• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • गायत्री महाविज्ञान भाग १
    • गायत्री महाविज्ञान भाग ३
    • गायत्री महाविज्ञान भाग २
    • गायत्री द्वारा कुण्डलिनी जागरण
    • वेदमाता गायत्री की उत्पत्ति
    • ब्रह्म की स्फुरणा से गायत्री का प्रादुर्भाव
    • गायत्री सूक्ष्म शक्तियों का स्रोत है
    • गायत्री साधना से शक्तिकोशों का उद्भव
    • शरीर में गायत्री मंत्र के अक्षर
    • गायत्री और ब्रह्म की एकता
    • महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
    • त्रिविध दु:खों का निवारण
    • गायत्री उपेक्षा की भर्त्सना
    • गायत्री साधना से श्री समृद्धि और सफलता
    • गायत्री साधना से आपत्तियों का निवारण
    • जीवन का कायाकल्प
    • नारियों को वेद एवं गायत्री का अधिकार
    • देवियों की गायत्री साधना
    • गायत्री का शाप विमोचन और उत्कीलन का रहस्य
    • गायत्री की मूर्तिमान प्रतिमा यज्ञोपवीत (जनेऊ)
    • साधकों के लिये उपवीत आवश्यक है
    • गायत्री साधना का उद्देश्य
    • निष्काम साधना का तत्त्व ज्ञान
    • गायत्री से यज्ञ का सम्बन्ध
    • साधना- एकाग्रता और स्थिर चित्त से होनी चाहिए
    • पापनाशक और शक्तिवर्धक तपश्चर्याएँ
    • आत्मशक्ति का अकूत भण्डार :: अनुष्ठान
    • सदैव शुभ गायत्री यज्ञ
    • महिलाओं के लिये विशेष साधनाएँ
    • एक वर्ष की उद्यापन साधना
    • गायत्री साधना से अनेकों प्रयोजनों की सिद्धि
    • गायत्री का अर्थ चिन्तन
    • साधकों के स्वप्न निरर्थक नहीं होते
    • साधना की सफलता के लक्षण
    • सिद्धियों का दुरुपयोग न होना चाहिये
    • यह दिव्य प्रसाद औरों को भी बाँटिये
    • गायत्री महाविज्ञान भाग ३ भूमिका
    • गायत्री के पाँच मुख
    • अनन्त आनन्द की साधना
    • गायत्री मञ्जरी
    • उपवास - अन्नमय कोश की साधना
    • आसन - अन्नमय कोश की साधना
    • तत्त्व शुद्धि - अन्नमय कोश की साधना
    • तपश्चर्या - अन्नमय कोश की साधना
    • अन्नमय कोश और उसकी साधना
    • मनोमय कोश की साधना
    • ध्यान - मनोमय कोश की साधना
    • त्राटक - मनोमय कोश की साधना
    • जप - मनोमय कोश की साधना
    • तन्मात्रा साधना - मनोमय कोश की साधना
    • विज्ञानमय कोश की साधना
    • सोऽहं साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
    • आत्मानुभूति योग - विज्ञानमय कोश की साधना
    • आत्मचिन्तन की साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
    • स्वर योग - विज्ञानमय कोश की साधना
    • वायु साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
    • ग्रन्थि-भेद - विज्ञानमय कोश की साधना
    • आनन्दमय कोश की साधना
    • नाद साधना - आनन्दमय कोश की साधना
    • बिन्दु साधना - आनन्दमय कोश की साधना
    • कला साधना - आनन्दमय कोश की साधना
    • तुरीयावस्था - आनन्दमय कोश की साधना
    • पंचकोशी साधना का ज्ञातव्य
    • गायत्री-साधना निष्फल नहीं जाती
    • पञ्चमुखी साधना का उद्देश्य
    • गायत्री का तन्त्रोक्त वाम-मार्ग
    • गायत्री की गुरु दीक्षा
    • आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • मन्त्र दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • अग्नि दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • ब्रह्म दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • कल्याण मन्दिर का प्रवेश द्वार - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • ब्रह्मदीक्षा की दक्षिणा आत्मदान - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • वर्तमानकालीन कठिनाइयाँ - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • गायत्री महाविज्ञान भाग १
    • गायत्री महाविज्ञान भाग ३
    • गायत्री महाविज्ञान भाग २
    • गायत्री द्वारा कुण्डलिनी जागरण
    • वेदमाता गायत्री की उत्पत्ति
    • ब्रह्म की स्फुरणा से गायत्री का प्रादुर्भाव
    • गायत्री सूक्ष्म शक्तियों का स्रोत है
    • गायत्री साधना से शक्तिकोशों का उद्भव
    • शरीर में गायत्री मंत्र के अक्षर
    • गायत्री और ब्रह्म की एकता
    • महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
    • त्रिविध दु:खों का निवारण
    • गायत्री उपेक्षा की भर्त्सना
    • गायत्री साधना से श्री समृद्धि और सफलता
    • गायत्री साधना से आपत्तियों का निवारण
    • जीवन का कायाकल्प
    • नारियों को वेद एवं गायत्री का अधिकार
    • देवियों की गायत्री साधना
    • गायत्री का शाप विमोचन और उत्कीलन का रहस्य
    • गायत्री की मूर्तिमान प्रतिमा यज्ञोपवीत (जनेऊ)
    • साधकों के लिये उपवीत आवश्यक है
    • गायत्री साधना का उद्देश्य
    • निष्काम साधना का तत्त्व ज्ञान
    • गायत्री से यज्ञ का सम्बन्ध
    • साधना- एकाग्रता और स्थिर चित्त से होनी चाहिए
    • पापनाशक और शक्तिवर्धक तपश्चर्याएँ
    • आत्मशक्ति का अकूत भण्डार :: अनुष्ठान
    • सदैव शुभ गायत्री यज्ञ
    • महिलाओं के लिये विशेष साधनाएँ
    • एक वर्ष की उद्यापन साधना
    • गायत्री साधना से अनेकों प्रयोजनों की सिद्धि
    • गायत्री का अर्थ चिन्तन
    • साधकों के स्वप्न निरर्थक नहीं होते
    • साधना की सफलता के लक्षण
    • सिद्धियों का दुरुपयोग न होना चाहिये
    • यह दिव्य प्रसाद औरों को भी बाँटिये
    • गायत्री महाविज्ञान भाग ३ भूमिका
    • गायत्री के पाँच मुख
    • अनन्त आनन्द की साधना
    • गायत्री मञ्जरी
    • उपवास - अन्नमय कोश की साधना
    • आसन - अन्नमय कोश की साधना
    • तत्त्व शुद्धि - अन्नमय कोश की साधना
    • तपश्चर्या - अन्नमय कोश की साधना
    • अन्नमय कोश और उसकी साधना
    • मनोमय कोश की साधना
    • ध्यान - मनोमय कोश की साधना
    • त्राटक - मनोमय कोश की साधना
    • जप - मनोमय कोश की साधना
    • तन्मात्रा साधना - मनोमय कोश की साधना
    • विज्ञानमय कोश की साधना
    • सोऽहं साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
    • आत्मानुभूति योग - विज्ञानमय कोश की साधना
    • आत्मचिन्तन की साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
    • स्वर योग - विज्ञानमय कोश की साधना
    • वायु साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
    • ग्रन्थि-भेद - विज्ञानमय कोश की साधना
    • आनन्दमय कोश की साधना
    • नाद साधना - आनन्दमय कोश की साधना
    • बिन्दु साधना - आनन्दमय कोश की साधना
    • कला साधना - आनन्दमय कोश की साधना
    • तुरीयावस्था - आनन्दमय कोश की साधना
    • पंचकोशी साधना का ज्ञातव्य
    • गायत्री-साधना निष्फल नहीं जाती
    • पञ्चमुखी साधना का उद्देश्य
    • गायत्री का तन्त्रोक्त वाम-मार्ग
    • गायत्री की गुरु दीक्षा
    • आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • मन्त्र दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • अग्नि दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • ब्रह्म दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • कल्याण मन्दिर का प्रवेश द्वार - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • ब्रह्मदीक्षा की दक्षिणा आत्मदान - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
    • वर्तमानकालीन कठिनाइयाँ - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - गायत्री महाविज्ञान

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT TEXT SCAN TEXT


अन्नमय कोश और उसकी साधना

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 42 44 Last
गायत्री के पाँच मुखों में, आत्मा के पाँच कोशों में प्रथम कोश का नाम अन्नमय कोश है। अन्न का सात्त्विक अर्थ है—पृथ्वी का रस। पृथ्वी से जल, अनाज, फल, तरकारी, घास आदि पैदा होते हैं। उन्हीं से दूध, घी, मांस आदि भी बनते हैं। यह सब अन्न कहे जाते हैं। इन्हीं के द्वारा रज, वीर्य बनते हैं और इन्हीं से इस शरीर का निर्माण होता है। अन्न द्वारा ही देह बढ़ती है, पुष्ट होती है तथा अन्त मं  अन्नरूप पृथ्वी में ही भस्म होकर सड़- गलकर मिल जाती है। अन्न से उत्पन्न होने वाला और उसी में जाने वाला यह देह- प्रधानता के कारण ‘अन्नमय कोश’ कहा जाता है।

यहाँ एक बात ध्यान रखने की है कि हाड़- मांस का जो यह पुतला दिखाई देता है, वह अन्नमय कोश की अधीनता में है, पर उसे ही अन्नमय कोश न समझ लेना चाहिए। मृत्यु हो जाने पर देह तो नष्ट हो जाती है, पर अन्नमय कोश नष्ट नहीं होता। वह जीव के साथ रहता है। बिना शरीर के भी जीव भूतयोनि में या स्वर्ग- नरक में उन भूख- प्यास, सर्दी- गर्मी, चोट, दर्द आदि को सहता है जो स्थूल शरीर से सम्बन्धित हैं। इसी प्रकार उसे उन इन्द्रिय भोगों की चाह रहती है जो शरीर द्वारा भोगे जाने सम्भव हैं। भूतों की इच्छाएँ वैसी ही आहार- विहार की रहती हैं, जैसी शरीरधारी मनुष्यों की होती हैं। इससे प्रकट है कि अन्नमय कोश शरीर का संचालक, कारण, उत्पादक, उपभोक्ता आदि तो है, पर उससे पृथक् भी है। इसे सूक्ष्म शरीर भी कहा जा सकता है।

रोग हो जाने पर डॉक्टर, वैद्य, उपचार, औषधि, इञ्जेक्शन, शल्य क्रिया आदि द्वारा उसे ठीक करते हैं। चिकित्सा पद्धतियों की पहुँच स्थूल शरीर तक ही है, इसलिए वह केवल उन्हीं रोगों को दूर कर पाते हैं जो कि हाड़- मांस, त्वचा आदि के विकारों के कारण उत्पन्न होते हैं। परन्तु कितने ही रोग ऐसे भी हैं जो अन्नमय कोश की विकृति के कारण उत्पन्न होते हैं, उन्हें शारीरिक चिकित्सक लोग ठीक करने में प्रायः असमर्थ ही रहते हैं।

अन्नमय कोश की स्थिति के अनुसार शरीर का ढाँचा और रंग रूप बनता है। उसी के अनुसार इन्द्रियों की शक्तियाँ होती हैं। बालक जन्म से ही कितनी ही शारीरिक त्रुटियाँ, अपूर्णताएँ या विशेषताएँ लेकर आता है। किसी की देह आरम्भ से ही मोटी, किसी की जन्म से ही पतली होती है। आँखों की दृष्टि, वाणी की विशेषता, मस्तिष्क का भौंड़ा या तीव्र होना, किसी विशेष अंग का निर्बल या न्यून होना अन्नमय कोश की स्थिति के अनुरूप होता है। माता- पिता के रज- वीर्य का भी उसमें थोड़ा प्रभाव होता है, पर विशेषता अपने कोश की ही रहती है। कितने ही बालक माता- पिता की अपेक्षा अनेक बातों में बहुत भिन्न पाए जाते हैं।

शरीर अन्न से बनता और बढ़ता है। अन्न के भीतर सूक्ष्म जीवन तत्त्व रहता है, वह अन्नमय कोश को बनाता है। जैसे शरीर में पाँच कोश हैं, वैसे ही अन्न में तीन कोश हैं—स्थूल, सूक्ष्म, कारण। स्थूल में स्वाद और भार, सूक्ष्म में प्रभाव और गुण तथा कारण के कोश में अन्न का संस्कार रहता है। जिह्वा से केवल भोजन का स्वाद मालूम होता है। पेट उसके बोझ का अनुभव करता है। रस में उसकी मादकता, उष्णता आदि प्रकट होती है। अन्नमय कोश पर उसका संस्कार जमता है। मांस आदि अनेक अभक्ष्य पदार्थ ऐसे हैं जो जीभ को स्वादिष्ट लगते हैं, देह को मोटा बनाने में भी सहायक होते हैं, पर उनमें सूक्ष्म संस्कार ऐसा होता है, जो अन्नमय कोश को विकृत कर देता है और उसका परिणाम अदृश्य रूप से आकस्मिक रोगों के रूप में तथा जन्म- जन्मान्तर तक कुरूपता एवं शारीरिक अपूर्णता के रूप में चलता है। इसलिए आत्मविद्या के ज्ञाता सदा सात्त्विक, सुसंस्कारी अन्न पर जोर देते हैं ताकि स्थूल शरीर में बीमारी, कुरूपता, अपूर्णता, आलस्य एवं कमजोरी की बढ़ोत्तरी न हो। जो लोग अभक्ष्य खाते हैं, वे अब नहीं तो भविष्य में ऐसी आन्तरिक विकृति से ग्रस्त हो जाएँगे जो उनको शारीरिक सुख से वञ्चित रखे रहेगी। इस प्रकार अनीति से उपार्जित धन या पाप की कमाई प्रकट में आकर्षक लगने पर भी अन्नमय कोश को दूषित करती है और अन्त में शरीर को विकृत तथा चिररोगी बना देती है। धन सम्पन्न होने पर भी ऐसी दुर्दशा भोगने के अनेक उदाहरण प्रत्यक्ष दिखाई दिया करते हैं।

कितने ही शारीरिक विकारों की जड़ अन्नमय कोश में होती है। उनका निवारण दवा- दारू से नहीं, यौगिक साधनों से हो सकता है। जैसे संयम, चिकित्सा, शल्यक्रिया, व्यायाम, मालिश, विश्राम, उत्तम आहार- विहार, जलवायु आदि से शारीरिक स्वास्थ्य में बहुत कुछ अन्तर हो सकता है, वैसे ही कुछ ऐसी भी प्रक्रिया हैं, जिनके द्वारा अन्नमय कोश को परिमार्जित एवं परिपुष्ट किया जा सकता है और विविधविध शारीरिक अपूर्णताओं से छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसी पद्धतियों में (१) उपवास, (२) आसन, (३) तत्त्वशुद्धि, (४) तपश्चर्या, ये चार मुख्य हैं। इन चारों पर इस प्रकरण में कुछ प्रकाश डालेंगे।

First 42 44 Last


Other Version of this book



Gayatri Mahavigyan Part 2
Type: SCAN
Language: EN
...

गायत्री महाविज्ञान-भाग ३
Type: SCAN
Language: EN
...

गायत्री महाविज्ञान भाग 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गायत्री महाविज्ञान (तृतीय भाग)
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Super Science of Gayatri
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

गायत्री महाविज्ञान
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Gayatri Mahavigyan Part 1
Type: SCAN
Language: EN
...

Gayatri Mahavigyan Part 3
Type: SCAN
Language: EN
...

गायत्री महाविज्ञान-भाग १
Type: SCAN
Language: MARATHI
...

गायत्री महाविज्ञान-भाग २
Type: SCAN
Language: EN
...

गायत्री महाविज्ञान
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

गहना कर्मणोगतिः
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • गायत्री महाविज्ञान भाग १
  • गायत्री महाविज्ञान भाग ३
  • गायत्री महाविज्ञान भाग २
  • गायत्री द्वारा कुण्डलिनी जागरण
  • वेदमाता गायत्री की उत्पत्ति
  • ब्रह्म की स्फुरणा से गायत्री का प्रादुर्भाव
  • गायत्री सूक्ष्म शक्तियों का स्रोत है
  • गायत्री साधना से शक्तिकोशों का उद्भव
  • शरीर में गायत्री मंत्र के अक्षर
  • गायत्री और ब्रह्म की एकता
  • महापुरुषों द्वारा गायत्री महिमा का गान
  • त्रिविध दु:खों का निवारण
  • गायत्री उपेक्षा की भर्त्सना
  • गायत्री साधना से श्री समृद्धि और सफलता
  • गायत्री साधना से आपत्तियों का निवारण
  • जीवन का कायाकल्प
  • नारियों को वेद एवं गायत्री का अधिकार
  • देवियों की गायत्री साधना
  • गायत्री का शाप विमोचन और उत्कीलन का रहस्य
  • गायत्री की मूर्तिमान प्रतिमा यज्ञोपवीत (जनेऊ)
  • साधकों के लिये उपवीत आवश्यक है
  • गायत्री साधना का उद्देश्य
  • निष्काम साधना का तत्त्व ज्ञान
  • गायत्री से यज्ञ का सम्बन्ध
  • साधना- एकाग्रता और स्थिर चित्त से होनी चाहिए
  • पापनाशक और शक्तिवर्धक तपश्चर्याएँ
  • आत्मशक्ति का अकूत भण्डार :: अनुष्ठान
  • सदैव शुभ गायत्री यज्ञ
  • महिलाओं के लिये विशेष साधनाएँ
  • एक वर्ष की उद्यापन साधना
  • गायत्री साधना से अनेकों प्रयोजनों की सिद्धि
  • गायत्री का अर्थ चिन्तन
  • साधकों के स्वप्न निरर्थक नहीं होते
  • साधना की सफलता के लक्षण
  • सिद्धियों का दुरुपयोग न होना चाहिये
  • यह दिव्य प्रसाद औरों को भी बाँटिये
  • गायत्री महाविज्ञान भाग ३ भूमिका
  • गायत्री के पाँच मुख
  • अनन्त आनन्द की साधना
  • गायत्री मञ्जरी
  • उपवास - अन्नमय कोश की साधना
  • आसन - अन्नमय कोश की साधना
  • तत्त्व शुद्धि - अन्नमय कोश की साधना
  • तपश्चर्या - अन्नमय कोश की साधना
  • अन्नमय कोश और उसकी साधना
  • मनोमय कोश की साधना
  • ध्यान - मनोमय कोश की साधना
  • त्राटक - मनोमय कोश की साधना
  • जप - मनोमय कोश की साधना
  • तन्मात्रा साधना - मनोमय कोश की साधना
  • विज्ञानमय कोश की साधना
  • सोऽहं साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
  • आत्मानुभूति योग - विज्ञानमय कोश की साधना
  • आत्मचिन्तन की साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
  • स्वर योग - विज्ञानमय कोश की साधना
  • वायु साधना - विज्ञानमय कोश की साधना
  • ग्रन्थि-भेद - विज्ञानमय कोश की साधना
  • आनन्दमय कोश की साधना
  • नाद साधना - आनन्दमय कोश की साधना
  • बिन्दु साधना - आनन्दमय कोश की साधना
  • कला साधना - आनन्दमय कोश की साधना
  • तुरीयावस्था - आनन्दमय कोश की साधना
  • पंचकोशी साधना का ज्ञातव्य
  • गायत्री-साधना निष्फल नहीं जाती
  • पञ्चमुखी साधना का उद्देश्य
  • गायत्री का तन्त्रोक्त वाम-मार्ग
  • गायत्री की गुरु दीक्षा
  • आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
  • मन्त्र दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
  • अग्नि दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
  • ब्रह्म दीक्षा - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
  • कल्याण मन्दिर का प्रवेश द्वार - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
  • ब्रह्मदीक्षा की दक्षिणा आत्मदान - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
  • वर्तमानकालीन कठिनाइयाँ - आत्मकल्याण की तीन कक्षाएँ
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj