
किनका स्नान कराएँ?
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
बेटे! फिर एक काम कर, तेरे मुँह में यह जो सफेद-सफेद भाग दिखाई दे रहा है, यह क्या है? ये हड्डियाँ हैं। अरे राम-राम! हड्डी से गायत्री मंत्र? अरे बेटे! यह तो रुद्राक्ष से जपा जाता है, हड्डी से नहीं। इन्हें उखाड़ दे। डॉक्टर के पास जाना और यह कहना कि साहब हमारे दाँत उखाड़ दीजिए। फिर क्या कहूँ? फिर कहना कि साहब! इसकी जगह प्लास्टिक के दाँत लगा दीजिए। नीचे से ऊपर तक प्लास्टिक के दाँत लगवा ले। और जीभ को? जीभ के लिए कोई ऐसा उपाय कर कि यह जीभ तो खराब है। इससे तो जप नहीं हो सकता, गायत्री माता अशुद्ध हो जाएँगी। महाराज जी! फिर किसकी जीभ लाऊँ? प्लास्टिक की। अच्छा गुरुजी! प्लास्टिक की जीभ और दाँत लगा लूँगा, तो फिर मैं मंत्र कैसे बोलूँगा? देख ले बेटे! यह तेरी मरजी की बात है। स्नान करना चाहता हो तो इससे कम में नहीं हो सकता। चमड़ी के स्नान से कुछ काम बन सकता है? नहीं। वास्तव में स्नान उनको कराना चाहिए जो गंदे हैं। शरीर तो गंदा है ही, यह शुरू से आखिर तक गंदा है। यह तो बाहर-बाहर ही अच्छा दीखता है। बगल में सूँघिए। अरे महाराज! इससे बड़ी बदबू आती है। बेटे! यह बदबू का घर तो है ही। इसको स्नान कराने से कुछ काम बन सकता है? हाँ बेटे! इसको स्नान तो कराना चाहिए इसका खंडन मैं नहीं करता, पर मैं यह कहता हूँ कि जिनका स्नान कराना आवश्यक है, वे धाराएँ तीन हैं।