
इतना शिष्टाचार तो सीख ही लीजिए
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
(श्री कन्हैया लाल मिश्र ‘प्रभाकर’)
मैजनी ने अपनी पुस्तक ‘स्वतन्त्रता के सिद्धान्त’ में कहा है कि गुलाम देश में दोषों की खेती होती है। पिछली शताब्दियों की गुलामी में हमारे देश में भी बहुत दोष पैदा हो गये हैं और आदत बनकर हमारे स्वभाव में समा गये हैं।
स्वतंत्रता के इस प्रभात में देश के हर एक नागरिक को प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि वह कठोर परिश्रम करके दृढ़ संकल्प के द्वारा अपने जीवन से सब दोषों को शीघ्र ही दूर कर देगा क्योंकि इन दोषों का त्याग किये बिना हम गर्व के साथ यह कह नहीं सकते कि हम एक स्वतंत्र देश के नागरिक हैं। इन दोषों के रहते तो हमारी स्वतंत्रता ऐसी ही है जैसे किसी भिखारी को यह गर्व करना कि उसके पास धन है।
1. आम वगैरह फल खाकर केला खाकर छिलका ऐसी जगह डालिये कि उस पर किसी का पैर पड़ने का डर न हो।
2. बातचीत में भूलकर गाली का प्रयोग न कीजिए।
3. रेल सिनेमा वगैरह में टिकट इस तरह खरीदिये कि दूसरों को कष्ट न लगे।
4. तम्बाकू किसी भी सूरत में न पीजिए। यह मुमकिन न हो तो बहुत कम पीजिए और इस तरह पीजिए कि न पीने वाले साथियों खासकर स्त्रियों के ऊपर उसका धुंआ हरगिज न जाये।
5. कमरे के कोनों, पार्क के घास-बिछौनों (लॉन्ज) धर्मशाला के आँगनों, प्लेटफार्म और साफ रास्तों पर पान की पीक न थूकिये।
6. रेल के डिब्बों, कारखानों, धर्मशाला-होटलों के कमरों, गली की दीवारों और इसी तरह की दूसरी जगहों पर कभी कुछ न लिखिये।
7. रेल या मोटर की यात्रा में दूसरे मुसाफिरों को चढ़ने बैठने और उतरने में जितनी मदद कर सकें, अवश्य कीजिए।
8. दूसरों से जेवर, कपड़े, पुस्तकें, छाता फाउन्टेन पेन, घड़ी वगैरह न माँगिये। बहुत ही मजबूरी हो तो काम होते ही फौरन सुरक्षित लौटाये बिना और कार्य न कीजिए। माँगी हुई चीज किसी दूसरे के माँगने पर हरगिज न दीजिये।
9. किसी के घर पहुँचने या किसी से अपने घर मिलने वगैरह के अपने किसी भी वायदे को पूरा करने में जरा भी ढील न कीजिए। बहुत ही मजबूरी हो, तो उसकी सूचना समय पर दीजिए। वायदे को सदा अपने चरित्र की कसौटी समझिए।
10. अपने घर के चूहे आँख बचाकर दूसरे के घर में न छोड़िये।
11. बातचीत में मीठे रहिए, कड़वी बात हरगिज न करिए और फालतू बातें न कीजिए।
12. पार्क, नदी-घाट या किसी ऐसी ही दूसरी जगह पर चाट खाइए तो पत्ते दूर फेंकना न भूलिए।
13. झाडू लगाने के बाद घर का कूड़ा सड़क पर कभी मत फेंकिए।
14 कमरों में घुसते या निकलते समय किवाड़ों को धीरे से खोलिए, ओढ़काइए और धमाका न मचाइए।
15. संकट की सम्भावना होते ही घबरा न जाइए। धीरज के साथ परिस्थिति को समझिए और संकट आ ही पड़े, तो उसे शान्ति से सहिए और मोर्चा लीजिए।
16. अपने घर को सदैव साफ रखिए और सामान को तरतीब में संजोकर।
17. अपने कपड़े साफ रखिए और हजामत (नाखून सहित) बनी हुई।
18. किसी की प्राइवेट बातें जानने की कोशिश न कीजिए, जान ही जायें तो उन्हें दूसरे से मत कहिए।
19. इधर की बात उधर मत लगाइये। दूसरों के बारे में बातें करते समय अनुभव कीजिए कि वे सुन रहे हैं। जो बात आप किसी के मुँह पर नहीं कर सकते, उसे पीठ पीछे भी मत कहिए।
20. हरेक साथी में कुछ गुण होते हैं, कुछ दोष। आप गुण देखिए और दोषों को नजरअन्दाज कीजिये।
21. जलसों और सभाओं में स्वयं चुप रहिये और दूसरों से चुप रहने के लिये मुँह से कभी न कहिये।
22. सभाओं, सिनेमा और खेल से लौटते समय भगदड़ न मचाइये। नम्बर पर शान्ति से चलिए और स्त्रियों-बच्चों का खास ध्यान रखिये।
23. रेल में तब तक न चढ़िये, जब तक उतरने वाले नीचे न उतर लें।
24. चौराहों और बाजारों में खेल दिखाकर दवा बेचने वालों के लैक्चर कभी न सुनिये।
25. पत्रों का जवाब देने में कभी देरी न कीजिए।
26. खेल, तमाशे, यात्रा या जलसे-जुलूसों में किसी को चोट आवे, तो उसे घेरकर खड़े न होइये। कुछ सेवा कर सकते हो, तो कीजिए, नहीं तो दूसरों को जाने दीजिए।
27. किसी के द्वारा किसी का पता पूछने पर यदि आप जानते हों, तो समझाकर बताइये, जिससे उसे सुविधा हो। न जानते हों, तो इन्कार कर दीजिये, पर गोलमोल या रूखा जवाब न दीजिये।
28 किसी के घर आप जायें, तो मेज, कुर्सियाँ या किसी दूसरे आधार पर रखी चीजों को न छूइये। उठाकर देखना ही पड़े, तो पूरी सावधानी से उसे उसी जगह रख दीजिए।
29. न खरगोश की तरह दौड़िये, न कछुए की तरह रेंगिये, अपने काम की गति में एक बेलेंस रखिए।
30. अपने साथ कभी अन्याय न सहिए। उसे रोक न सकते हो, तो भी उसका प्रतिरोध कीजिए।
31. आप जागते हो और पास में कोई दूसरा सो रहा हो, तो अपना हर काम धीरे से कीजिए कि उसकी नींद न उचटे।
32. वर्जित स्थानों पर पाखाना, पेशाब न कीजिए और उचित स्थानों पर भी सफाई के साथ कीजिए।
33. जो बर्ताव आप अपने साथ दूसरों से नहीं चाहते, वह स्वयं भी दूसरों के साथ न कीजिए।