर का चित्र (Kahani)
    • हमारी रात्रिचर्या कैसी हो
    • सही मायने में राष्ट्रीय पर्व दीपावली
    • निर्लोभ करुणाकर (Kahani)
    • धन-वैभव, महालक्ष्मी का कृपाप्रसाद
    • VigyapanSuchana
    • घर में रसोईकक्ष की स्थिति कहाँ हो
    • लोकसेवियों के लिए दिशाबोध-6 - साधनासमर के लिए समर्थ बनें-सृजन सैनिक
    • आत्मनिर्माण का उद्देश्य (Kahani)
    • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी - फिजा बदल देती है-अवतार की आँधी
    • अध्यात्म सुसंस्कारिता को कहते हैं (Kahani)
    • युगगीता-7 - जो परमात्मसत्ता में अधिष्ठित हो, वही है स्थितप्रज्ञ
    • मन के निकृष्ट विचार (Kahani)
    • गुरुकथामृत-4 - पत्रों से संप्रेषित होता शक्तिपात
    • आत्मपरिष्कार (Kahani)
    • अखण्ड ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व - ऐ अज्ञानियो! मझधार में डूब मरोगे
    • अपनों से अपनी बात - महापूर्णाहुति की महायोजना
    • परिजनों से एक भावभरा अनुरोध
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • आओ! हम भी युगज्योति का स्पर्श पाएँ
    • कृष्ण आराधिका मीरा
    • गिलहरी (Kahani)
    • पंद्रह साल बाद सही होता लग रहा उपन्यास
    • विवेकशील प्रज्ञावान् (Kahani)
    • संवेदना का जागरण ही भटकन रोक पाएगा
    • संयम, सहनशीलता और स्परिक सहकार का महत्त्व (Kahani)
    • योगेश्वर की माया
    • मदालसा पुत्र (Kahani)
    • जागते रहें, ताकि ध्यान सिद्ध हो
    • Quotation
    • पाँच प्यारे (Kahani)
    • विश्वास नहीं करें तो भी मंत्र फल देते हैं
    • Quotation
    • जीवन का अर्थ है सच्ची सुगंध (Kahani)
    • समरसता ही जीवन है
    • शिखिध्वज (Kahani)
    • प्रतिभा संवर्द्धन की दिशा में चल रहे बहुमुखी प्रयास
    • चित्र का मूल्य (kahani)
    • दृढ़ निश्चय हो तो सफलता अवश्य मिलेगी
    • लालबहादुर शास्त्री जी (Kahani)
    • शिक्षाविस्तार ही दिला सकता है नारी को गौरव
    • जनसहयोग (Kahani)
    • मादरे वतन पर कुरबान एक जाँबाज
    • शास्त्रीजी की परोपकारिता (Kahani)
    • गुरु ने बताई जीवन की सार्थकता
    • एंड्रयू कार्नेगी (Kahani)
    • बीसवीं सदी में राजनीति का अनुभव सार
    • शुभारंभ हमेशा छोटे-छोटे कदमों से होता है (Kahani)
    • युगपुरुष की लेखनी से - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वाङ्मय -अमृत कलश
    • VigyapanSuchana
    • शोर हमें पागल कर दे इससे पूर्व चेतें
    • नौकर का समाधान (Kahani)
    • इस दीपोत्सव पर्व पर हमारी आस्था का बुझा दीप जले
    • अवसर का चित्र (Kahani)
    • हमारी रात्रिचर्या कैसी हो
    • सही मायने में राष्ट्रीय पर्व दीपावली
    • निर्लोभ करुणाकर (Kahani)
    • धन-वैभव, महालक्ष्मी का कृपाप्रसाद
    • VigyapanSuchana
    • घर में रसोईकक्ष की स्थिति कहाँ हो
    • लोकसेवियों के लिए दिशाबोध-6 - साधनासमर के लिए समर्थ बनें-सृजन सैनिक
    • आत्मनिर्माण का उद्देश्य (Kahani)
    • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी - फिजा बदल देती है-अवतार की आँधी
    • अध्यात्म सुसंस्कारिता को कहते हैं (Kahani)
    • युगगीता-7 - जो परमात्मसत्ता में अधिष्ठित हो, वही है स्थितप्रज्ञ
    • मन के निकृष्ट विचार (Kahani)
    • गुरुकथामृत-4 - पत्रों से संप्रेषित होता शक्तिपात
    • आत्मपरिष्कार (Kahani)
    • अखण्ड ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व - ऐ अज्ञानियो! मझधार में डूब मरोगे
    • अपनों से अपनी बात - महापूर्णाहुति की महायोजना
    • परिजनों से एक भावभरा अनुरोध
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1999 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


हमारी रात्रिचर्या कैसी हो

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 35 37 Last
हमारे आयुर्वेद के प्रणेता ऋषिगण दैनंदिन जीवन के स्वास्थ्य संबंधी जो सूत्र दे गए हैं, उनमें रात्रिचर्या भी एक महत्वपूर्ण प्रसंग है। शयन विधि के संबंध में आयुर्वेद कहता है। कि रात्रि में सोने से पूर्व वस्त्रों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। जो वस्त्र सारे दिन पहने हों, उन्हें पहनकर सोना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सोने से पूर्व वस्त्रों को बदल लेने, अंगों पर दबाव न डालने वाले ढीले वस्त्रों को पहनने का प्रावधान आयुर्वेद में किया गया है। इसी प्रकार बिस्तर भी साफ होना चाहिए।ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र प्रायः सभी के अलग-अलग होने चाहिए।

आयुर्वेद कहता है कि ऋतु-परिवर्तन के अनुसार बिस्तर के वस्त्र होने चाहिए। अधिक गुदगुदे-डनलप आदि के गद्दों का प्रयोग अच्छा है। ग्रीष्म एवं वर्षाकाल में गद्दे की अपेक्षा दरी का उपयोग करना चाहिए। चारपाई को अपेक्षा तख्त पर सोना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं जहाँ तक हो किसी दूसरे के बिस्तर का उपयोग न करें। इससे संक्रामक रोग फैलने का डर है। सुश्रुत में एक वर्णन इस संबंध में बड़ा सामयिक है।

प्रसंगात् गात्र संस्पर्शान्िश्वासात्सहभाजनम्। सहशरुया सताच्चापि वस्त्रमाल्यानुलेपनम्॥

मुष्ठं ज्वरस्य शोश्रि नेत्राभिष्यन्द एवं च। औपसर्गिक रोगाश्च संक्रामन्ति नरान्तरम्॥

अर्थात् मैथुन, अंगस्पर्श, निःश्वास, सहभोजन, साथ में शयन एवं बैठना, वस्त्र, माला और अनुलेपन द्वारा कुष्ठ, ज्वर, शोथ, नेत्राभिष्यंद और औपसर्गिक (गरमी, सूजाक आदि) रोग मनुष्य से मनुष्य में फैलते हैं।

एक ही बिस्तर पर सोने से अच्छी निद्रा भी नहीं आती। अतः प्रत्येक का बिस्तर अलग ही होना चाहिए। सोने वाला कमरा हवादार होना चाहिए। खिड़की आदि बंद करके सोना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। हवा का आना-जाना क्राँस वेंटीलेशन आदि का पूरा ध्यान रखना चाहिए। बहुत से ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं, जब ठंडक के दिनों में खिड़की आदि बंद कर कोयले की सिगड़ी जलाकर सोने वाले “कार्बन मोनो ऑक्साइड” के धीमे विष से सदा की नींद सोते देखे गए है। हवादार कमरे में सोने से एक सबसे बड़ा लाभ यह होता है। कि श्वास रोग, संधिकाल में ज्वर-जुकाम आदि तकलीफें नहीं होतीं।

चरक ऋषि कहते हैं-

रात्रिस्वभावप्रभवा मता याताँ भूतधत्रीं प्रवदन्ति निद्राम्॥

अर्थात्- रात्रि स्वभाव के कारण उत्पन्न होने वाली जो रात्रि की निद्रा होती है, विशेषज्ञ उसको भूतधात्री कहते हैं। भूतानि प्राणिनी दधाति पुष्णाति इसलि भूतधात्री (चक्रपाणि) अर्थात् रात्रि निद्रा में सर्वाधिक लाभ होने से भूतधात्री। धात्री जिस प्रकार बालकों का पालन-पोषण करती है, निद्रा भी ठीक इसी प्रकार प्राणियों का पोषण करती है।

सोया रात्रि में ही जाए, दिन में कम-से-कम बिस्तर पर लेटा जाए, इस पर हमारे आयुर्वेद के ज्ञाता एक मत हैं वे कहते हैं कि रात्रि की निद्रा पित्तनाशक होती है, जबकि दिन की निद्रा कफ संग्राहक। आज सारी पद्धति ही जीवन की उलट-सी गई है अधिकतर व्यक्ति अकारण ही रात्रि को देर तक जागते हैं व फिर दिन में देरी तक सोते है। महाभारत में वेदव्यास कहते हैं-रात्रि प्रथम दो पहरों में निद्रासेवन करके अंतिम प्रहर में जागकर मनुष्य को धर्म और अर्थ का अर्थचिंतन करना चाहिए। रात्रि के 10 बजे से प्रातः- साढ़े तीन-चार तक का समय महानिशा बताया गया है। इस समय सोने वाला व्यक्ति सुख भरी रोगनाशक नींद लेता है। यह एक अकाट्य सत्य है। ऐसे व्यक्ति की कायाग्नि प्रदीप्त होती है और ग्रहण कर उसे पचा लेता है, वह आहार उसके शरीर के लिए परम पुष्टिकर बन जाता है।

निद्रा व स्वप्न का भी बड़ा प्रगाढ़ संबंध आयुर्वेद में बताया गया है। चरक कहते हैं-”गाढ़ी नींद न आने वाला मनुष्य इंद्रियों के स्वामी मन के क्षरा सफल तथा निष्फल अनेकविध स्वप्न देखता है। आयुर्वेद के अनुसार भाँति-भाँति के अनगढ़ स्वप्न शरीर को परिपूर्ण आराम नहीं देते- न ही मन शाँत हो पाता है। अतृप्त क्षुब्ध मन ऐसे स्वप्नों के कारण ही जन्म लेता है। जो शारीरिक परिश्रम करते हैं, वे गाढ़ी नींद लेते हैं, इन्हें चित्त को उद्विग्न करने वाले स्वप्न नहीं सताते। आयुर्वेद में सप्तविध स्वप्न बताए गए हैं। शेष अर्थ देने वाले, पूर्वाभास के द्योतक तथा शुभ फल लाने वाले होते हैं। शास्त्र कहता है- रोगग्रस्त, शोकग्रस्त, चिंताग्रस्त कामार्त और उन्मत्त के देखे हुए स्वप्न निरर्थक होते है।

निद्राविज्ञान अपने आप में एक स्थापित विधा है। यदि इसे आयुर्वेद के परिप्रेक्ष्य में समझा जा सके तो रोगों से बचा जा सकता है।

First 35 37 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • आओ! हम भी युगज्योति का स्पर्श पाएँ
  • कृष्ण आराधिका मीरा
  • गिलहरी (Kahani)
  • पंद्रह साल बाद सही होता लग रहा उपन्यास
  • विवेकशील प्रज्ञावान् (Kahani)
  • संवेदना का जागरण ही भटकन रोक पाएगा
  • संयम, सहनशीलता और स्परिक सहकार का महत्त्व (Kahani)
  • योगेश्वर की माया
  • मदालसा पुत्र (Kahani)
  • जागते रहें, ताकि ध्यान सिद्ध हो
  • Quotation
  • पाँच प्यारे (Kahani)
  • विश्वास नहीं करें तो भी मंत्र फल देते हैं
  • Quotation
  • जीवन का अर्थ है सच्ची सुगंध (Kahani)
  • समरसता ही जीवन है
  • शिखिध्वज (Kahani)
  • प्रतिभा संवर्द्धन की दिशा में चल रहे बहुमुखी प्रयास
  • चित्र का मूल्य (kahani)
  • दृढ़ निश्चय हो तो सफलता अवश्य मिलेगी
  • लालबहादुर शास्त्री जी (Kahani)
  • शिक्षाविस्तार ही दिला सकता है नारी को गौरव
  • जनसहयोग (Kahani)
  • मादरे वतन पर कुरबान एक जाँबाज
  • शास्त्रीजी की परोपकारिता (Kahani)
  • गुरु ने बताई जीवन की सार्थकता
  • एंड्रयू कार्नेगी (Kahani)
  • बीसवीं सदी में राजनीति का अनुभव सार
  • शुभारंभ हमेशा छोटे-छोटे कदमों से होता है (Kahani)
  • युगपुरुष की लेखनी से - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य वाङ्मय -अमृत कलश
  • VigyapanSuchana
  • शोर हमें पागल कर दे इससे पूर्व चेतें
  • नौकर का समाधान (Kahani)
  • इस दीपोत्सव पर्व पर हमारी आस्था का बुझा दीप जले
  • अवसर का चित्र (Kahani)
  • हमारी रात्रिचर्या कैसी हो
  • सही मायने में राष्ट्रीय पर्व दीपावली
  • निर्लोभ करुणाकर (Kahani)
  • धन-वैभव, महालक्ष्मी का कृपाप्रसाद
  • VigyapanSuchana
  • घर में रसोईकक्ष की स्थिति कहाँ हो
  • लोकसेवियों के लिए दिशाबोध-6 - साधनासमर के लिए समर्थ बनें-सृजन सैनिक
  • आत्मनिर्माण का उद्देश्य (Kahani)
  • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी - फिजा बदल देती है-अवतार की आँधी
  • अध्यात्म सुसंस्कारिता को कहते हैं (Kahani)
  • युगगीता-7 - जो परमात्मसत्ता में अधिष्ठित हो, वही है स्थितप्रज्ञ
  • मन के निकृष्ट विचार (Kahani)
  • गुरुकथामृत-4 - पत्रों से संप्रेषित होता शक्तिपात
  • आत्मपरिष्कार (Kahani)
  • अखण्ड ज्योति आज से पचास वर्ष पूर्व - ऐ अज्ञानियो! मझधार में डूब मरोगे
  • अपनों से अपनी बात - महापूर्णाहुति की महायोजना
  • परिजनों से एक भावभरा अनुरोध
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj