• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • बुद्धि, बल व साहस के धनी—महाराणा राजसिंह
    • लुटेरे गजनवी का मान-मर्दन करने वाले—राजा संग्राम राज
    • स्वातन्त्र्य सेनानी—नाना साहब पेशवा
    • सन् 57 की क्रान्ति के सर्वोच्च सेनापति—तात्याटोपे
    • कांग्रेस के जन्मदारा—सर ऐलेन ह्यूम
    • आदर्शों के लिए अड़े रहने वाले—ब्रुंडेज
    • कर्मयोगी हचिसन
    • एक अपराजेय देश-भक्त—खान अब्दुल गफ्फार खां
    • बंगला राष्ट्र के निर्माता—शेख मुजीबुर्रहमान
    • क्रांतिदूत—श्री0 रामप्रसाद ‘विस्मिल’
    • नीचे से ऊपर बढ़ने वाले श्री ए.जी. वेल्स
    • डा0 राममनोहर लोहिया—जिनकी नस-नस में क्रांति भरी थी
    • स्वदेश और समाज के उद्धारकर्ता—डॉ० सनयातसेन
    • गायकों के नायक—युग-गायक बंकिम चन्द्र
    • राष्ट्र के लिये सर्वतोभावेन समर्पित पोहलू राम
    • संग्राम के अमर सैनिक—अहिंसक-फुलेना प्रसाद
    • सच्चे देश-भक्त—श्री वदरुद्दीन तैयवजी
    • निर्भीक जन सेवक—श्री हीरालाल शास्त्री *******
    • अमरीका का आदर्श राष्ट्रीय अध्यापक-दल
    • नई पौध के कुशल बागवा—दादा साहब लाड
    • क्रान्तिकारी जीवन के मार्गदर्शक—सोहनसिंह
    • आशावादी—डंगन
    • देश भक्तों के निर्माता—वारीन्द्र कुमार घोष
    • महान बलिदानी—भाई मतिदास
    • प्रसिद्ध क्रान्तिकारी—कन्हाई लाल दत्त
    • श्री कान्त अनन्त राव आपटे—एक सच्चे भारतीय
    • सफलता संकल्पवानों को मिलती है
    • जड़ जगत में आदर्शवादिता का खेजी—जानसन
    • न्याय के लिए संघर्ष
    • उद्देश्य के लिये संसार भर की खाक छानने वाले—सरदार अजीतसिंह
    • पचास का काम अकेले करने वाले—बिनोद कानून गो
    • दो हजार कुश्तियां लड़ने वाला—किंग कांग
    • असमय बुझी दोष ग्रस्त-प्रतिभा पैरासेलसस
    • मातृभूमि के बलिदानी सोहनलाल पाठक
    • सतहत्तर साल के नौजवान—दाताराम
    • फिर न मिलेगा अवसर ऐसा
    • टैंक—युद्ध के अनुभवी विजेता—जनरल चौधरी
    • श्रम, सम्पदा व सद्भावना का धनी—हेनरी फोर्ड
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • बुद्धि, बल व साहस के धनी—महाराणा राजसिंह
    • लुटेरे गजनवी का मान-मर्दन करने वाले—राजा संग्राम राज
    • स्वातन्त्र्य सेनानी—नाना साहब पेशवा
    • सन् 57 की क्रान्ति के सर्वोच्च सेनापति—तात्याटोपे
    • कांग्रेस के जन्मदारा—सर ऐलेन ह्यूम
    • आदर्शों के लिए अड़े रहने वाले—ब्रुंडेज
    • कर्मयोगी हचिसन
    • एक अपराजेय देश-भक्त—खान अब्दुल गफ्फार खां
    • बंगला राष्ट्र के निर्माता—शेख मुजीबुर्रहमान
    • क्रांतिदूत—श्री0 रामप्रसाद ‘विस्मिल’
    • नीचे से ऊपर बढ़ने वाले श्री ए.जी. वेल्स
    • डा0 राममनोहर लोहिया—जिनकी नस-नस में क्रांति भरी थी
    • स्वदेश और समाज के उद्धारकर्ता—डॉ० सनयातसेन
    • गायकों के नायक—युग-गायक बंकिम चन्द्र
    • राष्ट्र के लिये सर्वतोभावेन समर्पित पोहलू राम
    • संग्राम के अमर सैनिक—अहिंसक-फुलेना प्रसाद
    • सच्चे देश-भक्त—श्री वदरुद्दीन तैयवजी
    • निर्भीक जन सेवक—श्री हीरालाल शास्त्री *******
    • अमरीका का आदर्श राष्ट्रीय अध्यापक-दल
    • नई पौध के कुशल बागवा—दादा साहब लाड
    • क्रान्तिकारी जीवन के मार्गदर्शक—सोहनसिंह
    • आशावादी—डंगन
    • देश भक्तों के निर्माता—वारीन्द्र कुमार घोष
    • महान बलिदानी—भाई मतिदास
    • प्रसिद्ध क्रान्तिकारी—कन्हाई लाल दत्त
    • श्री कान्त अनन्त राव आपटे—एक सच्चे भारतीय
    • सफलता संकल्पवानों को मिलती है
    • जड़ जगत में आदर्शवादिता का खेजी—जानसन
    • न्याय के लिए संघर्ष
    • उद्देश्य के लिये संसार भर की खाक छानने वाले—सरदार अजीतसिंह
    • पचास का काम अकेले करने वाले—बिनोद कानून गो
    • दो हजार कुश्तियां लड़ने वाला—किंग कांग
    • असमय बुझी दोष ग्रस्त-प्रतिभा पैरासेलसस
    • मातृभूमि के बलिदानी सोहनलाल पाठक
    • सतहत्तर साल के नौजवान—दाताराम
    • फिर न मिलेगा अवसर ऐसा
    • टैंक—युद्ध के अनुभवी विजेता—जनरल चौधरी
    • श्रम, सम्पदा व सद्भावना का धनी—हेनरी फोर्ड
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - बुद्धि, कर्म व साहस की धनी प्रतिभायें

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT


टैंक—युद्ध के अनुभवी विजेता—जनरल चौधरी

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 37 39 Last


अनेक, कक्ष जैसे समझौतों को तोड़ कर और बार-बार आक्रमणकारिता से आजमा कर पाकिस्तान ने समझ लिया कि भारत स्वाधीनता के लिये बहुत अधिक बलिदान देने के बाद खोखला हो चुका है, अब उसमें ऐसा कोई दमखम नहीं रह गया है कि वह शस्त्र-संग्राम के लिये रण-भूमि में उतर सके। कोई बड़ा आक्रमण करो और इन समझौतावादियों से कश्मीर अथवा भारत-भूमि का कोई बड़ा भाग हड़प लो!

निदान रण की इच्छा से उन्होंने छम्ब तथा बाड़मेर आदि की ओर से अपनी टैंक-सेना आगे बढ़ा दी। यह अमरीकी पैटन-टैंक अभेद्य तथा अजेय समझे जाते थे अमेरिका ने पाकिस्तान को इन्हीं टैंकों से लैस कर रखा था। पाकिस्तान को पूरा विश्वास था कि या तो भारत इन भीमकाय टैंकों को देखकर उनकी शर्तों पर समझौता कर लेगा अथवा उनके यह अमरीकी टैंक इलाके पर इलाके रौंदते हुए भारत पर अधिकार कर लेंगे।

किंतु हुआ यह कि भारत के टैंक-दस्तों ने उनके अभेद्य पैटन-टैंकों के धुर्रे उड़ाने शुरू कर दिये और बात की बात में तोड़-फोड़ कर ढेर लगा दिया। भारत की यह दक्षता देखकर पाकिस्तान ही नहीं, अमेरिका तथा ब्रिटिश तक दांतों तले उंगली दबा कर रह गये और इस बात की जांच-पड़ताल करने लगे कि आखिर इस अहिंसावादी भारत के पास ऐसे कौन से अस्त्र-शस्त्र हैं, जिससे उन्होंने हमारे अपराजेय टैंकों की मिट्टी बना दी, जिनके बल पर उन्होंने द्वितीय महायुद्ध के दौरान टैंक-युद्ध विशेषज्ञ—जर्मन सेनापति जनरल रोमेल को परास्त किया था।

उन्होंने भारतीय बमों के टुकड़े इकट्ठे किये और इस बात की खोज-बीन शुरू कर दी कि यह टैंक तोड़ने वाले बम किन-किन उपादानों से बनाये गये हैं। किन्तु उन्होंने यह सोचने का कष्ट नहीं किया कि टैंक-युद्ध के महारथी जनरल जयन्त चौधरी स्वयं ही इस युद्ध की कमान संभाले हुए हैं।

भारतीय सेनाध्यक्ष—‘‘जनरल जयन्त चौधरी’’ एक वीर, अनुभवी और तपे हुए सेनानी हैं। विश्व के माने हुए छः टैंक युद्ध महारथियों में उनका विशेष स्थान है। द्वितीय महायुद्ध में जर्मन सेनापति रोमेल को हराने का जो श्रेय मित्र-राष्ट्र-सेनाध्यक्ष अकिनलेक को मिला था, वह वास्तव में हमारे जनरल चौधरी और चौथी भारतीय डिवीजन के जवानों की देन थी!

लीविया के मरुस्थल में जिस समय रोमेल ने अपने टैंक-आक्रमण से अमेरिकी तथा अंग्रेजी फौजों को दिन में तारे दिखला दिये थे और ऐसी स्थिति में ला दिया था कि उन्हें लीबिया या मोर्चा छोड़ कर भागना पड़े। उसी समय जनरल चौधरी ने अपनी चौथी भारतीय डिवीजन अड़ा कर मित्र-सेनाध्यक्ष आकिनलेक की लाज रखली! किन्तु उस विजय का श्रेय जनरल चौधरी को इसलिये न मिल सका था कि उस समय वे मित्र-सेनाध्यक्ष आकिनलेक की मातहती में लड़ रहे थे।

सन् 1941 नवम्बर मास में मित्र-सेनाध्यक्ष जनरल आकिनलेक ने लीबिया के सिदी उमर मरुस्थली में जर्मन सेनापति की अध्यक्षता में पन्द्रहवीं और इक्कीसवीं पेंजर डिवीजनों के विरुद्ध मोर्चा खोला। यह टैंकों का युद्ध था। इसी युद्ध में चौथी भारतीय डिवीजन के साथ जनरल ने आकिनलेक के नेतृत्व में भाग लिया था!

उसी समय दूरदर्शी जनरल चौधरी ने लीबिया के मरुस्थल की हड्डी गला देने वाली सर्दी और आत्मा हिला देने वाली रेगिस्तानी आंधियों के बीच जान हथेली पर रखकर टैंक युद्ध की बारीकियों का अध्ययन किया था और अपने में वे क्षमतायें उत्पन्न की थीं, जो भारत के विरुद्ध पाकिस्तानी युद्ध में काम आईं। उन्होंने जनरल अकिनलेक के एक निर्देश का पालन करते हुए अपनी सूझ-बूझ से अनेक अन्य दांव-पेचों को खोज निकाला। एक प्रतिरक्षा-कार्यवाही के क्रम में दूसरे आक्रमण की रूप-रेखा समझ लेने में तत्पर-जनरल चौधरी के साहस और प्रत्युत्पन्न बुद्धि ने उन्हें टैंक-युद्ध में इतना दक्ष बना दिया कि आज संसार में उनकी इस विशेषता का नक्कारा बज रहा है।

लीबिया का उद्धत-युद्ध एक निर्णायक युद्ध था और यदि उसमें मित्र सेनाओं की हार हो जाती तो हिटलरशाही के नीचे दबे योरोप का और ही रूप होता! और सम्भव था कि आज न तो ब्रिटिश अपनी कूटनीति चलाने योग्य रहता और न अमेरिका अपने पाकिस्तान जैसे पिट्ठुओं को करोड़ों रुपये के अस्त्र-शस्त्र देकर शांति-प्रिय भारतीयों के विरुद्ध खड़ा कर सकता।

जनरल रोमेल ने लीबिया पर पूर्ण अधिकार करके उसे मिश्र से अलग करने के लिये दस गज चौड़ी, कांटेदार तारों की एक बाड़ लगवादी थी। और इस विश्वास के साथ निश्चिन्तता की सौर तान ली थी कि लीविया की प्राण-लेवा ठण्डी हवाओं में कौन ऐसा माई का लाल है, जो इन लोह-कंटकों को पार करके इसकी ओर रुख करेगा!

युद्ध का वातावरण और निश्चिंतता से जर्मन सेनापति रोमेल धोखा खा गया। उसके विजय-विलास ने लीविया की कष्टकर परिस्थितियों को अधिक आंका और यह भूल गया कि जब तक शत्रु का शव तक सड़कर मिट्टी न हो जाये, तब तक उससे पूर्ण सतर्क रहते हुए सन्नद्ध रहने की आवश्यकता है।

10 नवम्बर, 1941 की प्रलयंकारी रात को जब कि लीबिया का रेगिस्तानी तापमान गौरीशंकर के तापमान को मात दे रहा था और उसकी हिम-हवायें मौत के तीरों की तरह शरीर चीर रही थीं, मित्र-सेना के शिल्पी अपने को मोटे-मोटे लवादों में छिपाये और बड़े-बड़े औजार लिये मिश्र और लीविया की विभाजन बाड़ पर आ पहुंचे और लगे काटने उन कटीले लौह तारों को जिनमें जर्मन जनरल रोमेल की विश्वासपूर्ण बुद्धिमत्ता विजय के नशे में लिपटी सो रही थी!

हाथ ऐंठ रहे थे, प्राण ठिठुर रहे थे और औजार असह्य आग की तरह ठण्डे हो रहे थे, पर साहसी इंजीनियर आत्मा की शक्ति लगाकर अपना काम कर रहे थे! उन्हें अपने जीवन से अधिक अपने उस शत्रु का जीवन अखर रहा था, जो उस बाड़ के आगे लीबिया में चैन से सो रहा था। उन्हें दुश्मन के वे जुल्म अधिकाधिक क्रियाशील बना रहे थे, जो अकारण ही उन पर ढाये गये थे। उन्हें आततायी का अहंकार गर्म कर रहा था और राष्ट्र-रक्षा की भावनाएं शरीर में बिजली भर रही थीं।

तीन बार की असफलता के बाद धुन के धनी इंजीनियरों ने वह कटीली बाड़ बीस जगह से काट गिराईं। मित्र-सेनाओं के टैंक-दस्तों, बख्तरबन्द गाड़ियों और मोटरों का दल तोपों के साथ लीविया में धंस गया।

इस अभियान में चौथी भारतीय डिवीजन के जवान और उनके नायक—जनरल चौधरी सबसे आगे थे। वे इस रेगिस्तानी युद्ध से पहले शीतकाल में सहारा मरुस्थल की सर्दी को अपनी दृढ़ व्रती प्रवृत्ति से परास्त कर चुके थे और बर्फीली आंधियों को सहन करने के अभ्यास सिद्ध कर चुके थे। इन भारतीय वीर-व्रतियों ने लीविया की सर्दी को तनिक भी महत्व न दिया और ठण्डे देशों के जवानों पर अपनी सहन-शक्ति का सिक्का जमा दिया।

कई दिन लगातार रेतीली यात्रा पार करके मित्र-सेनाओं ने लीविया में सिदी उमर के मैदान पर मोर्चा जमा दिया और जर्मन सेनापति रोमेल के आक्रमण की प्रतीक्षा करने लगीं।

दूर समुद्र तट पर अपने शिविर में पड़े रोमेल को आक्रमण की सूचना मिली और वह अपनी टैंक डिवीजन लेकर पूर्व की ओर से बढ़ चला। तोपें दागता, गोले बरसाता और आग उगलता हुआ रोमेल निश्चित मृत्यु की तरह बढ़ा आ रहा था ब्रिटिश सेनाएं अपनी रक्षा का उपक्रम कर रही थीं।

देखते ही देखते रोमेल ने मैदान पकड़ लिया और डेढ़ हजार गज की दूरी से अपनी पचास मिली-मीटर वाली तोपों से वार करना शुरू कर दिया। टैंक टूटने लगे और जवान मर-मर कर गिरने लगे और अमरीकी लड़ाकों की हिम्मत पस्त करदी गई।

दूसरे दिन के युद्ध में भी रोमेल विजयी हुआ और ऐसा लगने लगा कि अपने साज सामान के साथ सारी मित्र-सेना लीविया के रेगिस्तान में दफन हो जायेगी। किन्तु भारत के वीर जवानों और जनरल चौधरी ने हिम्मत न हारी। वे एक संगठित अनुशासन में होकर बढ़े और तीसरे दिन के घमासान युद्ध में रोमेल के छक्के छुड़ा दिये! रोमेल भाग गया और मैदान मित्र-सेनाओं के हाथ रहा।

लीविया की पराजय को विजय में बदल देने वाले इन्हीं जनरल जयन्त ने पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध की कमान संभाली और तब जिस कौशल से जर्मन के अभैद्य टैंकों की मिट्टी बनाई थी, उसी कौशल से भारत भूमि पर चढ़कर आये अमेरिका के पैटन टैंकों को टुकड़े-टुकड़े करके फेंक दिया।

भारत की स्वतन्त्रता के शत्रुओं को इस युद्ध से शिक्षा लेनी चाहिए और इन अहिंसावादियों को ठीक-ठीक समझ कर अपनी भ्रांत धारणा में संशोधन करके भारत को इस बात का अवसर देना चाहिए कि वह अपनी मौलिक प्रवृत्तियों का लाभ संसार को दे सके उसकी सेवा कर सके और विश्व में एक स्थायी सुख-शांति की परिस्थिति ला सके। अन्यथा जिस प्रकार वह आज तक रण लिप्सुओं का मुंह तोड़ता रहा है, आगे भी तोड़ता रहेगा।

First 37 39 Last


Other Version of this book



बुद्धि, कर्म व साहस की धनी प्रतिभायें
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • बुद्धि, बल व साहस के धनी—महाराणा राजसिंह
  • लुटेरे गजनवी का मान-मर्दन करने वाले—राजा संग्राम राज
  • स्वातन्त्र्य सेनानी—नाना साहब पेशवा
  • सन् 57 की क्रान्ति के सर्वोच्च सेनापति—तात्याटोपे
  • कांग्रेस के जन्मदारा—सर ऐलेन ह्यूम
  • आदर्शों के लिए अड़े रहने वाले—ब्रुंडेज
  • कर्मयोगी हचिसन
  • एक अपराजेय देश-भक्त—खान अब्दुल गफ्फार खां
  • बंगला राष्ट्र के निर्माता—शेख मुजीबुर्रहमान
  • क्रांतिदूत—श्री0 रामप्रसाद ‘विस्मिल’
  • नीचे से ऊपर बढ़ने वाले श्री ए.जी. वेल्स
  • डा0 राममनोहर लोहिया—जिनकी नस-नस में क्रांति भरी थी
  • स्वदेश और समाज के उद्धारकर्ता—डॉ० सनयातसेन
  • गायकों के नायक—युग-गायक बंकिम चन्द्र
  • राष्ट्र के लिये सर्वतोभावेन समर्पित पोहलू राम
  • संग्राम के अमर सैनिक—अहिंसक-फुलेना प्रसाद
  • सच्चे देश-भक्त—श्री वदरुद्दीन तैयवजी
  • निर्भीक जन सेवक—श्री हीरालाल शास्त्री *******
  • अमरीका का आदर्श राष्ट्रीय अध्यापक-दल
  • नई पौध के कुशल बागवा—दादा साहब लाड
  • क्रान्तिकारी जीवन के मार्गदर्शक—सोहनसिंह
  • आशावादी—डंगन
  • देश भक्तों के निर्माता—वारीन्द्र कुमार घोष
  • महान बलिदानी—भाई मतिदास
  • प्रसिद्ध क्रान्तिकारी—कन्हाई लाल दत्त
  • श्री कान्त अनन्त राव आपटे—एक सच्चे भारतीय
  • सफलता संकल्पवानों को मिलती है
  • जड़ जगत में आदर्शवादिता का खेजी—जानसन
  • न्याय के लिए संघर्ष
  • उद्देश्य के लिये संसार भर की खाक छानने वाले—सरदार अजीतसिंह
  • पचास का काम अकेले करने वाले—बिनोद कानून गो
  • दो हजार कुश्तियां लड़ने वाला—किंग कांग
  • असमय बुझी दोष ग्रस्त-प्रतिभा पैरासेलसस
  • मातृभूमि के बलिदानी सोहनलाल पाठक
  • सतहत्तर साल के नौजवान—दाताराम
  • फिर न मिलेगा अवसर ऐसा
  • टैंक—युद्ध के अनुभवी विजेता—जनरल चौधरी
  • श्रम, सम्पदा व सद्भावना का धनी—हेनरी फोर्ड
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj