भौतिकता की चकाचौंध में भ्रमित, भटकते, निराश-हताश युवाओं को दिशा-प्रेरणा देता 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ, पटना

आंतरिक उत्कर्ष का विज्ञान और विधान-अध्यात्म ही है एक मात्र समाधान
आज विज्ञान ने हमें भौतिकता के शिखर पर पहुँचा दिया है, परंतु एक ज्वलंत प्रश्न अब भी खड़ा है कि क्या भौतिक संसाधन हमारी आंतरिक चेतना को विकसित कर सकते हैं? क्या ये साधन हमारी संवेदनशीलता, आत्मीयता को बढ़ा सकते हैं? एक ही जवाब हैं-नहीं।
आधुनिक जीवन शैली में उच्च महत्त्वाकांक्षाओं, परिवार एवं समाज के दबाव से आज तरूण एवं युवा बुरी तरह पिस रहा है। यह परिस्थिति बड़ी भयावह और विकट है। देश के 12 प्रतिशत तरूण और युवा तरह-तरह की मानसिक पीड़ा और समस्याओं से ग्रसित हैं। समय रहते यदि इसे सुधारा और सँवारा नहीं गया तो भारत जैसे सर्वाधिक युवा राष्ट्र को समर्थ और स्वावलंबी राष्ट्र बनाना अति दुर्लभ हो जायेगा।
प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ बिहार ने इन्हीं प्रश्नों और परिस्थितियों से जूझ रही युवाशक्ति को मानवीय जीवन गरिमा का बोध कराने और उसे उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करने के लक्ष्य के साथ पटना में अश्वमेध महायज्ञ का रजत जयंती समारोह मनाया। यह कार्यक्रम 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के साथ दिनांक 6 से 10 दिसम्बर 2023 की तिथियों में एलसीटी घाट, मैनपुरा, पटना में आयोजित हुआ। इस महायज्ञ में लाखों युवा और श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
करोड़ों युवाओं के आदर्श और पथ प्रदर्शक आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए। उन्होंने अपने प्रखर व्यक्तित्व, ओजस्वी उद्बोधन, क्रान्तिकारी मार्गदर्शन से लाखों हृदयों में आस्था के दीप जलाए।
पूरे बिहार एवं झारखंड से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
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