
केंद्र के समाचार-विश्वव्यापी हलचलें- - क्या हो रहा है इन दिनों गायत्री परिवार में
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में नया सत्र आरंभ
एक वर्ष पूरा कर अपना विश्वविद्यालय अब इस जुलाई की बारह तारीख से 23-24 के नए वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस वर्ष से कुल नौ पाठ्यक्रम आरंभ किए जा रहे हैं। कुछ नए हैं। ज्ञानदीक्षा संस्कार 12 जुलाई को होगा एवं हर वर्ष अब 24 जुलाई का दिन विश्वविद्यालय के स्थापना-दिवस के रूप में मनाया जाएगा। विश्वविद्यालय में नवीनतम निर्माण गायत्री टावर्स व हॉसटल के रूप में हो चुके हैं छात्रावास में कुल 475 छात्र-छात्राओं के रहने-भोजन की संपूर्ण व्यवस्था बना दी गई है।
विश्वयात्रा पर सात दल
विभिन्न राष्ट्रों में अलख जगाने पहुँचे
श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट के एक महत्वपूर्ण निर्धारण के अनुसार इस वर्ष सारे विश्व के सभी महत्वपूर्ण देशों का दौरा करने के लिए सात दल मई-जून में रवाना हो गए। पहला दल आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी आदि देशों में अलख जगाने अप्रैल के तृतीय सप्ताह में पहुँच गया। तीन सदस्यीय दल ने न्यूजीलैंड व फिजी के विभिन्न नगरों में आयोजन संपन्न किए। दूसरा दल दो भाइयों की निगरानी में चार राष्ट्रों की ग्लोबल परिक्रमा पर गया, ताकि युवाशक्ति के लिए एक रणनीति बनाई जा सके। प्रवासी भारतीयों, उनके बच्चों तथा विभिन्न वर्गों में वैज्ञानिक अध्यात्मवाद की पैठ की जा सके। जून के प्रथम सप्ताह में तीन दल क्रमशः उत्तर-पूरब उत्तरी तथा पश्चिमी अमेरिका एवं कनाडा प्रवास हेतु पहुँच चुके हैं। अगस्त के प्रथम सप्ताह में एक चार दिवसीय सम्मेलन में सारे अमेरिका व कनाडा के युवा इसमें भाग लेंगे। एक दल यूनाइटेड किंगडम (इंग्लैंड) तथा एक दल यूरोप के लिए रवाना हुआ है। एक और दल दक्षिणी अफ्रीका, तंज़ानिया केन्या, यूगाँडा, मॉरीशस तथा जाँबिया के प्रवास पर रवाना हुआ है। तभी दल तीन सदस्यीय हैं एवं चार माह वहाँ रहकर गुरुचेतना का विस्तार करेंगे।
आदिवासी वर्ग में एक विशिष्ट चेतना का जागरण
मध्यप्रदेश के सेंधवा जिले के सालीटाँडा गाँव में एक आदर्शवाद आदिवासी डेमन्या भाई डावर के सत्प्रयासों से लगभग ढाई लाख लोगों ने नशे एवं माँसाहार का परित्याग किया। इन डेमन्या भाई के विषय में परिजन पढ़ चुके हैं दिसंबर, 22 के अंक में। इस संकल्प की पूर्णाहुति के रूप में इनने शाँतिकुँज प्रमुख को अपने क्षेत्र में 18 कुँडी यज्ञ में 13,14,15, 16 अप्रैल की तिथियों में आमंत्रित किया। बड़ा विराट समागम रहा। देखने योग्य दृश्य था। निमाड़ की पहाड़ियों में सूखे से घिरे क्षेत्र के बीच एक नखलिस्तान बसा था। प्रायः डेढ़ लाख आदिवासी भाई, निमाड़-मालवावासी उसमें शरीक हुए। सभी को बड़ी विलक्षण, अनुभूतियाँ हुई। इतना भारी समुदाय, फिर भी इंदौर, उज्जैन, भोपाल, बड़वानीच, खरगोन के कार्यकर्त्ताओं द्वारा सारी व्यवस्थाएँ सँभाल ली गई। संस्थाप्रमुख ने जामलीस्थित गायत्रीधाम को भी देखा व संस्थाप्रमुख ने जामली स्थित गायत्रीधान को भी देखा संस्कारघानी ग्राम घेगाँव होकर वे इंदौर होकर वापस आ गए।
उड़ीसा में जाग्रति मंथन
मई के द्वितीय सप्ताह में अपने नौ दिवसीय दौरे द्वारा शाँतिकुँज प्रतिनिधियों ने संबलपुर, भुवनेश्वर, राउरकेला, रायगड़ा क्षेत्र का गहन मंथन किया। प्रकाशन, संपादन तथा युगशक्ति गायत्री (उड़िया) के क्षेत्रीय विस्तार की चर्चाएँ हुई। इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
टाटानगर में विराट आयोजन
टाटानगर वह पावन क्षेत्र है, जहाँ पूज्यवर की चरणरज कई बार पड़ी एवं जहाँ अंतिम पाँच 18 कुँडी यज्ञों में से एक आयोजित हुआ था (1970-71)। विगत दिनों वहाँ पूरे झारखंड व साथ लगे बंगाल, उड़ीसा व बिहार का एक विराट सम्मेलन (28 से 31 मार्च) 18 कुँडी गायत्री महायज्ञ कार्यकर्त्ता गोष्ठी सहित आयोजित हुआ। प्रबुद्ध वर्ग की गोष्ठियाँ बड़ी सफल रहीं।
छत्तीसगढ़ को मिली संजीवनी
25 अप्रैल से 1 मई की तारीखों में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के आँरग, तोरला, सिलीदीह क्षेत्र में प्राण प्रतिष्ठाओं सहित आदर्श ग्राम तीर्थों की स्थापनाएँ हुई। आवँवरी(चारामा) आश्रम को केंद्र के अधीन लेकर इसे पूरे छत्तीसगढ़-उड़ीसा का केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया। फरसगाँव (बस्तर) में आयोजित सम्मेलन में पूरे मध्य व दक्षिण छत्तीसगढ़ का एक विराट कार्यकर्त्ता सम्मेलन हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी वर्ग ने भाग लिया। लंजौड़ा ऋषि विद्यालय की तर्ज पर वैसे ही ऋषि विद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया। राजनाँदगाँव में एक देवसंस्कृति महाविद्यालय की स्थापना की गई। कुल मिलाकर पूरे प्रदेश को यह दौरा एक नूतन संजीवनी दे गया।