राष्ट्रीय परिव्राजक गरिमा शिविर : प्रतिभा विकास और दायित्वबोध का जागरण
हरिद्वार। युगतीर्थ शांतिकुंज में चल रहे राष्ट्रीय परिव्राजक गरिमा शिविर का शुभारंभ 13 अक्टूबर को गरिमामय वातावरण में हुआ। अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय शिविर में देशभर से आए गायत्री शक्तिपीठों पर सक्रिय परिव्राजक भाई-बहिन भाग ले रहे हैं। शिविर का उद्देश्य परिव्राजकों के बौद्धिक, भावनात्मक व आध्यात्मिक विकास के साथ ही उन्हें युगद्रष्टा पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की जन्मशताब्दी वर्ष की प्रेरणाओं से जोड़ते हुए दायित्वबोध की भावना से ओतप्रोत करना है।
रामकृष्ण परमहंस सभागार में संपन्न उद्घाटन समारोह में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। उन्होंने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि, "परिव्राजक केवल प्रचारक नहीं, युग परिवर्तन के संवाहक हैं।" उन्होंने शिविरार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन को साधना, सेवा और विचार क्रांति के त्रिविध सूत्रों से सज्जित कर समाज को एक नई दिशा देने में अग्रसर हों।
इस अवसर पर शांतिकुंज व्यवस्थापक आदरणीय योगेन्द्र गिरी जी, वरिष्ठ कार्यकर्त्ता गण एवं विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि भी मंच पर उपस्थित रहे। सभी ने परिव्राजकों का पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र से स्वागत किया और उन्हें मार्गदर्शन प्रदान किया।
शिविर के अंतर्गत विविध सत्रों में संचार कला, संवाद दक्षता, मंच संचालन, विचार गोष्ठियाँ, तथा जीवन प्रबंधन जैसे विषयों पर कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं। साथ ही गायत्री साधना एवं युग निर्माण योजना से जुड़ी प्रयोगात्मक गतिविधियाँ भी शिविर का हिस्सा हैं।
शिविर का समापन 15 अक्टूबर को सामूहिक संकल्प के साथ किया जाएगा, जिसमें परिव्राजक अपने क्षेत्रों में नवचेतना और नवनिर्माण की दृष्टि से कार्य करने हेतु संकल्पबद्ध होंगे।
