
शरीर का मूल्यांकन आध्यात्मिक आधार पर
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मित्रो! यह जो हमारा शरीर है, इसका बाहरी चमड़ा अष्टावक्र के तरीके से है। अष्टावक्र का चमड़ा टूटा हुआ था। हमारा माँस से भरा हुआ है, गंदगी से भरा हुआ है, चमड़ी से भरा हुआ है और मल से भरा हुआ है। इस चमड़ी में है क्या? असल में इस चमड़े का जो अध्यात्म है, स्थूलशरीर का जो अध्यात्म है, उसका नाम है—कर्म। आप कुरूप हैं या खूबसूरत हैं, इसका निर्णय हम नहीं कर सकते। आपकी चमड़ी गोरी होने से या काली होने से कुछ नहीं होता। हमें निर्णय करने दीजिए कि आपके कर्म क्या हैं? कर्म की वजह से हम आपके स्थूलशरीर के बारे में यह फैसला करेंगे कि आपका स्तर क्या है? और आपकी वकत क्या है? आपकी औकात क्या है? स्थूल शरीर का वजन और वकत जो ली जाती है, वह उसके कर्मों के आधार पर ली जा सकती है। उसकी वकत को शकल के आधार पर नहीं, सूरत के आधार पर नहीं, जवानी के आधार पर नहीं और रंग रूप के आधार पर नहीं, बालों के आधार पर नहीं, किसी आधार पर नहीं आँका जा सकता। असल में अगर शरीर का मूल्यांकन करना है तो अध्यात्म के आधार पर करना है। स्थूलशरीर का मूल्यांकन कर्म के आधार पर किया जा सकता है। इसलिए कर्म की सफाई कीजिए।