108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ, भीमावरम (आंध्र प्रदेश) में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का प्रेरक संदेश — "गायत्री जीवन विद्या है, आत्म-जागरण का मंत्र है"
।। 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ ।।
।। भीमावरम, आंध्र प्रदेश ।।
“हे ऋत्विजो, होताओ आओ, मिलकर यजन करो” — इस भाव में समाज निर्माण का मूल निहित है। दक्षिण भारत की अपनी यात्रा के अगले क्रम में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी, प्रतिकुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय तथा प्रतिनिधि, अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार का 108 कुंडिया गायत्री महायज्ञ, भीमावरम, आंध्र प्रदेश में आगमन हुआ।
आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने उपस्थित भावनाशील जनसमुदाय को गायत्री की प्रेरणाओं को जीवन में उतारने की प्रेरणा देते हुए कहा कि गायत्री कामधेनु है, गायत्री अमृत है, गायत्री जीवन विद्या है।
साथ ही, उन्होंने गायत्री मंत्र की जीवन में अनिवार्यता बताते हुए कहा कि गायत्री मंत्र अंतर के जागरण का मंत्र है। यह सभी पापों का नाश करने वाला, पाप-नाशक मंत्र है। निर्मल हृदय से गायत्री मंत्र का जप करने से मानव जीवन पापमुक्त हो जाता है।
परिजन उनके प्रेरक संदेश से भाव-संकल्पित हुए और उन्होंने संकल्प लिया कि वे जीवन को साधनामय बनाकर इस युग निर्माण योजना के दिव्य आंदोलन को गति देंगे।
