शिमला में प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का प्रेरक उद्बोधन
अपने प्रवास के अगले चरण में देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी शिमला पधारे, जहाँ प्रांतीय कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के आरंभ में, आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा में प्रभावित लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की तथा उनके प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप एक मिनट का मौन रखवाया। इस भावपूर्ण क्षण ने समूचे वातावरण को करुणा और एकता के भाव से भर दिया।
इसके पश्चात् आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने “मनुष्य में देवत्व का उदय, धरती पर स्वर्ग का अवतरण” विषय पर अपना प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। उन्होंने पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के संदेश का उल्लेख करते हुए कहा—
“गुरुदेव ने हमें सिखाया है — सुख बाँटें, दुःख बाँटें, अपनी रोटी मिल-बाँटकर खाएँ। यही वह भावना है जो मनुष्य को देवत्व की ओर अग्रसर करती है और पृथ्वी को स्वर्ग बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है।”
आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने कहा कि आज के इस विकराल और वीभत्स समय में, जब भय और असुरक्षा की भावना मनुष्य के भीतर घर कर गई है, ऐसे समय में परम पूज्य गुरुदेव और परम वंदनीय माताजी ने आप सभी साधकों को आह्वान किया है कि अपने अंतःकरण के प्रकाश को जगाएँ और संसार में आशा, साहस एवं करुणा का संचार करें। उन्होंने कहा कि यह मनुष्य के सौभाग्य का समय है—एक ऐसा अवसर जब वह स्वयं में छिपे देवत्व को प्रकट कर सकता है।
अपने उद्बोधन के दौरान आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने ‘ज्योति कलश अभियान’ के विषय में भी जागरूकता उत्पन्न की तथा बताया कि यह अभियान प्रत्येक घर और प्रत्येक हृदय में दिव्यता की ज्योति प्रज्वलित करने का प्रतीक है। उन्होंने सभी परिजनों से आग्रह किया कि वे इस अभियान को उत्साह, श्रद्धा और एकता के साथ आगे बढ़ाएँ।
