• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • जीवन की त्रिधारा
    • जिन खोजाँ तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ
    • प्रेमा-भक्ति का विकास और विस्तार
    • आचार्य हरिद्रुमत
    • एकोऽहं बहुस्यामः की पृष्ठभूमि
    • Quotation
    • भारतीय दर्शन का विस्तार व वैज्ञानिक विश्लेषण
    • Quotation
    • सत्य के लिए क्रूरता का सामना
    • कर्मयोगी-अनासक्ति
    • धर्म-विहीन विज्ञान नितान्त अपूर्ण
    • Quotation
    • जो ब्रह्माँड में है वही अण्ड में है
    • Quotation
    • अभिमान
    • मना का जन्म कु. शुक्ला के रूप में
    • पृथ्वी कब बनी? मनुष्य कब बना?
    • वर्षा ऋतु के आगमन से पूर्व
    • प्रलय की मान्यतायें कपोल कल्पित नहीं
    • भास्कर के समान तेजस्वी बनना
    • विद्या ही तो सफलता का मूल आधार है।
    • Quotation
    • बलिदान की प्रक्रिया
    • संगीत-एक हृदयस्पर्शी शक्ति
    • एक शरीर यहाँ भी-वहाँ भी
    • Quotation
    • रुकूँगा तो इधर-उधर भटकूँगा
    • बच्चों को दण्ड नहीं, दिशायें दें।
    • Quotation
    • गुरु-कर्त्तव्य
    • अमैथुनी सृष्टि भी होती है-हो सकती है।
    • Quotation
    • Quotation
    • बूँदें जो बन गई मोती
    • हमारी इच्छा शक्ति प्रबल एवं प्रखर है।
    • Quotation
    • नन्ही सी चिनगारी
    • बम विस्फोट कितने घातक
    • अच्छे व बुरे में अन्तर
    • नमक शरीर के लिए आवश्यक नहीं
    • Quotation
    • मनुष्य की संकल्प-शक्ति
    • योग-पूर्व परिचय व प्रारम्भिक तैयारी
    • Quotation
    • वास्तविक आयु
    • विद्रूप और उसकी साधना दृष्टि
    • पहली परख-श्रद्धा और विनम्रता
    • सृष्टि का सौंदर्य ऐसे नष्ट न करें।
    • मूर्ख साहूकार
    • जीवों की सात अवस्थायें और उसका विज्ञान
    • Quotation
    • आत्म-विस्तार
    • यह विशाल धनराशि निर्धनता पाट सकती है।
    • Quotation
    • अपना परिवार और उसका भावी संगठन
    • सत्य दर्शन
    • सत्य दर्शन (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • जीवन की त्रिधारा
    • जिन खोजाँ तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ
    • प्रेमा-भक्ति का विकास और विस्तार
    • आचार्य हरिद्रुमत
    • एकोऽहं बहुस्यामः की पृष्ठभूमि
    • Quotation
    • भारतीय दर्शन का विस्तार व वैज्ञानिक विश्लेषण
    • Quotation
    • सत्य के लिए क्रूरता का सामना
    • कर्मयोगी-अनासक्ति
    • धर्म-विहीन विज्ञान नितान्त अपूर्ण
    • Quotation
    • जो ब्रह्माँड में है वही अण्ड में है
    • Quotation
    • अभिमान
    • मना का जन्म कु. शुक्ला के रूप में
    • पृथ्वी कब बनी? मनुष्य कब बना?
    • वर्षा ऋतु के आगमन से पूर्व
    • प्रलय की मान्यतायें कपोल कल्पित नहीं
    • भास्कर के समान तेजस्वी बनना
    • विद्या ही तो सफलता का मूल आधार है।
    • Quotation
    • बलिदान की प्रक्रिया
    • संगीत-एक हृदयस्पर्शी शक्ति
    • एक शरीर यहाँ भी-वहाँ भी
    • Quotation
    • रुकूँगा तो इधर-उधर भटकूँगा
    • बच्चों को दण्ड नहीं, दिशायें दें।
    • Quotation
    • गुरु-कर्त्तव्य
    • अमैथुनी सृष्टि भी होती है-हो सकती है।
    • Quotation
    • Quotation
    • बूँदें जो बन गई मोती
    • हमारी इच्छा शक्ति प्रबल एवं प्रखर है।
    • Quotation
    • नन्ही सी चिनगारी
    • बम विस्फोट कितने घातक
    • अच्छे व बुरे में अन्तर
    • नमक शरीर के लिए आवश्यक नहीं
    • Quotation
    • मनुष्य की संकल्प-शक्ति
    • योग-पूर्व परिचय व प्रारम्भिक तैयारी
    • Quotation
    • वास्तविक आयु
    • विद्रूप और उसकी साधना दृष्टि
    • पहली परख-श्रद्धा और विनम्रता
    • सृष्टि का सौंदर्य ऐसे नष्ट न करें।
    • मूर्ख साहूकार
    • जीवों की सात अवस्थायें और उसका विज्ञान
    • Quotation
    • आत्म-विस्तार
    • यह विशाल धनराशि निर्धनता पाट सकती है।
    • Quotation
    • अपना परिवार और उसका भावी संगठन
    • सत्य दर्शन
    • सत्य दर्शन (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1970 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


मना का जन्म कु. शुक्ला के रूप में

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 15 17 Last
करुणा की ओर संकेत करते हुए 5 वर्ष की लड़की शुक्ला ने कहा-यह हमारे ‘तूमी’ हैं। खेतू नामक करुणा के बड़े भाई को उसने मीनू के चाचा और श्री हरिधन चक्रवर्ती की ओर संकेत से ही उसने कहा-यह मीनू के पिता हैं। और ‘मीनू’ को तो देखते ही उसकी वर्षों की करुणा और ममता फूट पड़ी थी। वह पाँच वर्ष की ही बालिका, पर एक प्रौढ़ माता की तरह उसकी आँखों से आँसू भरने लगे।

‘तूमी’ बंगाल में छोटे देवर को कहते हैं। करुणा को उसकी बड़ी भाभी ही तूमी कहती थी और सब कुटी कहा करते थे। इससे घटनास्थल पर उपस्थित सभी व्यक्ति आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सके। पच्चीस-तीस व्यक्तियों के बीच अपने पूर्वजन्म के पति, देवर, श्वसुर और पुत्री को पहचान लेना जितना कौतूहल वर्द्धक था, उतना ही इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण भी कि पुनर्जन्म भारतीय तत्वदर्शन की मात्र कोरी कल्पना नहीं वरन् प्रमाणभूत वैज्ञानिक सत्य है और उसी सत्य को आधार मानकर ही भारतीय आचार संहिता में कर्मफल को इतना अधिक महत्व दिया गया कि एक छोटे-से-छोटे जीव को भी मारना या कष्ट देना पाप समझा गया। कर्म-अकर्म के पग-पग पर इतने अधिक प्रतिबन्ध और किसी भी देश, धर्म या संस्कृति में नहीं, जितने भारतीय समाज में। अब नहीं तो एक दिन यह प्रमाण और विज्ञान की उपलब्धियाँ लोगों को बतायेंगी कि मानवीय चेतना कर्म-फल से कितनी दृढ़ता के साथ बंधी हुई हैं। अभी तो यही विश्वास कर लिया कि मृत्यु के बाद भी मनुष्य जीवित रहता है, तो यही काफी है। यह घटना उसकी पुष्टि का एक प्रबल प्रमाण ही है।

शुक्ला का जन्म सन् 1954 में पश्चिमी बंगाल के कम्पा नामक गाँव में श्री के0 एन॰ सेन गुप्ता के यहाँ हुआ। अभी वह कोई दो वर्ष की ही हुई थी और बोलने का हल्का सा ही अभ्यास हुआ था, तभी वह कोई गुड़िया, लकड़ी या जो कुछ भी खेलने को पाती, उसे ही ‘मीनू-मीनू’ कहकर अपने हृदय से लगा लेती। किशोर बालिका में मातृत्व के यह प्रौढ़ संस्कार घर वालों को आकृष्ट अवश्य करते, पर किसी ने उस पर उसी तरह गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। जिस प्रकार हम आत्मा, परमात्मा, मृत्यु आदि अविच्छिन्न रूप से जुड़े होने पर भी न तो उनकी ओर कभी ध्यान देते हैं और न प्राप्ति के प्रयत्न ही करते हैं।

शुक्ला जैसे-जैसे बड़ी होने लगी, उसके मस्तिष्क में पूर्व जन्म की स्मृतियाँ और भी तीव्रता से उभरने लगीं। वह अपनी माँ से, पिता से और सब घर वालों से कहती-मेरी ससुराल भारपाडा के रथलता स्थान में है। मेरे पति मुझे एक ही बार सिनेमा दिखाने ले गये थे। उस पर सास बड़ी नाराज हुई थी। मेरी लड़की का नाम मीनू है। आप लोग मुझे रथलता ले चलिये, मुझे अपनी मीनू की बहुत याद आती है। मरने से लेकर मुझे अब तक भी उसकी याद नहीं भूलती।

शुक्ला अभी पाँच वर्ष की ही थी, पर इतनी बातें बताती थी कि घर वाले हैरान रह जाते। पता लगने पर मालूम हुआ कि सचमुच वहाँ से कोई 15 मील दूरी पर रथलता स्थान है। वे लोग एक दिन शुक्ला को लेकर वहाँ पहुँचे और गाँव के किनारे ही ले जाकर छोड़ दिया। इसके बाद शुक्ला गलियों-गलियों होती हुई अपने ससुराल के घर जा पहुँची।

इसके बाद उसने अपने पूर्व के सभी संबंधियों को न केवल पहचान लिया वरन् प्रत्येक के साथ उसने भारतीय नारी के आदर्शानुरूप लज्जा व संकोच का प्रदर्शन भी किया। उसने बताया कि मेरा पहले का नाम ‘मना’ था। डॉ0 पाल आदि परामनोविज्ञान के शोधकर्ताओं को कई ऐसी बातें भी बताईं, जो उसके पति के अतिरिक्त और कोई नहीं जानता था और वे सच भी निकलीं। इस पर सभी को यह विश्वास हो गया कि पुनर्जन्म का सिद्धाँत वस्तुतः कोई गंभीर विषय है, उसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिये।

First 15 17 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • जीवन की त्रिधारा
  • जिन खोजाँ तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ
  • प्रेमा-भक्ति का विकास और विस्तार
  • आचार्य हरिद्रुमत
  • एकोऽहं बहुस्यामः की पृष्ठभूमि
  • Quotation
  • भारतीय दर्शन का विस्तार व वैज्ञानिक विश्लेषण
  • Quotation
  • सत्य के लिए क्रूरता का सामना
  • कर्मयोगी-अनासक्ति
  • धर्म-विहीन विज्ञान नितान्त अपूर्ण
  • Quotation
  • जो ब्रह्माँड में है वही अण्ड में है
  • Quotation
  • अभिमान
  • मना का जन्म कु. शुक्ला के रूप में
  • पृथ्वी कब बनी? मनुष्य कब बना?
  • वर्षा ऋतु के आगमन से पूर्व
  • प्रलय की मान्यतायें कपोल कल्पित नहीं
  • भास्कर के समान तेजस्वी बनना
  • विद्या ही तो सफलता का मूल आधार है।
  • Quotation
  • बलिदान की प्रक्रिया
  • संगीत-एक हृदयस्पर्शी शक्ति
  • एक शरीर यहाँ भी-वहाँ भी
  • Quotation
  • रुकूँगा तो इधर-उधर भटकूँगा
  • बच्चों को दण्ड नहीं, दिशायें दें।
  • Quotation
  • गुरु-कर्त्तव्य
  • अमैथुनी सृष्टि भी होती है-हो सकती है।
  • Quotation
  • Quotation
  • बूँदें जो बन गई मोती
  • हमारी इच्छा शक्ति प्रबल एवं प्रखर है।
  • Quotation
  • नन्ही सी चिनगारी
  • बम विस्फोट कितने घातक
  • अच्छे व बुरे में अन्तर
  • नमक शरीर के लिए आवश्यक नहीं
  • Quotation
  • मनुष्य की संकल्प-शक्ति
  • योग-पूर्व परिचय व प्रारम्भिक तैयारी
  • Quotation
  • वास्तविक आयु
  • विद्रूप और उसकी साधना दृष्टि
  • पहली परख-श्रद्धा और विनम्रता
  • सृष्टि का सौंदर्य ऐसे नष्ट न करें।
  • मूर्ख साहूकार
  • जीवों की सात अवस्थायें और उसका विज्ञान
  • Quotation
  • आत्म-विस्तार
  • यह विशाल धनराशि निर्धनता पाट सकती है।
  • Quotation
  • अपना परिवार और उसका भावी संगठन
  • सत्य दर्शन
  • सत्य दर्शन (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj