आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का भाटापारा प्रवास: 108 कुंडिया महायज्ञ में धर्म-ध्वजारोहण एवं दिव्य प्रेरणा का उद्बोधन
छत्तीसगढ़ के चार दिवसीय प्रवास के द्वितीय दिवस के अगले चरण में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी कबीर पंथ की आध्यात्मिक विरासत एवं स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक धरती भाटापारा पहुँचे।
जहां 108 कुंडिया यज्ञ के कार्यक्रम के आगमन पर भाटापारा गायत्री शक्तिपीठ में भावपूर्ण स्वागत हुआ। शक्तिपीठ पर गायत्री मंदिर में दर्शन के पश्चात् महादेव भगवान पर जलार्पण किया, उसके पश्चात् डॉ साहब सीधे यज्ञ स्थल कार्यक्रम में पहुंचे जहां पर उन्होंने धर्म-ध्वजारोहण कर सजल श्रद्धा–प्रखर प्रज्ञा को नमन करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की।
इसके बाद मंच पर पहुंच कर दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत कर अपने उद्बोधन के साथ में अपनी प्रेरणादायी सहभागिता दी, अपने उद्बोधन में परम पूज्य गुरुदेव एवं परम वंदनीय माताजी के विचारों को साझा करते हुए उनको कहा :
“इस महायज्ञ में हम सभी मानव में देवत्व के उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण के पावन संकल्प के साथ एकत्रित हुए हैं। मनुष्य भगवान का ही अंश है—बस समझने की देर है। जिसने भी इस सत्य को आत्मसात कर लिया, वह साधारण मानव से महामानव बन गया।”
उन्होंने आगे कहा—
“जीवन स्वयं देवत्व का स्वरूप है; आवश्यकता केवल उसे सँवारने, निखारने और जागृत करने की है। यह संवेदनशीलता, यह दिव्यता—यज्ञीय विधान, देवपूजन और सामूहिक साधना के माध्यम से भीतर प्रकट होती है।”
इस महायज्ञ कार्यक्रम के अंत में वहां उपस्थित वशिष्ठगण, गणमान्य अतिथियों एवं सभी वरिष्ठ परिजनों को गायत्री मंत्र दुप्पटा भेंट एवं गुरुदेव का साहित्य प्रदान कर सम्मानित किया।
