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Magazine - Year 1987 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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भक्त भाव विभोर होकर (Kahani)

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First 3 5 Last
एक भक्त भाव विभोर होकर प्रार्थना कर रहा था-मेरे प्रभु द्वारा खोलो ताकि मैं तुम तक पहुँच सकूँ।

उधर से निकलने वाले दूसरे सन्त ने कहा-जरा गहरे उतर कर देखो तो ईश्वर का द्वार क्या कभी किसी के लिए बन्द रहा है।

First 3 5 Last


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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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