Magazine - Year 1965 - Version 2
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Language: HINDI
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जन-जन में उत्साह (Kavita)
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आओ, हथकड़ियों से ये शिर फोड़-फाड़ उर जाग्रत कर दो,
जन-जन में उत्साह, अतुल बल पौरुष शौर्य धीरता धर दो,
टीका कर मस्तक पर वरदे। वर दो, भर दो बल कर-कर में,
गूँज उठे फिर देखो जयध्वनि भू-मंडल जल-थल अम्बर में
कहने को रह जाय जगत में नहीं हमारी व्यथा कहानी,
“कहने को मुँह नहीं हमारे, भला कहें क्या करुण कहानी।”
-सुधीन्द्र