• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • बाह्य और आन्तरिक मलीनता दूर हटायें
    • दीर्घ जीवन के रहस्य
    • जीवेम् शरदः शतम्ः
    • दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य—रहस्य
    • दीर्घ आयु प्राप्त करने का रहस्य
    • हमें दीर्घ जीवी ही होना चाहिये
    • दीर्घ जीवन के स्वर्ण सूत्र
    • दीर्घायु के पांच सूत्र
    • जीवन को स्वस्थ, सार्थक एवं सुखी बनाइ
    • मौत और बीमारी की सुरक्षा
    • दीर्घ जीवन एक वैज्ञानिक सत्य
    • दम्पत्ति द्वारा विवाह शताब्दी
    • हम दीर्घजीवी क्यों नहीं बन पाते?
    • दीर्घ जीवन के आध्यात्मिक कारण
    • आप वृद्धावस्था से सदा बचे रह सकते हैं
    • थकावट और कमजोरी क्यों?
    • ब्रह्मचर्य, शारीरिक और मानसिक स्वस्थता का आधार
    • ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपघ्नत
    • ब्रह्मचर्य पर श्रीसाने गुरुजी के विचार
    • संयम ही संभालेगा
    • ब्रह्मचर्य द्वारा आत्म-बल का संचय
    • हम संयमी बनें—शक्ति का अपव्यय न करें
    • रोग शरीर का शत्रु ही नहीं मित्र भी है
    • अपने जीवन में प्रकृति को प्रवेश होने दीजिये
    • गहरी नींद कैसे आये?
    • शारीरिक-श्रम के प्रति अनास्था न रखें
    • अनवरत श्रम—एक तपश्चर्या
    • स्वास्थ्य-निर्माण में मालिश का प्रयोग
    • प्राणवान बनना है तो प्राणायाम कीजिये
    • मनोविकारों का शरीर पर प्रभाव
    • मन स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ
    • मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारें
    • स्वच्छता—एक आध्यात्मिक पुण्य प्रक्रिया
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • बाह्य और आन्तरिक मलीनता दूर हटायें
    • दीर्घ जीवन के रहस्य
    • जीवेम् शरदः शतम्ः
    • दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य—रहस्य
    • दीर्घ आयु प्राप्त करने का रहस्य
    • हमें दीर्घ जीवी ही होना चाहिये
    • दीर्घ जीवन के स्वर्ण सूत्र
    • दीर्घायु के पांच सूत्र
    • जीवन को स्वस्थ, सार्थक एवं सुखी बनाइ
    • मौत और बीमारी की सुरक्षा
    • दीर्घ जीवन एक वैज्ञानिक सत्य
    • दम्पत्ति द्वारा विवाह शताब्दी
    • हम दीर्घजीवी क्यों नहीं बन पाते?
    • दीर्घ जीवन के आध्यात्मिक कारण
    • आप वृद्धावस्था से सदा बचे रह सकते हैं
    • थकावट और कमजोरी क्यों?
    • ब्रह्मचर्य, शारीरिक और मानसिक स्वस्थता का आधार
    • ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपघ्नत
    • ब्रह्मचर्य पर श्रीसाने गुरुजी के विचार
    • संयम ही संभालेगा
    • ब्रह्मचर्य द्वारा आत्म-बल का संचय
    • हम संयमी बनें—शक्ति का अपव्यय न करें
    • रोग शरीर का शत्रु ही नहीं मित्र भी है
    • अपने जीवन में प्रकृति को प्रवेश होने दीजिये
    • गहरी नींद कैसे आये?
    • शारीरिक-श्रम के प्रति अनास्था न रखें
    • अनवरत श्रम—एक तपश्चर्या
    • स्वास्थ्य-निर्माण में मालिश का प्रयोग
    • प्राणवान बनना है तो प्राणायाम कीजिये
    • मनोविकारों का शरीर पर प्रभाव
    • मन स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ
    • मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारें
    • स्वच्छता—एक आध्यात्मिक पुण्य प्रक्रिया
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - दीर्घ जीवन के रहस्य

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT


दीर्घ जीवन के आध्यात्मिक कारण

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 12 14 Last
दीर्घ जीवन एवं निरोग्यता का कारण केवल खान-पान आहार-विहार ही नहीं वरन् मनोदशा भी है। कुविचारों में निरत रहने वाले व्यक्ति कितना ही बढ़िया खायें पियें अपनी दुश्चिंताओं और दुर्भावनाओं के कारण स्वास्थ्य को खो बैठते हैं और आन्तरिक आग में झुलसते हुए नारकीय जीवन जीते हैं। इसके विपरीत जिनके अन्तःकरण शुद्ध हैं, जिनकी विचार भूमिका उच्चकोटि की हैं वे साधारण विहार रखते हुए भी शांतिपूर्ण जीवन यापन करते हैं।
कागभुसुण्डि जी अमर और दीर्घजीवी माने जाते हैं। एक दिन महर्षि वशिष्ठ जी ने काकभुशुंडिजी से उनके दीर्घजीवन का कारण पूछा तो उनने बताया कि—
भावाभावमयीं चिन्ता मीहतानी हितान्विताम्
विमृश्यात्मनि तिष्ठामि चिरंजीवाम्यनामय;
प्रशान्तं चापलं वीतशोकं स्वस्थं समाहितम् ।
मनो मम मुने शान्तं तेन जीवाभ्यनामयः ।
किमद्य मम सम्पन्नं प्रातर्वा भविता पुनः ।
इति चिन्ताज्वरो नास्तितेन जीवाभ्यनामयः ।
जरामरण दुःखेषु राज्य लाभ सुखेषु च ।
न विभेमि न हृष्यामि तेन जावाभ्यनामयः ।।
अयं बन्धुः परश्चायं ममायमयमन्यतः ।
इति ब्रह्मन्न जानामि तेन जीवाम्यनामयः ।
आहारन्विहरन्तिष्ठन्नुत्तिष्ठन्नच्छवसन्स्वपन् ।
देहोऽहमिति नो विद्मि तेनास्मि चिरजीवितः
अपरिचलया शक्त्या सुदृशास्निग्धमुग्धया ।
ऋजु पश्यामि सर्वत्र तेन जीवाम्यनामयः ।
करोमीशोऽपि नाकान्तिं परितापे न खेदवान्
दरिद्रोऽपि न वाञ्छामि तेन जीवाम्यनामयः ।
सुखितोऽस्मि सुखापन्ने दुःखितो दुःखितेजने ।
सर्वस्य प्रिय मित्रं च तेन जीवाम्यनामयः ।
आपद्यचल धीरोऽस्मि जगन्मित्रं च संपदि ।
भावाभावेषु नैवास्मि तेन जीवाम्यनामयः ।
—योग वशिष्ठ 6।26।10-35
‘मेरे पास यह है यह नहीं है इस प्रकार की चिंता मैं नहीं करता इसलिए निरोग दीर्घ जीवन जीता हूं। मेरा मन शान्त, अचंचल, शोक रहित और समाहित रहता है इसलिए निरोग दीर्घ जीवन जीता हूं। आज मैंने कितना कमा लिया कल कितना कमाऊंगा ऐसा तृष्णा ज्वर मुझ पर नहीं चढ़ा रहता इसलिए में निरोग दीर्घजीवन जीता हूं। न तो मैं मौत, बुढ़ापे से डरता हूं और न राज्य जैसे बड़े लाभ मिलने पर भी मुझे हर्ष होता है इसलिए मैं निरोग दीर्घजीवन जीता हूं। यह मेरा भाई है, यह शत्रु है, यह अपना है यह पराया ऐसा भेद भाव मेरे मन में नहीं आता इसलिए निरोग दीर्घ जीवन जीता हूं। आहार में, विहार में, सोने जागने में, उठने बैठने में किसी भी समय में ब्रह्मभाव छोड़ देहभाव में नहीं भ्रमता इसलिए निरोग दीर्घजीवन जीता हूं। अपने स्वरूप में अविचल भाव से स्थित रहता हूं और आत्मशक्ति बनाये रखता हूं, मधुर प्रेम भरी दृष्टि से सबको समान दृष्टि से देखता हूं। सर्वत्र मंगल ही देखता हूं, इसलिए निरोग दीर्घजीवन जीता हूं। समर्थ होने पर भी किसी को सताता नहीं, दूसरों के द्वारा अनिष्ट किये जाने पर क्षुब्ध नहीं होता, निर्धन होने पर किसी से आकांक्षा नहीं करता, इसलिए दीर्घजीवन जीता हूं। दूसरों को सुखी देखकर सुखी होता हूं, दुखियों को देखकर करुणा करता हूं। सबको अपना प्रिय मित्र मानता हूं इसलिए निरोग दीर्घजीवन जीता हूं। आपत्ति आने पर विचलित नहीं होता, धैर्य को कभी भी नहीं छोड़ता, सुख के समय सबसे उदार व्यवहार करता हूं, भाव और अभाव में एक सा रहता हूं। इसलिए निरोग दीर्घ जीवन जीता हूं।’
First 12 14 Last


Other Version of this book



दीर्घ जीवन के रहस्य
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

ચિર યૌવનનું રહસ્યોદ્દઘાટન
Type: SCAN
Language: GUJRATI
...

Real Joy of Entertainment -
Type: SCAN
Language: EN
...

Real Joy of Entertainment -
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन साधना के स्वर्णिम सूत्र
Type: SCAN
Language: EN
...

जीवन साधना के स्वर्णिम सूत्र
Type: SCAN
Language: EN
...

मनस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले
Type: SCAN
Language: EN
...

मनस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले
Type: SCAN
Language: EN
...

समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे हो ?
Type: SCAN
Language: EN
...

समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे हो ?
Type: SCAN
Language: EN
...

समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे हो ?
Type: SCAN
Language: EN
...

समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे हो ?
Type: SCAN
Language: EN
...

चिरयुवा का रहस्योद्गाटन
Type: SCAN
Language: EN
...

चिरयुवा का रहस्योद्गाटन
Type: SCAN
Language: EN
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • बाह्य और आन्तरिक मलीनता दूर हटायें
  • दीर्घ जीवन के रहस्य
  • जीवेम् शरदः शतम्ः
  • दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य—रहस्य
  • दीर्घ आयु प्राप्त करने का रहस्य
  • हमें दीर्घ जीवी ही होना चाहिये
  • दीर्घ जीवन के स्वर्ण सूत्र
  • दीर्घायु के पांच सूत्र
  • जीवन को स्वस्थ, सार्थक एवं सुखी बनाइ
  • मौत और बीमारी की सुरक्षा
  • दीर्घ जीवन एक वैज्ञानिक सत्य
  • दम्पत्ति द्वारा विवाह शताब्दी
  • हम दीर्घजीवी क्यों नहीं बन पाते?
  • दीर्घ जीवन के आध्यात्मिक कारण
  • आप वृद्धावस्था से सदा बचे रह सकते हैं
  • थकावट और कमजोरी क्यों?
  • ब्रह्मचर्य, शारीरिक और मानसिक स्वस्थता का आधार
  • ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपघ्नत
  • ब्रह्मचर्य पर श्रीसाने गुरुजी के विचार
  • संयम ही संभालेगा
  • ब्रह्मचर्य द्वारा आत्म-बल का संचय
  • हम संयमी बनें—शक्ति का अपव्यय न करें
  • रोग शरीर का शत्रु ही नहीं मित्र भी है
  • अपने जीवन में प्रकृति को प्रवेश होने दीजिये
  • गहरी नींद कैसे आये?
  • शारीरिक-श्रम के प्रति अनास्था न रखें
  • अनवरत श्रम—एक तपश्चर्या
  • स्वास्थ्य-निर्माण में मालिश का प्रयोग
  • प्राणवान बनना है तो प्राणायाम कीजिये
  • मनोविकारों का शरीर पर प्रभाव
  • मन स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ
  • मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारें
  • स्वच्छता—एक आध्यात्मिक पुण्य प्रक्रिया
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj