रीगा, लातविया में गायत्री यज्ञ—संस्कृति का संरक्षण और आत्मबल का जागरण

अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी के मार्गदर्शन में रीगा (लातविया) में गायत्री यज्ञ का दिव्य आयोजन संपन्न हुआ। यह यज्ञ भारत माता के अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करने, प्रवासी भारतीयों को एक सूत्र में जोड़ने तथा भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना के संकल्प को केंद्र में रखकर किया गया।
गंगा-यमुना जैसी समन्वयकारी भारतीय परंपरा को लातविया की धरती पर अनुभव करते हुए, बड़ी संख्या में भारतीय मूल के परिवारों ने इस यज्ञ में सहभागिता की। गायत्री मंत्र की सामूहिक साधना से वातावरण में एक विशेष ऊर्जा का संचार हुआ, जिसने सभी को आत्मिक शांति, राष्ट्रप्रेम और सत्कर्म की प्रेरणा प्रदान की।
इस अवसर पर आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के विचारों को साझा करते हुए बताया कि—
“गायत्री यज्ञ केवल एक कर्मकाण्ड नहीं, बल्कि यह युग परिवर्तन की वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो व्यक्तित्व और समाज दोनों को उत्कृष्टता की दिशा में ले जाती है।”
यज्ञ का यह आयोजन यूरोप में भारतीय जीवन मूल्यों के प्रचार-प्रसार, सांस्कृतिक चेतना के जागरण तथा जन्मशताब्दी वर्ष 2026 के पुनीत संकल्पों को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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