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Magazine - Year 1958 - Version 2

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गायत्री-परिवार समाचार

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तपोभूमि में नित्य नैमित्तिक साधनाएं नियमित रूप में चलती रहती हैं। अखण्ड अग्नि पर नित्य गायत्री यज्ञ होता रहता है। प्रधान यज्ञशाला अब नये सिरे से बहुत ही सुन्दर बनाई है। उसके फर्श पर संगमरमर जड़ा लाना शेष है। जब तक यह प्रधान यज्ञशाला बनकर पूर्ण न हो जायगी तब तक छोटी दाहिनी यज्ञशाला में दैनिक हवन चलता रहेगा।

गायत्री यज्ञ के साथ वेद पारायण यज्ञ भी नियमित रूप से चलता है। एक वर्ष में चारों वेदों के प्रत्येक मन्त्र की आहुतियाँ पूर्ण की जाती हैं। इस वेद पारायण यज्ञ की पूर्णाहुति जेठ सुदी 10 गायत्री जयन्ती पर रहा करेगी। चारों वेदों का पारायण नियमित रूप से होते रहने की परम्परा अब नष्ट हो चुकी है, तपोभूमि में उसे पुनः जीवित किया गया है।

महायज्ञ की तैयारियाँ तत्परतापूर्वक जारी हैं। भोजन, ठहरने का तम्बू, यज्ञशाला निर्माण, प्रवचन यातायात, जल, रोशनी, हवन-सामग्री तैयार करना,पत्र व्यवहार आदि विभिन्न कार्यों की जिम्मेदारियाँ परिवार के कर्मठ कार्यकर्त्ताओं को सौंप दी गई हैं। सभी अपने-अपने कार्यों को सफल बनाने में जी−जान से जुटे हुए हैं। कार्य बहुत भारी है, सामर्थ्य स्वल्प है, फिर भी निराश या परेशान न होकर शक्ति भर प्रयत्न किया जा रहा है।

इस बार दो श्रावण मास हैं। यों तो अधिक मास सदा हो पुण्य फल दायक होते हैं पर श्रावण का पुण्य फल सबसे अधिक माना गया है। देशभर के सभी धर्म प्रेमियों से प्रार्थना की गई है कि वे इस मास अपनी दैनिक साधना के अतिरिक्त कुछ अधिक साधना करें। 24 हजार का एक लघु अनुष्ठान तो बहुत आसानी से किया जा सकता है। इस मास छोटे-छोटे सामूहिक यज्ञ हर जगह किए जाने चाहिए।

गायत्री ज्ञान मंदिरों की स्थापना हर गायत्री उपासक के घर में इस श्रावण मास में हो जाय ऐसा प्रयत्न करना चाहिए। एक सुन्दर चौकी पर गायत्री माता का सुसज्जित चित्र स्थापित करके वहाँ दैनिक उपासना का नियमित क्रम चालू कर दिया जाय। ज्ञान मन्दिर की 52 पुस्तकों का 14) वाला सैट मँगाकर गायत्री पुस्तकालय स्थापित कर लेना चाहिए, वे पुस्तकें 10 व्यक्तियों को पढ़ाकर ‘उपाध्याय’ पद का सम्मान महायज्ञ के समय प्राप्त करने की हर उपासक को तैयारी करनी चाहिए। जिन्हें ज्ञान मन्दिर सैट मँगाने में असुविधा है वहाँ कई साधक मिलकर एक सैट मंगाएं। इस श्रावण मास में अधिकाधिक गायत्री ज्ञान मन्दिर स्थापित हों, इसका पूरा प्रयत्न करना चाहिए।

गायत्री परिवार की शाखाओं में अब तक केवल एक मन्त्री ही चुना जाता था पर अब यह निश्चय किया गया है कि प्रत्येक शाखा में 4 पदाधिकारी हों, (1) प्रधान, (2) उपप्रधान, (3) मन्त्री, (4) उपमन्त्री, (5) कोषाध्यक्ष, (6) निरीक्षक। प्रत्येक शाखा को चाहिए कि इसी मास सदस्यों की मीटिंग बुलाकर उपरोक्त 6 पदाधिकारी चुन लें और उस चुनाव की सूचना मथुरा भेज दें। अगले मास की गायत्री-परिवार-पत्रिका में चुने हुए पदाधिकारियों के नाम छापे जावेंगे।

निष्क्रिय शाखाएं इस मास के अन्त में तोड़ दी जायेंगी। (1) जो शाखाएं नियमित रूप से अपने कार्यों की मासिक रिपोर्ट नहीं भेजतीं। (2) जिनके यहाँ ब्रह्मास्त्र अनुष्ठान में भाग लेने के लिए कोई होता, यजमान या संरक्षक तैयार नहीं हुए। (3) जिनके यहाँ न ये अखण्ड-ज्योति मँगाई जाती है न गायत्री-परिवार-पत्रिका। इनके बिना उन तक संस्था के विचार या सन्देश पहुँचने का सम्बन्ध सूत्र ही नहीं जुड़ पाता, वे शाखाएं निष्क्रिय मानकर खारिज कर दी जावेंगी। भविष्य में उन स्थानों पर शाखाएं न बनाई जायं जहाँ उपरोक्त तीन कार्य होने की सम्भावना न हो।

कितनी ही जगह से पत्र आये हैं कि मथुरा के कुछ ‘धर्म-व्यवसायी’ जगह-जगह गायत्री यज्ञ के लिए चन्दा माँगते या अनाज इकट्ठा करते हैं। आचार्यजी के हस्ताक्षरों की जाली चिट्ठी बना लेते हैं कि उन्हें तपोभूमि से इस कार्य के लिए भेजा गया है। जहाँ उनकी दाल गल जाती है वहाँ से इस प्रकार धन संग्रह करके नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। जहाँ इनकी घात नहीं लगती वहाँ ये यज्ञ की और तपोभूमि की निन्दा करते हैं और लोगों को यज्ञ में न आने की बात कहते हैं। इस प्रकार वहाँ अपना दूसरा रूप बना लेते हैं। जनता इन बहरूपियों से सावधान रहे। मथुरा से कोई व्यक्ति कहीं भी चन्दा इकट्ठा करने नहीं भेजा गया है।

गायत्री-परिवार की लगभग 2 हजार शाखाएं अपने-अपने क्षेत्र में ब्रह्मास्त्र अनुष्ठान की साधना तथा साँस्कृतिक पुनरुत्थान योजना के विभिन्न कार्यक्रमों में बड़ी तत्परतापूर्वक संलग्न है। इस उत्साह को देखकर यह निश्चय दिन-दिन दृढ़ होता चला जा रहा है कि नैतिक, चारित्रिक, आत्मिक, धार्मिक, साँस्कृतिक एवं सामाजिक पुनरुत्थान के युग परिवर्तनकारी संकल्प को पूरा करने में यह संगठन महत्वपूर्ण योग दे सकेगा।

गायत्री परिवार के द्वारा जो महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं उनके समाचार अब अखण्ड-ज्योति में न छपकर गायत्री-परिवार-पत्रिका में छपते हैं। शाखाओं सम्बन्धी आदेश, संदेश एवं ज्ञातव्य अब उसी पत्रिका में छपते हैं। पत्रिका के अप्रैल मई, जून, जुलाई के 4 अंक निकल चुके। प्रत्येक गायत्री परिवार शाखा को इसे माँगना अनिवार्य रखा गया है। जिन शाखाओं ने अभी तक अपना चन्दा न भेजा हो वे 2) रुपये तुरन्त भेज दें।

गायत्री-परिवार-पत्रिका के गत 4 अंकों में ब्रह्मास्त्र अनुष्ठान एवं गायत्री संस्था के आगामी कार्य-क्रमों के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण लेख छपे हैं। अखण्ड ज्योति के पाठकों के ऐसे अनेक पत्र आए हैं कि वे उन लेखों के पढ़ने से वंचित रह गए। इसलिए अगले अंक में पत्रिका के आवश्यक लेखों को अखण्ड-ज्योति में छाप रहे हैं। अगला अंक एक प्रकार से ‘गायत्री महायज्ञ अंक’ ही होगा।

अगले वर्ष सारे भारतवर्ष में 23 हजार कुण्डों के सहस्रों यज्ञ होंगे। उनका आयोजन एवं प्रबन्ध करने के लिए, आवश्यक शिक्षा देने के लिए तपोभूमि में एक शिक्षण शिविर अश्विन सुदी 1 से लेकर कार्तिक सुदी 15 तक डेढ़ महीने का होगा। बौद्धिक, लेख-बद्ध एवं प्रवचनात्मक ही नहीं, इतने बड़े यज्ञ आयोजन में सक्रिय कार्य करने की व्यवहारिक शिक्षा भी मिलेगी। जिन्हें धर्म सेवा के लिए उत्साह हो उन्हें इस शिक्षण शिविर में सम्मिलित होना चाहिए। पूर्ण अनुशासन में रह सकने वाले, स्वस्थ, श्रमदान से न डरने वाले, सफाई पसन्द, सेवा भावी और निर्व्यसनी छात्र ही आवें। जिनके साथ छोटे बच्चे नहीं वे महिलाएं भी इस शिविर में सम्मिलित हो सकेंगी। शिविर में आने वालों के लिए भोजन व्यवस्था तपोभूमि में रहेगी। किराया-भाड़ा स्वयं अपना खर्च करना होगा। महायज्ञ में शारीरिक सेवा का भारी पुण्य लाभ तो इन शिक्षार्थियों-स्वयं सेवकों-को सहज ही मिल जायगा।

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