• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • सफलता पानी हो तो श्रमसीकर बहाएँ
    • चन्दन का कोयला तो न बनायें
    • Quotation
    • परमाणुशक्ति से बढ़ कर है आत्मसत्ता
    • सामर्थ्य-सम्पदा से भरा पूरा मानवी अन्तराल
    • दुर्भाग्य का ही भान (Kahani)
    • कारण शरीर की विशिष्टता-भाव श्रद्धा
    • लोक मंगल हेतु सर्वस्व अर्पण
    • मृत्यु के बाद भी है जीवन
    • तपस्वी मुद्रा बदली (Kahani)
    • आत्म शक्ति का संवर्धन एवं प्राण योग
    • राष्ट्र की समर्थता (Kahani)
    • निर्मल मन सो मोह अति भावा”
    • उपयुक्त साहस किया (Kahani)
    • भविष्य कथन कितना सच कितना झूठ?
    • व्यवहार में सदाशयता (Kahani)
    • मुसकराइये व्यक्तित्व को निखारिये!
    • नियुक्त पत्र वापस ले लिया (Kahani)
    • तर्कों की भाषा से परे है ईश्वर की सत्ता
    • कण कण में निहित है अनुशासन एवं एकत्व
    • सुगन्ध के रूप में परिलक्षित (Kahani)
    • जड़ों तक पहुँचने पर ही सही-उपचार सम्भव
    • कश्मीर को स्वर्ग बनाने वाला (Kahani)
    • उपयुक्त वातावरण ढूंढ़ें,अथवा बनायें.
    • Kahani
    • दर्शन साध्य है तो विज्ञान साधन
    • र्जनों को आश्रय तो न देते (Kahani)
    • सर्वनाश की दिशा में बढ़ता मानव समुदाय।
    • “योग”.... बाजीगरी नहीं वरन् उच्चस्तरीय पुरुषार्थ है।
    • विलासताओं का आकर्षण (Kahani)
    • मनोनिग्रह से सम्भव है अतीन्द्रिय क्षमताओं का विकास
    • Kahani
    • परमानन्द का श्रोत, अपने निज के अन्तराल में
    • ग्रंथिभेद एक समग्र साधना
    • Quotation
    • सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है!
    • अन्धविश्वासी भक्त (Kahani)
    • कैसे बदलेगा मानव जाति का भविष्य
    • उत्तर देते न बन पड़ा (Kahani)
    • भूतकाल को भुलाया जाय.
    • ऊँट ने आवाज दी (Kahani)
    • विचार संप्रेषण बिना माध्यम के भी सम्भव
    • असुरों को परास्त किया (Kahani)
    • प्रतिकूलताओं में हड़बड़ाएं नहीं।
    • कष्ट और कलह न रह जायें (Kahani)
    • पिण्ड में निहित शक्ति का-भण्डार
    • विचार तंत्र सुव्यवस्थित रहें
    • सच्ची भगवद् भक्ति (Kahani)
    • क्रिया कलापों का विस्तारः केन्द्र के समाचार
    • स्वास्थ्य रक्षा हेतु- उपवास की अनिवार्यता
    • उसे खारी बना दिया (Kahani)
    • पुण्य की सही परिभाषा
    • सेवा भाव (Kahani)
    • अपनों से अपनी बात - स्वास्थ्य संरक्षण के क्षेत्र में एक अभिनव प्रयोग
    • प्रभु-दर्शन
    • प्रभु-दर्शन (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • सफलता पानी हो तो श्रमसीकर बहाएँ
    • चन्दन का कोयला तो न बनायें
    • Quotation
    • परमाणुशक्ति से बढ़ कर है आत्मसत्ता
    • सामर्थ्य-सम्पदा से भरा पूरा मानवी अन्तराल
    • दुर्भाग्य का ही भान (Kahani)
    • कारण शरीर की विशिष्टता-भाव श्रद्धा
    • लोक मंगल हेतु सर्वस्व अर्पण
    • मृत्यु के बाद भी है जीवन
    • तपस्वी मुद्रा बदली (Kahani)
    • आत्म शक्ति का संवर्धन एवं प्राण योग
    • राष्ट्र की समर्थता (Kahani)
    • निर्मल मन सो मोह अति भावा”
    • उपयुक्त साहस किया (Kahani)
    • भविष्य कथन कितना सच कितना झूठ?
    • व्यवहार में सदाशयता (Kahani)
    • मुसकराइये व्यक्तित्व को निखारिये!
    • नियुक्त पत्र वापस ले लिया (Kahani)
    • तर्कों की भाषा से परे है ईश्वर की सत्ता
    • कण कण में निहित है अनुशासन एवं एकत्व
    • सुगन्ध के रूप में परिलक्षित (Kahani)
    • जड़ों तक पहुँचने पर ही सही-उपचार सम्भव
    • कश्मीर को स्वर्ग बनाने वाला (Kahani)
    • उपयुक्त वातावरण ढूंढ़ें,अथवा बनायें.
    • Kahani
    • दर्शन साध्य है तो विज्ञान साधन
    • र्जनों को आश्रय तो न देते (Kahani)
    • सर्वनाश की दिशा में बढ़ता मानव समुदाय।
    • “योग”.... बाजीगरी नहीं वरन् उच्चस्तरीय पुरुषार्थ है।
    • विलासताओं का आकर्षण (Kahani)
    • मनोनिग्रह से सम्भव है अतीन्द्रिय क्षमताओं का विकास
    • Kahani
    • परमानन्द का श्रोत, अपने निज के अन्तराल में
    • ग्रंथिभेद एक समग्र साधना
    • Quotation
    • सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है!
    • अन्धविश्वासी भक्त (Kahani)
    • कैसे बदलेगा मानव जाति का भविष्य
    • उत्तर देते न बन पड़ा (Kahani)
    • भूतकाल को भुलाया जाय.
    • ऊँट ने आवाज दी (Kahani)
    • विचार संप्रेषण बिना माध्यम के भी सम्भव
    • असुरों को परास्त किया (Kahani)
    • प्रतिकूलताओं में हड़बड़ाएं नहीं।
    • कष्ट और कलह न रह जायें (Kahani)
    • पिण्ड में निहित शक्ति का-भण्डार
    • विचार तंत्र सुव्यवस्थित रहें
    • सच्ची भगवद् भक्ति (Kahani)
    • क्रिया कलापों का विस्तारः केन्द्र के समाचार
    • स्वास्थ्य रक्षा हेतु- उपवास की अनिवार्यता
    • उसे खारी बना दिया (Kahani)
    • पुण्य की सही परिभाषा
    • सेवा भाव (Kahani)
    • अपनों से अपनी बात - स्वास्थ्य संरक्षण के क्षेत्र में एक अभिनव प्रयोग
    • प्रभु-दर्शन
    • प्रभु-दर्शन (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1988 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


Quotation

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 34 36 Last
जीवन वृक्ष का तना है। ज्ञान पल्लव, सत्कर्मों का नियोजन है। फूल-उज्ज्वल चरित्र और फल-सेवा साधना का रसास्वादन।

First 34 36 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • सफलता पानी हो तो श्रमसीकर बहाएँ
  • चन्दन का कोयला तो न बनायें
  • Quotation
  • परमाणुशक्ति से बढ़ कर है आत्मसत्ता
  • सामर्थ्य-सम्पदा से भरा पूरा मानवी अन्तराल
  • दुर्भाग्य का ही भान (Kahani)
  • कारण शरीर की विशिष्टता-भाव श्रद्धा
  • लोक मंगल हेतु सर्वस्व अर्पण
  • मृत्यु के बाद भी है जीवन
  • तपस्वी मुद्रा बदली (Kahani)
  • आत्म शक्ति का संवर्धन एवं प्राण योग
  • राष्ट्र की समर्थता (Kahani)
  • निर्मल मन सो मोह अति भावा”
  • उपयुक्त साहस किया (Kahani)
  • भविष्य कथन कितना सच कितना झूठ?
  • व्यवहार में सदाशयता (Kahani)
  • मुसकराइये व्यक्तित्व को निखारिये!
  • नियुक्त पत्र वापस ले लिया (Kahani)
  • तर्कों की भाषा से परे है ईश्वर की सत्ता
  • कण कण में निहित है अनुशासन एवं एकत्व
  • सुगन्ध के रूप में परिलक्षित (Kahani)
  • जड़ों तक पहुँचने पर ही सही-उपचार सम्भव
  • कश्मीर को स्वर्ग बनाने वाला (Kahani)
  • उपयुक्त वातावरण ढूंढ़ें,अथवा बनायें.
  • Kahani
  • दर्शन साध्य है तो विज्ञान साधन
  • र्जनों को आश्रय तो न देते (Kahani)
  • सर्वनाश की दिशा में बढ़ता मानव समुदाय।
  • “योग”.... बाजीगरी नहीं वरन् उच्चस्तरीय पुरुषार्थ है।
  • विलासताओं का आकर्षण (Kahani)
  • मनोनिग्रह से सम्भव है अतीन्द्रिय क्षमताओं का विकास
  • Kahani
  • परमानन्द का श्रोत, अपने निज के अन्तराल में
  • ग्रंथिभेद एक समग्र साधना
  • Quotation
  • सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है!
  • अन्धविश्वासी भक्त (Kahani)
  • कैसे बदलेगा मानव जाति का भविष्य
  • उत्तर देते न बन पड़ा (Kahani)
  • भूतकाल को भुलाया जाय.
  • ऊँट ने आवाज दी (Kahani)
  • विचार संप्रेषण बिना माध्यम के भी सम्भव
  • असुरों को परास्त किया (Kahani)
  • प्रतिकूलताओं में हड़बड़ाएं नहीं।
  • कष्ट और कलह न रह जायें (Kahani)
  • पिण्ड में निहित शक्ति का-भण्डार
  • विचार तंत्र सुव्यवस्थित रहें
  • सच्ची भगवद् भक्ति (Kahani)
  • क्रिया कलापों का विस्तारः केन्द्र के समाचार
  • स्वास्थ्य रक्षा हेतु- उपवास की अनिवार्यता
  • उसे खारी बना दिया (Kahani)
  • पुण्य की सही परिभाषा
  • सेवा भाव (Kahani)
  • अपनों से अपनी बात - स्वास्थ्य संरक्षण के क्षेत्र में एक अभिनव प्रयोग
  • प्रभु-दर्शन
  • प्रभु-दर्शन (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj