
केंद्र के समाचार—क्षेत्र की हलचलें
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देव संस्कृति महाविद्यालय का शुभारंभ
शांतिकुंज हरिद्वार के गायत्री कुँज परिसर में देव संस्कृति महाविद्यालय विधिवत् 16 अगस्त से आरंभ हो गया है। प्रारंभ में इसमें दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, पुरातत्त्व, प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति तथा योग में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का शिक्षण आरंभ किया गया है। समाज विज्ञान के लिए भी मान्यता का प्रयास चल रहा है। प्रथम चार विषयों में मान्यता प्राप्त हो हेमवतीनंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से महाविद्यालय संबद्ध हो गया है। कुल अस्सी छात्र−छात्राओं को इसमें प्रवेश दिया गया है। भविष्य में इसी महाविद्यालय को डीम्ड यूनिवर्सिटी की मान्यता मिल जाएगी, जहाँ नालंदा−तक्षशिला की तरह देवालय प्रबंधन, औषधालय प्रबंधन, विद्यालय प्रबंधन तथा ग्राम प्रबंधन एवं समस्त भाषाओं, धर्मों का शिक्षण चलेगा।
वीडियो पत्रिका सेवा आरंभ
शाँतिकुँज से वीडियो पत्रिका आरंभ की जा रही है, ताकि दृश्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से युग संदेश जन−जन तक प्रज्ञा अभियान ‘पाक्षिक’ की तरह हर पंद्रह दिन में प्रसारित किया जा सके। इसमें देश−विदेश में चल रही गतिविधियों, प्रेरणादायी क्रियाकलापों के समाचार, शाँतिकुँज समाचार, गुरुसत्ता का संदेश, विभूतियों से साक्षात्कार एवं मिशन के गौरवशाली इतिहास का दिग्दर्शन कराया जाएगा। प्रायः एक घंटे के प्रसारण की सामग्री हर पंद्रह दिन में वी. एच. एफ. कैसेट या वीडियो सीडी द्वारा नियमित भेजी जाएगी। केवल आपरेटर्स से चर्चा कर इसे पूरे शहर या मोहल्ले में भी दिखाया जा सकता है। परिजन इसमें अपने क्षेत्र के समाचार भी वीडियो पर रिकार्ड कर या फोटो द्वारा भेज सकते हैं। परिजन ई. एम. डी. विभाग से संपर्क कर लें।
सीधी डी. टी. सी. बस सेवा शाँतिकुँज के लिए
दिल्ली ट्राँसपोर्ट कार्पोरेशन ने दिल्ली से शाँतिकुँज व वापसी के लिए एक सीधी बस सेवा आरंभ की है। यह बस प्रतिदिन दिल्ली के अंतर्राज्यीय बस अड्डे के प्लेटफार्म क्र. 39 से दोपहर 3 बजे चलकर रात्रि 10 बजे शाँतिकुँज पहुँचती है। रात्रि में यह यहीं रुकती है। प्रायः 7, 15 पर यहाँ से चलकर सीधे दिल्ली प्रस्थान करती है। परिजन इस सेवा का लाभ ले, रात्रि साधना का आनंद आश्रम में उठा सकते हैं।
विशिष्ट ग्रंथ का विमोचन
गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर ‘ऋषि चिंतन के सान्निध्य में ‘नामक ग्रंथ का विमोचन गायत्री तपोभूमि मथुरा के व्यवस्थापक पं. श्री लीलापत शर्मा जी के द्वारा किया गया। चार सौ पृष्ठ की यह ग्रंथ 1940 से 1966 तक की ‘अखण्ड ज्योति’ पत्रिका से लिए गए पूज्यवर के विचारों का संकलन है। दो सौ रुपये मूल्य की यह पुस्तक मँगाई जा सकती है एवं घर में स्थापित की जा सकती है।
फावड़वाहिनी, आपात् देववाहिनी
गाँवों में गंदगी का निवारण, जल व भू−संरक्षण हेतु केंद्र द्वारा आपदा विलेज फावड़ा फोर्स गठित करने की कार्ययोजना बनाई गई है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत तुरंत पहुँचाने के लिए भी एक आपदा सेवावाहिनी गठित किए जाने की रूपरेखा बनी है। रचनात्मक प्रकोष्ठ शाँतिकुँज से विस्तृत जानकारी लें।
मलयाली, कन्नड़ प्रशिक्षण प्रारंभ
3 सितंबर 2001 से शाँतिकुँज में ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज’ () मैसूर के तत्वाधान में मलयाली एवं कन्नड़ भाषा का त्रैमासिक प्रशिक्षण प्रारंभ हो गया है, जो तीन दिसंबर तक चलेगा। इसमें निष्णात विशेषज्ञों द्वारा बोलचाल एवं लिखने योग्य भाषा का प्रशिक्षण दिया जाता है। बाद में पत्राचार पाठ्यक्रम से और भी विशेषज्ञता उपलब्ध की जा सकती है। तमिल एवं तेलुगु भाषा का प्रशिक्षण गतवर्ष दिसंबर से आरंभ होकर इस वर्ष फरवरी में समाप्त हुआ था। उत्तर व दक्षिण को मिलाने का अद्भुत कार्य मानस गंगोत्री मैसूर एवं इक्कीसवीं सदी की गंगोत्री शाँतिकुँज द्वारा हो रहा है।
तिरूपति महायज्ञ दिसंबर में
दक्षिण भारत के चारों प्राँतों के सम्मिलित प्रयासों से अब 23 से 27 दिसंबर 2001 की तारीखों में तिरूपति देवस्थानम् के सहयोग से एक 251 कुँडी विराट् गायत्री महायज्ञ एवं संस्कार महोत्सव संपन्न होने जा रहा है। इस विराट् महाकुँभ में उत्तर व दक्षिण भारत का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। हीरक जयंती वर्ष के इस अनुपम कार्यक्रम में तेलुगु, तमिल कन्नड़ मलयाली, संस्कृत, हिंदी व आँग्ल भाषा का अभिनव समन्वय परिजन देख सकेंगे। 23 दिसंबर को कलशयात्रा एवं 24, 25, 26 दिसंबर को देवपूजन एवं यज्ञ, दीपयज्ञ तथा 27 दिसंबर को महापूर्णाहुति होगी। परिजन संगठन प्रकोष्ठ से विस्तृत जानकारी मँगा लें।
ग्रामीण दिल्ली में अपना केंद्र झटीकरा
नजफगढ़−गुड़गाँव मार्ग पर स्थित इस्टीकरा गाँव में एक शिवालय सहित आश्रम जो चार हजार वर्ग गज की परिधि में फैला है, कामा पार्क उत्तमनगर नई दिल्ली के श्री महेंद्र शर्मा व उनकी पत्नी के सौजन्य से शाँतिकुँज को दान में प्राप्त हो गया है। यहाँ सारी व्यवस्था केंद्र की ओर से रहेगी। नियमित साधना व स्वावलंबन प्रशिक्षण भी चलेंगे। अभी आस−पास के प्रायः दो सौ गाँवों को जोड़ने के लिए 27 से 30 नवंबर 2001 की तारीखों में एक विराट् 108 कुँडी गायत्री महायज्ञ यहाँ आयोजित किया जा रहा है। विस्तृत जानकारी दिल्ली कार्यालय 0116917361 दूरभाष या संगठन प्रकोष्ठ शाँतिकुँज से लें।