108 कुण्डीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ में आगमन एवं प्रेरक उद्बोधन
दो दिवसीय राजस्थान प्रवास के दूसरे चरण में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी 27 दिसंबर को नीमकाथाना में 108 कुण्डीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ में पहुंचे और इस पावन अवसर पर उन्होंने उपस्थित सभी श्रद्धालुओं पूज्य गुरुदेव का संदेश दिया।
अपने उद्बोधन में डॉ. पंड्या जी ने कहा कि यज्ञ केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का प्रभावशाली माध्यम है। उन्होंने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव ने सदैव हमें यह शिक्षा दी है कि यज्ञ के माध्यम से न केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास होता है, बल्कि समाज में सामूहिक चेतना और सेवा भाव का संवर्धन भी होता है।
उन्होंने कहा कि जो अवसर को पहचानते हैं उन्हीं के जीवन में सौभाग्य का सूर्योदय होता है। परम पूज्य गुरुदेव और परम वंदनीया माता जी से जुड़ने के बाद ही सही मायने में हमारा जीवन प्रारंभ हुआ है।
डॉ. पंड्या जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे पूरी श्रद्धा, भक्ति और समर्पण के साथ इस महायज्ञ में भाग लें, और शताब्दी वर्ष में गुरुदेव माताजी के आदर्शों के अनुरूप अपने जीवन में आध्यात्मिक जागृति, निष्ठा और सेवा भाव को अपनाएँ। उनके प्रेरक शब्दों ने सभी श्रद्धालुओं के हृदय को आलोकित किया और उन्हें जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और आत्मिक सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरित किया।
