251 कुण्डीय महायज्ञ के अंतर्गत दीपयज्ञ में आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी का आगमन एवं प्रेरणादायी उद्बोधन
प्रवास के अगले चरण की ओर अग्रसर होते हुए देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी का बाराबंकी आगमन हुआ, जहाँ 251 कुण्डीय महायज्ञ के अंतर्गत दीप महायज्ञ का आयोजन समग्र क्षेत्र में आध्यात्मिक उत्सव का वातावरण निर्मित कर रहा था। मंच पर जाने से पहले आदरणीय डॉ साहब ने संपूर्ण कार्यक्रम प्रांगण का भ्रमण किया इस तहत साहित्य स्टाल एवं भोजनालय का निरीक्षण करते हुए सभी गायत्री परिजनों से मुलाकात की।
इसके बाद पावन मंच पर पहुंच कर दीप महायज्ञ में सम्मिलित हुए, इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय कैबिनेट मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह जी, साथ ही अन्य विशिष्ट मंत्रिगण की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और अधिक बढ़ाया। जिले के माननीय डीएम तथा एसडीएम एवं पुलिस प्रशासन भी इस दिव्य आयोजन में उपस्थित रहे और यज्ञ परंपरा के सामाजिक एवं सांस्कृतिक योगदान की प्रशंसा की।
दीपयज्ञ के पावन मंच से आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने युगधर्म, समष्टि चेतना, नैतिक जागरण और समाज में सकारात्मक परिवर्तन की आवश्यकता पर अत्यंत प्रेरणादायी उद्बोधन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि—
“दीप केवल ज्योति का प्रतीक नहीं, बल्कि भीतर की अंधकार प्रवृत्तियों को हटाकर आत्मविकास और लोकमंगल की ओर बढ़ने का संकल्प है।”
बाराबंकी में सम्पन्न यह दीपयज्ञ—नेतृत्व, संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना के एक अद्वितीय संगम के रूप में—प्रवास का अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ, जिसने परिजनों और जनसामान्य में नवऊर्जा, नवप्रेरणा और युग निर्माण के प्रति दृढ़ संकल्प का संचार किया।
कार्यक्रम के पश्चात् डॉ साहब ने बाराबंकी, उत्तर प्रदेश जिला के जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी जी और उनकी पत्नी शैलजा त्रिपाठी जी से भेंटवार्ता एवं जन्मशताब्दी वर्ष समारोह हेतु आमंत्रित करने हेतु डीएम हाउस पर जाकर शिष्टाचार भेंट की।इस स्नेहिल भेंट के दौरान शिक्षा, संस्कृति और समाज सेवा जैसे विषयों पर सार्थक विचार-विमर्श हुआ।
