
अमीनिया के सर्वोच्च सेनापति (kahani)
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एक गाँव में एक किसान रहा करता था। सब लोग उसकी नेकी की तारीफ करते थे। उसके पास एक सुन्दर और चलने में तेज घोड़ा था जिसे देख डाकू उस पर मुग्ध हो गया। मुसाफिर का वेश बनाकर किसान के घर पहुँचा। किसान ने उसकी बड़ी खातिर की। घर से विदा होते समय लौट आने का आश्वासन देकर घोड़ा लेकर डाकू चला गया। किसान ने भी आशा बिलकुल छोड़ दी।
अचानक वही डाकू किसान को पास के गाँव में मिल गया। डाकू भागने की कोशिश करने लगा किन्तु किसान की पकड़ में आ गया। किसान प्रेम से बोल पड़ा, देखो घोड़ा तो तुम ले गये मगर एक नसीहत सुनो। तुम भूल से भी किसी से इस बात का जिक्र न करना, वरना जो कोई भी इस बात को सुनेगा उसी के दिल से हमदर्दी जाती रहेगी।
डाकू पर किसान की अच्छी नसीहत का बड़ा असर हुआ। अगले दिन डाकू-घोड़ा बाँधकर पैरों में गिर पड़ा और माफी माँगने लगा। डाकू ईमानदारी का जीवन बिताने लगा।
अमीनिया के सर्वोच्च सेनापति सीरोनग्रिथ का व्यक्तित्व उनकी माता ने बनाया। विधवा नार्विन ग्रीड कपड़े सीकर किसी तरह अपने बच्चों को पेट पालती थी। बड़े बेटे ग्रिथ ने अपनी मर्जी से गरीबी के कारण स्कूल में फीस माफ कराने की अर्जी दे दी। जो परिस्थिति से पूर्णतः जानकार अध्यापक की सिफारिश पर मंजूर भी हो गई।
ग्रिथ की माता को जब यह पता चला ता, उन्होंने उस सुविधा को अस्वीकार कर दिया। उनने लिखा हम लोग मेहनत करके गुजारा करते हैं तो फीस नहीं दे सकेंगे। गरीबी में अपनी गणना कराना हमें मंजूर नहीं, हमारा स्वाभिमान से इन परिस्थितियों से भी जूझ लेंगे।
संगठन का चमत्कार हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। वह भले लोगों द्वारा श्रेष्ठ कामों में तो सफल होता ही है, किन्तु कई बार उसके सहारे दुष्ट दुरात्मा भी सफल होते और अपनी धाक जमाते देखे गये है।
चम्बल क्षेत्र का भिण्ड −मुरैना डिवीजन एक प्रकार से डाकुओं की खदान समझा जाता है। सरकारी रोकथाम के प्रयत्नों को वे प्रायः सफल नहीं होने देते।
इटली का इटली का सिलियन ग्रुप इस संबंध में विश्वविख्यात है।उस गिरोह में सौ से अधिक व्यक्ति नहीं है, पर अपराधों में धन कमाने में वह असाधारण रूप से सफल हुआ है।
इटली के बाद वह ग्रुप अमेरिका जा पहुँचा और सारे धनी क्षेत्र को उसने अपने संगठित विभागों में बाँट रखा है। इसको समाप्त करने में अमेरिका का गुप्तचर विभाग और पुलिस उतनी सफल नहीं हो पाती जितनी कि होनी चाहिये। कारण कि जितने पकड़े जाते हैं उससे ज्यादा उस संगठन में नये दस्यु सम्मिलित हो जाते हैं। उनका कारोबार इसलिये नहीं बंद हो पता कि उसके सदस्यों में संगठन−अनुशासन का निर्वाह पूरी तरह होता है।
माफिया गिरोह संसार भार में कुख्यात है। इस शब्द से सभी आतंकित होते हैं। इस सफलता को दुष्टता की विजय नहीं, वरन् संगठन की महत्ता कह सकते हैं। यदि सज्जनों और सुधारकों ने संगठन का महत्व समझा और उसे सच्चे मन से अपनाया होता वे भी अपने लक्ष्य में सफल होकर रहते।