युग प्रवर्तक पूज्य गुरुदेव की जयंती: संकल्प से सिद्धि की ओर, 'हम बदलेंगे, युग बदलेगा' के मार्ग पर अग्रसर!
पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का जन्म केवल एक महापुरुष की जीवन यात्रा का प्रारंभ नहीं, बल्कि वह क्षण था जब युग चेतना ने शरीर धारण कर युग परिवर्तन की नींव रखी।
उनका जीवन एक यज्ञमय तपस्या था, जहाँ कलम साधना बनी, विचार शस्त्र बने और शब्दों ने युग निर्माण की मशाल जलाई।
उन्होंने कहा था: “मनुष्य स्वयं अपना मित्र और स्वयं अपना शत्रु है। यदि वह चाहे तो अपने को बदलकर भगवान के समकक्ष पहुंच सकता है।” गायत्री मंत्र, यज्ञ, स्वाध्याय और सेवा—इन चार स्तंभों पर खड़ा उनका चिंतन आज भी करोड़ों को अंधकार से उजाले, भ्रम से विवेक, और सीमाओं से समाधान की ओर ले जा रहा है।
उनकी जयंती केवल स्मृति नहीं, संकल्प का दिवस है। संकल्प कि हम भी उनके विचारों को जीवन में उतारेंगे, और
“हम बदलेंगे, युग बदलेगा” को केवल नारा नहीं, कर्म बनाएँगे।
पूज्य गुरुदेव की पावन जयंती पर कोटिशः नमन।
