• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • स्वच्छता एवं सुसंस्कारिता
    • महायज्ञ
    • तमाहुरग्रथं पुरुषं महान्तम
    • प्रभा मण्डल द्वारा पढ़ा जाएगा मनुष्य अब ?
    • सत्संकल्प की सुखद परिणति
    • कमजोर मन वाला (Kahani)
    • अध्यात्म और विज्ञान का मिलन किस स्तर पर हो?
    • Quotation
    • पर्यवेक्षण योग की साधना, ध्यान धारणा
    • Quotation
    • ईश्वर पासे फेंकने वाला बाजीगर नहीं है
    • गुरु ने एक गुप्त मंत्र दिया (Kahani)
    • प्राण ऊर्जा का संवर्धन, चेतना का उदात्तीकरण
    • कंधे पर धनुष बाण (Kahani)
    • आचरण शास्त्र का अनुपम ग्रन्थ-गीता
    • सतयुग का आगमन-कब और कैसे ?
    • राजा के न्याय (Kahani)
    • प्रतिकूलताओं की भट्ठी में तप कर निखरता है “व्यक्तित्व”
    • अपना निर्णय नहीं बदला (Kahani)
    • गणितीय नियमों से संचालित सृष्टा के क्रियाकलाप!
    • हिमक्षेत्र की रहस्यमयी दिव्य सम्पदाएँ
    • अधिकार के साथ कर्त्तव्य भी जुड़ा (Kahani)
    • भारतीय संस्कृति की गौरव गरिमा
    • मस्तिष्कीय चेतना के बहुमुखी आयाम
    • आत्मिक प्रगति का सर्वोपरि आधार श्रद्धा
    • Kahani
    • क्रूरता को जीतिये, स्नेहमय सद्भाव से
    • तपस्वी की साधना (Kahani)
    • यदेवेह तदमुत्र यदमुत्र तदन्विह
    • Quotation
    • तेजसाँ हि न वयः समीक्ष्यते
    • वर माँगने के लिए कहा (Kahani)
    • जन्म मरण का गतिचक्र
    • संगीत की जीवनदात्री सामर्थ्य
    • गंगा स्नान का पुण्यफल किसे ?
    • मनुष्येत्तर प्राणियों के बारे में भी सोचिए
    • भाग्य बताने पर दैवी रोक (Kahani)
    • तनाव मिटाइये-शिथिलीकरण द्वारा
    • अहिंसाधारी संत बन गया (Kahani)
    • अविज्ञात से डरकर पीछे न हटें वैज्ञानिक
    • बादशाह का अंगरक्षक (Kahani)
    • भय- एक काल्पनिक संकट
    • अंतिम अभूतपूर्व दीप यज्ञ श्रृंखला जिसने शिक्षित जन मानस को नवनिर्माण का संदेश दिया
    • अपनों से अपनी बातें आधी जन-शक्ति का पुनरुत्थान
    • व जागरण के अग्रदूत-दीपयज्ञ
    • सदाशयता का पक्षधर वातावरण बनाएँ
    • VigyapanSuchana
    • “मुक्ति-सन्देश”
    • मुक्ति-सन्देश (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • स्वच्छता एवं सुसंस्कारिता
    • महायज्ञ
    • तमाहुरग्रथं पुरुषं महान्तम
    • प्रभा मण्डल द्वारा पढ़ा जाएगा मनुष्य अब ?
    • सत्संकल्प की सुखद परिणति
    • कमजोर मन वाला (Kahani)
    • अध्यात्म और विज्ञान का मिलन किस स्तर पर हो?
    • Quotation
    • पर्यवेक्षण योग की साधना, ध्यान धारणा
    • Quotation
    • ईश्वर पासे फेंकने वाला बाजीगर नहीं है
    • गुरु ने एक गुप्त मंत्र दिया (Kahani)
    • प्राण ऊर्जा का संवर्धन, चेतना का उदात्तीकरण
    • कंधे पर धनुष बाण (Kahani)
    • आचरण शास्त्र का अनुपम ग्रन्थ-गीता
    • सतयुग का आगमन-कब और कैसे ?
    • राजा के न्याय (Kahani)
    • प्रतिकूलताओं की भट्ठी में तप कर निखरता है “व्यक्तित्व”
    • अपना निर्णय नहीं बदला (Kahani)
    • गणितीय नियमों से संचालित सृष्टा के क्रियाकलाप!
    • हिमक्षेत्र की रहस्यमयी दिव्य सम्पदाएँ
    • अधिकार के साथ कर्त्तव्य भी जुड़ा (Kahani)
    • भारतीय संस्कृति की गौरव गरिमा
    • मस्तिष्कीय चेतना के बहुमुखी आयाम
    • आत्मिक प्रगति का सर्वोपरि आधार श्रद्धा
    • Kahani
    • क्रूरता को जीतिये, स्नेहमय सद्भाव से
    • तपस्वी की साधना (Kahani)
    • यदेवेह तदमुत्र यदमुत्र तदन्विह
    • Quotation
    • तेजसाँ हि न वयः समीक्ष्यते
    • वर माँगने के लिए कहा (Kahani)
    • जन्म मरण का गतिचक्र
    • संगीत की जीवनदात्री सामर्थ्य
    • गंगा स्नान का पुण्यफल किसे ?
    • मनुष्येत्तर प्राणियों के बारे में भी सोचिए
    • भाग्य बताने पर दैवी रोक (Kahani)
    • तनाव मिटाइये-शिथिलीकरण द्वारा
    • अहिंसाधारी संत बन गया (Kahani)
    • अविज्ञात से डरकर पीछे न हटें वैज्ञानिक
    • बादशाह का अंगरक्षक (Kahani)
    • भय- एक काल्पनिक संकट
    • अंतिम अभूतपूर्व दीप यज्ञ श्रृंखला जिसने शिक्षित जन मानस को नवनिर्माण का संदेश दिया
    • अपनों से अपनी बातें आधी जन-शक्ति का पुनरुत्थान
    • व जागरण के अग्रदूत-दीपयज्ञ
    • सदाशयता का पक्षधर वातावरण बनाएँ
    • VigyapanSuchana
    • “मुक्ति-सन्देश”
    • मुक्ति-सन्देश (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1988 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


संगीत की जीवनदात्री सामर्थ्य

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 33 35 Last
संगीत की कभी मनोरंजन का एक साधन समझा जाता था, पर अब वैसी स्थिति नहीं रही। वैज्ञानिकों का ध्यान उसकी जीवनदात्री क्षमता की ओर गया है और उसे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की विकृतियों के निराकरण के लिए प्रयुक्त करने के प्रयोग बड़े उत्साह पूर्वक हो रहे है। पीड़ित व्यक्ति के लिए तो संगीत उस रामबाण औषधि की तरह सिद्ध हुई है जिसका श्रवणपान करते ही तात्कालिक शांति मिलती है। संगीत की स्वर लहरियों की कोमलता और लयबद्धता में कुछ ऐसी शक्ति है जो शारीरिक और मानसिक लाभ पहुँचाने के साथ सहज ही आत्मा को भी ऊर्ध्वमुखी बना देती है।

पाश्चात्य देशों में पिछले दिनों संगीत द्वारा रोग आवरण की दिशा में बहुत शोध कार्य हुआ है। तदनुसार से सूत्र ढूँढ़ निकाल गये है जिनके सहारे विभिन्न रोगों के .... की चिकित्सा विभिन्न स्वर प्रवाहों और वाद्य यंत्रों की सहायता से की जाती है। इंग्लैण्ड के चिकित्सा व ज्ञानी डा0 मीड और अमेरिका के एडवर्ड पोडीलास्की अपने अनुसंधान का सार निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए बताया है कि संगीत से नाड़ी संस्थान में एक विशेष प्रकार की उत्तेजना उत्पन्न होती है जिसके सहारे शरीरगत विसर्जन की-दूषित तत्वों की शिथिलता दूर होती है। पश्चिम जर्मनी के डा0 रोनाल्ड ड्रोह के अनुसार संगीत के द्वारा रुग्ण शरीर में उत्पन्न एड्रिनेलिन की मात्रा में कमी हो जाती है। इससे रोगियों के दर्द को एकदम सीमित किया जा सकता है। उन्होंने बच्चों के मानसिक .... को इस विधि से दूर करने में काफी सफलता पाई है। अमेरिका के ही प्रख्यात मनःचिकित्सक डा0 जार्च .... एवं डा0 नार्मन विन्सेन्ट पील ने संगीत को .... -मानसिक तनाव के निराकरण की अचूक औषधि कहा है। संगीत के अभ्यास और श्रवणकाल .... में मन को विश्रान्ति ही नहीं, आनन्द भी प्राप्त होता है।

गायन और वाद्य यदि स्वर शास्त्र के अनुरूप हो तो सुनने वालों पर उपयोगी प्रभाव पड़ता है। अमेरिका के संगीत चिकित्सक डा0 हार्ल्स एस्टले ने इस प्रक्रिया पर अधिक व्यवस्थित अनुसंधान किया है। उनने लगातार बीस वर्ष इसी पद्धति से उपचार किया है और बताया है कि एलोपैथी द्वारा रोग-मुक्त होने वालों की अपेक्षा संगीत उपचार से अच्छे होने वालों का अनुपात कही अधिक है। विशेषतया मानसिक रोगों में तो वह अचूक काम करती है। माँसपेशियों और नाड़ी संस्थान की गड़बड़ी तो निश्चित रूप से अन्य उपायों की अपेक्षा संगीत द्वारा अधिक सफलतापूर्वक और अधिक जल्दी अच्छी की जा सकती है। उनके अनुसार जो न गाना जानते है न बजाना वे भी अपनी शारीरिक-मानसिक स्थिति के अनुरूप स्वर लहरी उपयुक्त मात्रा में सुनकर बहुत हद तक लाभान्वित हो सकते है।

पिट्सवर्ग-अमेरिका के ही सुप्रसिद्ध वायलिन वादक राल्फ लारेन्स होय को संगीत से बड़ा प्रेम है उनकी धर्मपत्नी ग्रेश्चेन भी अच्छी पियानोवादिका है। उन्होंने “आर-फोरआर” अर्थात् रिकार्डिग फॉर रिलेक्जेशन, रिफ्लेक्शन, रिस्पान्स एण्ड रिकवरी” नामक एक संस्था की स्थापना की है। संगीत चिकित्सा की इस संस्था की अनेकों शाखायें अमेरिका एवं योरोप के कई भागों में कार्यरत है। इस प्रतिष्ठान की संगीत चिकित्सा ने हजारों रोगियों को अच्छा किया है ओर वह एक अति साधन सम्पन्न संस्था की तरह विकसित होकर लोक-कल्याण की दिशा में प्रवृत्त है।

प्रारंभ में लारेंस इस उपचार प्रक्रिया का प्रयोग पीटर्सवर्ग के अस्पतालों से आरंभ किया जहाँ घायल सैनिक एवं वृद्ध लोग भर्ती थे। इससे रोगियों को जो शारीरिक तथा मानसिक लाभ हुआ उससे उनका उत्साह और भी बढ़ गया। उनकी सेवा भावना एवं परिश्रम के साथ संगीत के समन्वय ने ऐसा प्रभाव वर्ग वरन् पूरे अमेरिका सहित अन्याय योरोपीय देशों में भी इस संस्था की चर्चाएँ होने लगी। तदुपरान्त वहाँ भी इस प्रकार की संस्थायें स्थापित की गई। लारेन्स की इस उपचार पद्धति ने अब तक मानसिक अवसाद, निराशा, पोलियों, रक्तवाही नाड़ियों की बीमारियों से ग्रस्त हजारों लोगों को अच्छा कर नवजीवन प्रदान किया है। उनका कहना है कि संगीत मनुष्य के लिए एक ईश्वरीय वरदान के समान है ओर तब जबकि मनुष्य का रोग सब ओर से असाध्य हो गया हो, उसकी चेतना के अंतिम स्रोत तक को संगीत की अदृश्य स्वर लहरियों से प्रभावित और ठीक किया जा सकता है। लारेंस का पूरा जीवन इसी के लिए समर्पित है। उन्होंने न्यूयार्क राज्य के शेटूगें झील के पास एक छोटे से गाँव ब्रेनाडे्स विल में एक आश्रम-सा बना रखा है जहाँ से सब कार्यक्रमों का संचालन, पत्र व्यवहार तथा शोध कार्य सम्पन्न होता है। उनका विश्वास है कि एक दिन वह भी आयेगा जब मानवीय आदर्शों का नियमन सचमुच संगीत द्वारा होने लगेगा क्योंकि उसमें आश्चर्यजनक आकर्षण और मधुरता है।

संगीत के संबंध में यदि आधुनिक यंत्रों द्वारा गंभीरता-पूर्वक शोध की जाय तो उससे प्रस्तुत समय के अगणित शारीरिक मानसिक रुग्णता को दूर किया और आरोग्य के अभिवर्धन में महत्वपूर्ण सहायता ली जा सकती है। इस प्रकार के प्रयोग योरोप एवं अमेरिका के वैज्ञानिक कर भी रहे है और उन्हें आशाजनक सफलता भी मिली है। मानसिक व्याधियों से ग्रस्त लोगों पर संगीत से आश्चर्यजनक लाभकारी प्रभाव होने का निष्कर्ष सामने आया है। सोवियत रूस के क्रीमिया स्वास्थ्य केन्द्र ने चिकित्सा में औषधि उपचार के साथ-साथ संगीत को भी एक उपाय माना है। इस संदर्भ में वहाँ देर से प्रयोग चल रहे है जिनमें उत्साहवर्धक सफलता मिल रही है। अनिद्रा, उदासी, सनक जैसी मस्तिष्कीय रोगों में तो इस उपचार को बड़ी सफलता मिली है। वहाँ के अस्पतालों में मूर्धन्य वैज्ञानिक प्रो0 एस0सी0 फैकफ ने संगीत के प्रभाव का अन्वेषण करके यह निष्कर्ष निकाला है कि उस उपचार का प्रभाव नाड़ी संस्थान की विकृतियों पर और मनोविकारों पर बहुत ही सन्तोषजनक मात्रा में होता है। डा0 वाल्टर एच॰ वालेस के अनुसार जुकाम, पीलिया, यकृतशोच, रक्तचाप जैसे रोगों की स्थिति में उपयोगी संगी का अच्छा प्रभाव होता है। प॰ जर्मनी के मनःरोग चिकित्सक डा0 वाल्टर क्यूग का कथन है कि पागलपन-हिस्टीरिया, अन्य नस्ता-मेलेन कोलिया जैसे मनोविकारों के निवारण में संगीत को सफल उपचार के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। इटली में एक “ टोरेन्टेला” नामक नृत्य होता है, तब अनेक मधुर वाद्य बजते है, उनसे अनेक पागलपन के रागी अच्छे होते देखे गये है।

भारतवर्ष में शास्त्रीय संगीत की शक्ति और महत्ता के संबंध में इतिहास के पन्ने भरे पड़े है। अब उस दिशा में नई खोजे की जाने की आवश्यकता है, पर सामान्य व्यक्तियों को कथा-कीर्तन, भजन, संगीत एवं छोटे-छोटे वाद्य यंत्रों के वादन और गायन के द्वारा उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का लाभ अवश्य उठाना चाहिए। संगीत को लय में बाँधने वाले गायन में तन्मयता आवश्यक है पर उतनी तन्मयता न हो तो भी संगीत का मनुष्य के मस्तिष्क, हृदय और शरीर पर विलक्षण प्रभाव अवश्य पड़ता है। नास्तिक और रूखे स्वभाव के समझे जाने वाले व्यक्ति भी उसकी तरंग में बहते देखे जाते है। अमेरिका की प्रमुख कला पत्रिका “दि अदर ईस्ट विलेज” ने भारतीय संगी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए लिखा है कि मनुष्य की भीतरी सत्ता को राहत देने और तरंगित करने की भारतीय संगी के ध्वनि प्रवाह में अपने ढंग की अनोखी क्षमता है। उसकी उपयोगिता और सम्मोहिनी शक्ति अपने आप में विलक्षण और अद्वितीय है जिस पर किसी भी देश के किसी भी व्यक्ति को विरोध नहीं। वस्तुतः मानव का संगी के प्रति स्वाभाविक प्रेम ही इस बात का प्रमाण है कि वह कोई नैसर्गिक तत्व और प्रबन्ध क्रिया है।

इस संदर्भ में अन्नामलाई विश्वविद्यालय के मूर्धन्य वनस्पतिशास्त्री डा0 टी0एन॰ सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ वनस्पति एवं प्राणियों पर उल्लेखनीय परीक्षण किये है। उन्होंने अपने प्रयोगों से यह सिद्ध किया है कि संगी की मधुर ध्वनि तरंगों द्वारा पेड़ पौधों की-फसलों की उन्नति में आशाजनक सहायता मिल सकती है। संगीत एक प्रभावी शक्ति सिद्ध हो सकती है। जिस प्रकार प्रकृति और प्राणि जगत में प्रकाश और गर्मी का प्रभाव होता है। उससे उनके शरीर बढ़ते, पुष्ट और स्वस्थ होते है। उसी प्रकार ध्वनि में भी तापीय और प्रकाशीय ऊर्जा होती है और वह प्राणियों के विकास में इतना महत्वपूर्ण स्थान रखती है जितना कि पोषक तत्व और जल। रोग निवारण में संगीत ककी विशिष्ट भूमिका होती है। जोधपुर मेडिकल कालेज के चिकित्सकों ने भी रोगियों पर संगीत चिकित्सा के प्रभाव के कारण रोगी अपनी चिन्ताएँ तथा दुःख भूज जाते है तथा जल्दी ठीक होते है।

बैंगलौर में ‘पवानी’ नामक एक संस्था है जो संगीत का मनुष्य पर मनोवैज्ञानिक तथा जैव-वैज्ञानिक रूप से पड़ने वाले प्रभावों पर अनुसंधान कर रही है। अब तक जो निष्कर्ष सामने आये हैं उसके अनुसार संगीत की अभूतपूर्व आरोग्यकर क्षमता की पुष्टि हुई है। चयापचय, बायोरिदम एवं न्यरोकेमीकल्स में संगीत प्रवाह महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है। जब मृदु–ध्वनियों के प्रभाव से मस्तिष्क शाँतिमय स्थिति में पहुँचता है तो रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है और त्वचा के तापमान में उतार चढ़ाव आता है। इसी तरह भिन्न-भिन्न प्रकार के राग अलग-अलग भावों को उत्पन्न करते है तथा उनसे प्रसारित होने वाली ऊर्जा श्रोताओं के तंत्रिका तंत्र एवं रसायन तंत्र को प्रभावित करती है। इसका विस्मयकारी परिणाम रोगशमन के रूप में परिलक्षित होता है। चिकित्सा विज्ञानियों का कहना है कि संगीत द्वारा एक विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है जिससे मनुष्य अपनी शक्ति पर आधारित हो जाता है। यही वह तथ्य है जो रोगी को स्वस्थ बनाता है।

लन्दन के कुछ अनुभवी चिकित्सक गर्भस्थ शिशु के लिए संगीत की धुनें बजाकर यह पता लगाने की चेष्टा कर रहे है कि गर्भस्थ शिशु की श्रवण शक्ति का विकास किस प्रकार होता है और मधुर ध्वनियों से स्नायविक प्रणाली पर क्या प्रभाव होता है ? देखा गया है कि यदि गर्भवती स्त्री को नियमित रूप से संगीत सुनने को मिले तो उससे न केवल प्रसव काल का कष्ट कम किया जा सकता है वरन् अपने वाली सन्तति को भी शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक दृष्टि से दृढ़ और बलवान बनाया जा सकता है। मनः चिकित्सकों का कथन है कि गर्भवती महिलाओं को संगीत का अभ्यास अथवा रसास्वादन अवश्य करना चाहिए। जो गा बजा नहीं सकतीं उन्हें अच्छे भजन-कीर्तन, भक्ति करुणा, प्रेम, दया, साहस और सेवा के प्रेरक गीत सुनने के लिए कोई साधन अवश्य बनाना चाहिए।

पूर्व जर्मनी के गोटिगंन नगर के संगीत द्वारा चिकित्सा करने वाले जौहान्स शूमिलिन नाम वैज्ञानिक ने अपने प्रयोगों और अनुसंधानों से यह सिद्ध किया है कि मनुष्यों की तरह ही बीमार पशुओं को भी संगीत उपचार से रोगमुक्त किया जा सकता है। उन्होंने अनुभवों और परीक्षणों का विस्तृत विवरण प्रकाशित करते हुए यह बताया है कि किस प्रकार बिना औषधि के ही कितने कष्ट साध्य रोगों से ग्रस्त मनुष्यों ने ही नहीं पशुओं ने भी रुग्णता से छुटकारा पाया। दुधारू पशुओं को दुहते समय अमुक ध्वनि का संगीत सुनाकर अधिक दूध प्राप्त करने में भी वैज्ञानिकों को सफलता मिली है।

स्वस्थ एवं प्रेरणाप्रद मधुर संगीत गायन एवं श्रवण के अनेकों लाभ है। शरीर के विजातीय द्रव्य और विषैले पदार्थों की निकाल बाहर करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गायन और वादन की श्रोताओं पर जो प्रतिक्रिया होती है उसके फलस्वरूप मानसिक विकृतियाँ, विक्षिप्तता, आलस्य, पीड़ा, मूर्च्छा, निद्रा का अभाव, रक्तचाप, कान के दर्द, हृदय की धड़कन और श्वास रोग आदि में आराम मिलता है। कई बार कुछ रोग असाध्य हो जाते है और उन पर संगीत का असर धीरे-धीरे पड़ता है। धीरे-धीरे विकारों का शमन होता है पर यह निश्चित है कि नियमित रूप से गायन का अभ्यास करने अथवा सुमधुर भावप्रवण संगीत सुनने से इनसे छुटकारा अवश्य मिलता है।

संगीत चिकित्सा का प्रचलन अब क्रमशः बढ़ता ही जा रहा है। मनोविकारों के समाधान में उसके आधार पर भारी सफलता मिल रही है। शरीरगत रुग्णता पर नियंत्रण प्राप्त करने में भी निकट भविष्य में संगीत की स्वर लहरियाँ महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करने जा रही है। इन दिनों गीत वाद्य का उथला उपयोग मनोरंजन और लोकरंजन तक सीमित होकर रह गया है। भविष्य में उसे एक कदम आगे बढ़कर मनुष्य की शारीरिक और मानसिक स्वस्थता का सन्तुलन बनाये रखने का उत्तरदायित्व वहन करना है। इससे आगे उसे आत्मा के महासागर में से उल्लास और आनन्द के मणिमुक्तक ढूंढ़कर बाहर लाने है, निश्चित ही संगीत की सृजनात्मक शक्ति द्वारा यह कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न किया जा सकेगा।

First 33 35 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • स्वच्छता एवं सुसंस्कारिता
  • महायज्ञ
  • तमाहुरग्रथं पुरुषं महान्तम
  • प्रभा मण्डल द्वारा पढ़ा जाएगा मनुष्य अब ?
  • सत्संकल्प की सुखद परिणति
  • कमजोर मन वाला (Kahani)
  • अध्यात्म और विज्ञान का मिलन किस स्तर पर हो?
  • Quotation
  • पर्यवेक्षण योग की साधना, ध्यान धारणा
  • Quotation
  • ईश्वर पासे फेंकने वाला बाजीगर नहीं है
  • गुरु ने एक गुप्त मंत्र दिया (Kahani)
  • प्राण ऊर्जा का संवर्धन, चेतना का उदात्तीकरण
  • कंधे पर धनुष बाण (Kahani)
  • आचरण शास्त्र का अनुपम ग्रन्थ-गीता
  • सतयुग का आगमन-कब और कैसे ?
  • राजा के न्याय (Kahani)
  • प्रतिकूलताओं की भट्ठी में तप कर निखरता है “व्यक्तित्व”
  • अपना निर्णय नहीं बदला (Kahani)
  • गणितीय नियमों से संचालित सृष्टा के क्रियाकलाप!
  • हिमक्षेत्र की रहस्यमयी दिव्य सम्पदाएँ
  • अधिकार के साथ कर्त्तव्य भी जुड़ा (Kahani)
  • भारतीय संस्कृति की गौरव गरिमा
  • मस्तिष्कीय चेतना के बहुमुखी आयाम
  • आत्मिक प्रगति का सर्वोपरि आधार श्रद्धा
  • Kahani
  • क्रूरता को जीतिये, स्नेहमय सद्भाव से
  • तपस्वी की साधना (Kahani)
  • यदेवेह तदमुत्र यदमुत्र तदन्विह
  • Quotation
  • तेजसाँ हि न वयः समीक्ष्यते
  • वर माँगने के लिए कहा (Kahani)
  • जन्म मरण का गतिचक्र
  • संगीत की जीवनदात्री सामर्थ्य
  • गंगा स्नान का पुण्यफल किसे ?
  • मनुष्येत्तर प्राणियों के बारे में भी सोचिए
  • भाग्य बताने पर दैवी रोक (Kahani)
  • तनाव मिटाइये-शिथिलीकरण द्वारा
  • अहिंसाधारी संत बन गया (Kahani)
  • अविज्ञात से डरकर पीछे न हटें वैज्ञानिक
  • बादशाह का अंगरक्षक (Kahani)
  • भय- एक काल्पनिक संकट
  • अंतिम अभूतपूर्व दीप यज्ञ श्रृंखला जिसने शिक्षित जन मानस को नवनिर्माण का संदेश दिया
  • अपनों से अपनी बातें आधी जन-शक्ति का पुनरुत्थान
  • व जागरण के अग्रदूत-दीपयज्ञ
  • सदाशयता का पक्षधर वातावरण बनाएँ
  • VigyapanSuchana
  • “मुक्ति-सन्देश”
  • मुक्ति-सन्देश (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj